पवन वर्मा जेडीयू से निकलेंगे या निकाल दिए जाएँगे?
21 जनवरी की इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा, " मेरी समझ में जेडीयू और बीजेपी आने वाले दिल्ली चुनाव में भाजपा के साथ चुनाव लड़ रही है. हाल के दिनों में ये पहला मौका है जब बिहार के बाहर हम बीजेपी के साथ गठबंधन को बढ़ा रहे हैं. मैं इस बात से बेहद हैरान हूं और आपसे इस बारे में वैचारिक स्पष्टीकरण चाहता हूं" दो पन्ने की इस चिट्ठी में उन्होंने कुछ निजी बातचीत का भी जिक्र किया.
दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी, जनता दल यूनाइटेड के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने जा रही है.
जेडीयू के लिए ये पहला मौका होगा जब बिहार के बाहर भी बीजेपी के साथ उनका गठबंधन होगा.
इसी बात से नाराज़ होकर जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राज्यसभा सांसद पवन वर्मा ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चिट्ठी लिख दी.
21 जनवरी की इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा, " मेरी समझ में जेडीयू और बीजेपी आने वाले दिल्ली चुनाव में भाजपा के साथ चुनाव लड़ रही है. हाल के दिनों में ये पहला मौका है जब बिहार के बाहर हम बीजेपी के साथ गठबंधन को बढ़ा रहे हैं. मैं इस बात से बेहद हैरान हूं और आपसे इस बारे में वैचारिक स्पष्टीकरण चाहता हूं"
दो पन्ने की इस चिट्ठी में उन्होंने कुछ निजी बातचीत का भी जिक्र किया. पवन वर्मा के मुताबिक निजी बातचीत में नीतीश कुमार हमेशा से मानते आए हैं कि नरेन्द्र मोदी और उनकी पॉलिसी देश के लिए बेहद ख़तरनाक हैं और वो भी 'आरएसएस मुक्त' भारत की परिकल्पना करते हैं.
इस चिट्ठी को पवन वर्मा ने नीतीश कुमार को ईमेल से भेजा और ट्विटर पर भी पोस्ट कर दिया.
चिट्ठी को सार्वजनिक करने की बात पर पवन वर्मा से नाराज़गी नीतीश कुमार छुपा नहीं पाए.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक नीतीश कुमार ने कहा है, "इसको कहते हैं पत्र? कोई आदमी पार्टी का रहता है और पत्र लिखता है और पत्र देता है तब न उसका जवाब देता है. ईमेल पर भेज दीजिए कुछ और प्रेस में जारी कर दीजिए?"
ज़ाहिर है नीतीश कुमार को पवन वर्मा का ये क़दम ठीक नहीं लगा.
पवन वर्मा का स्पष्टीकरण
बीबीसी ने पवन वर्मा से इस बारे में बात की. उनसे पूछा कि आखिर उन्होंने निजी बातों को सार्वजनिक क्यों किया?
दिल्ली से जयपुर के रास्ते में जाते हुए पवन वर्मा ने फ़ोन पर बीबीसी को बताया, "मैंने सबसे पहले नीतीश जी को उनके ऑफ़िशियल मेल आईडी पर पत्र भेजा. उस मेल आईडी पर जिस पर पहले भी कई बार हम एक दूसरे से बात कर चुके हैं. उसके बाद मैंने पत्र को ट्विटर पर पोस्ट किया ."
निजी बातचीत को सार्वजनिक करने के आरोप पर पवन वर्मा ने कहा, "वो निजी बातचीत नहीं थी, वो बातें सार्वजनिक मंच पर नहीं, वो पार्टी के फ़ोरम में हुई बातचीत थी जब सिर्फ मैं नहीं पार्टी के दूसरे सदस्य भी मौजूद थे."
"मैं तो पत्र के ज़रिए बस एक स्पष्टीकरण चाह रहा कि क्या जब हम बिहार के बाहर बीजेपी के साथ गठबंधन में जा रहे हैं, तो पार्टी में एक वैचारिक स्पष्टीकरण तो होना चाहिए कि हम किन बातों पर बीजेपी के साथ हैं और किन बातों पर साथ नहीं हैं. ये देश हित में हैं और पार्टी हित में भी. "
लेकिन क्या यही एक मात्र ज़रिया था? क्या पार्टी फोरम के अंदर और बैठकों में ये बात करने की ज़रूरत नहीं थी?
