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क्या यूपी की 8 विधानसभा सीटों पर CM योगी को चुनौती दे पाएगा विपक्ष, जानिए कैसी है उनकी तैयारी?

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नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में रिक्त हुई 8 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव के लिए विपक्ष अभी से ही चुनावी अभियान पर जुट गया है। वर्ष 2022 में प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले खाली हुए 8 सीटों पर उपचुनाव को सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए एक लिटमस टेस्ट की तरह लिया जाएगा, क्योंकि वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव में खाली हुए 8 सीटों में से 6 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी, जबकि दो पर सपा काबिज हुई थी। माना जा रहा है कि कोरोना महामारी से उत्पन्न स्वास्थ्य और बेरोजगारी चुनौतियों को विपक्ष प्रमुख रूप भुनाने की कोशिश करेगा।

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भाजपा के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के साथ कुल 306 सीट हैं

भाजपा के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के साथ कुल 306 सीट हैं

गौरतलब है 403 सदस्यीय सदन की वर्तमान ताकत 395 (8 रिक्तियों के साथ) है, जिनमें से भाजपा के 306 और उसके सहयोगी अपना दल (सोनेलाल), 9 सीट शामिल हैं। सरकार को तीन निर्दलीयों का समर्थन प्राप्त है। वहीं, 48 सीटों के साथ समाजवादी पार्टी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है। बसपा के 18 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के 7, और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के 6 विधायक हैं।

जानिए, उत्तर प्रदेश में किन सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं?

जानिए, उत्तर प्रदेश में किन सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं?

वर्ष 2017 में बीजेपी के खाते में रहीं बुलंदशहर, नौगवां सादात, टूंडला, घाटमपुर, बांगरमऊ, और देवरिया के साथ-साथ सपा के खाते में गई सुआर और मल्हनी सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं। यानी 8 विधानसभा सीटें, जिन पर उपचुनाव होने हैं, उनमें से 6 सीटों पर भाजपा पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने परचम लहराया था। माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव के साथ ही यूपी के 8 सीटों पर उपचुनाव होने की पूरी संभावना है। बिहार विधानसभा का कार्यकाल आगामी 29 नवंबर को समाप्त हो रहा है और वहां विधानसभा चुनाव की तिथि की जल्द घोषित होने की संभावना है।

सुआर विधानसभा सीट (रामपुर)

सुआर विधानसभा सीट (रामपुर)

रामपुर जिले की सुआर विधानसभा सीट पर सपा के टिकट पर जीते रामपुर के सांसद आज़म खान के बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला आज़म की सीट इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद तब खाली घोषित हो गया, जब यह साबित हो गया कि जब अब्दुल्ला आजम ने नामांकन दाखिल किया था, तब उनकी उम्र निर्धारित 25 वर्ष की आयु से कम थी। मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्र सुआर को भाजपा पहली बार जीतने की कोशिश कर रही है। सुआर में संगठनात्मक तैयारियों की देखरेख कर रहे राज्य भाजपा उपाध्यक्ष जसवंत सैनी ने कहा, "हम इस बार जीतने की उम्मीद कर रहे हैं। भाजपा सरकार ने बिना किसी भेदभाव के सभी वर्गों, समुदायों और जातियों के कल्याण के लिए काम किया है।

मल्हनी विधानसभा सीट (जौनपुर)

मल्हनी विधानसभा सीट (जौनपुर)

जौनपुर जिले में मल्हनी विधानसभा सीट सपा के वरिष्ठ नेता पारसनाथ यादव की मृत्यु के बाद खाली हुई है। इस निर्वाचन क्षेत्र में 80,000 से अधिक मतदाता यादव हैं और लगभग 35,000 मुस्लिम मतदाता हैं। साथ ही 50,000 से अधिक ठाकुर, 40,000 ब्राह्मण और 22,000 ओबीसी निषाद मतदाता हैं। 2017 में बीजेपी के ठाकुर उम्मीदवार सतीश कुमार सिंह के जीतने की संभावना पर निषाद पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले क्षत्रिय और पेशे से राजनीतिज्ञ धनंजय सिंह द्वारा पानी फेर दिया गया था। धनंजय ने ठाकुर और निषाद वोटों में काटने की मुख्य कड़ी साबित हुए, जिससे जीत सपा उम्मीदवार पारसनाथ यादव के खाते में चली गई। उपचुनाव में सपा के टिकट के लिए एकमात्र दावेदार पारसनाथ यादव के बेटे लकी यादव बनाए गए हैं