इस सवाल के जवाब में पवन वर्मा ने कहा, "दुख की बात है. सीएए पर पार्टी में बैठक हुई ही नहीं. मैंने उन्हें खुद फोन करके कहा. इस पर चर्चा होनी चाहिए. सीएए को हमारा समर्थन ग़लत है. पार्टी संविधान के विरुद्ध है"
ग़ौरतलब है कि जेडीयू ने संसद में सीएए का समर्थन किया था. इस बात से भी पवन वर्मा पहले से ही नाराज़ थे.
बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा "लोकसभा में पार्टी ने जब सीएए के पक्ष में वोट किया, तो मैंने उनसे फोन पर बात कर कहा कि इस विषय में हमें सोचने की ज़रूरत है. लेकिन बावजूद इसके राज्यसभा में भी हमने सीएए का समर्थन किया."
सीएए के मुद्दे पर नीतीश कुमार और पवन वर्मा के बीच की दूरी अब दिल्ली चुनाव आते आते खाई में तब्दील हो चुकी है.
नीतीश कुमार का पक्ष
गुरुवार को जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पत्रकारों ने पवन वर्मा की ताज़ा चिट्ठी के बारे में पूछा तो उनका जवाब था, "ये उनका अपना मैटर है. जहां जाना हो वहां जाएं. कोई एतराज नहीं है. कुछ लोगों के बयान से जनता दल यूनिइटेड को मत देखिए. जेडीयू बहुत ही दृढ़ता के साथ अपना काम करती है. कुछ चीज़ो पर हम लोगों का स्टैंड बहुत साफ होता है. एक भी चीज़ के बारे में हम लोग किसी कंफ्यूजन में नहीं रहते हैं."
पवन वर्मा की चिट्ठी को लेकर नीतीश कुमार ने आगे कहा, "किसी के मन में कोई बात है तो आकर विमर्श करना चाहिए, बातचीत करनी चाहिए. उसके लिए जरूरी समझें तो पार्टी की बैठक में चर्चा करनी चाहिए. लेकिन इस तरह का वक्तव्य देना उचित नहीं. आप ख़ुद दे लीजिए. ये आश्चर्य की बात है, आप इस तरह का वक्तव्य दे रहे हैं कि आप हमसे क्या बात करते थे. हम क्या कभी कह सकते हैं कि हमसे क्या बात करते थे? क्या ये कोई तरीका है? इन बातों को छोड़ दीजिए. मुझे फिर भी सम्मान है. इज्जत है. लेकिन जहां उनको अच्छा लगे, वहां जाएं. मेरी शुभकामनाएं."
जेडीयू में बने रहेंगे या नहीं?
उनके इस बयान के बाद से इस बात की अटकलें लगनी शुरू हो गईं कि क्या पवन वर्मा पार्टी छोड़ देंगे या उन पर अनुशासनात्मक कार्यवाई करते हुए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा.
इस सवाल के जवाब में पवन वर्मा साफ़ साफ़ कुछ नहीं बोले. उन्होंने कहा, "मुझे आज भी अपने पत्र के जवाब का इंतजार है. उसके बाद ही अगला कदम बताउंगा"
"पार्टी ने अभी तक तो मुझे निकाला नहीं है. जब मुझे जाना होगा, मैं उनको सूचित करूंगा. जब मैंने पत्र लिखा था, तब तो मैं राष्ट्रीय महासचिव भी था. पत्र तो पत्र होता है और आजकल ईमेल पर ही भेजा जाता है."
कांग्रेस या फिर आरजेडी में जाएँगे पवन वर्मा? इस सवाल के जवाब में उन्होंने सीधे सीधे 'ना' भी नहीं कहा. लेकिन इंतज़ार करने के लिए ज़रूर कहा.
सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या पार्टी पवन वर्मा पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी.
जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "इन्होंने (पवन वर्मा) ने बिना मतलब के पत्र लिखा. पता नहीं उनका क्या हिडेन एजेंडा है. कुछ मालूम नहीं चलता क्या है. अब तक राज्य सभा में थे, अब नहीं हैं. हम क्या बताएं. पार्टी की बात थी तो अंदर उठाना चाहिए था."
जब बीबीसी ने पूछा कि पवन वर्मा कह रहे हैं पार्टी में कोई बैठक नहीं हुई उन्होंने अपनी आपत्ति नीतीश कुमार को फोन करके दर्ज कराई तो इस पर उन्होंने कहा, "पवन वर्मा पटना आए और मुख्यमंत्री से न तो मिले न ही मिलने का वक्त मांगा."
लेकिन पार्टी अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी या नहीं ये सवाल वो टाल गए.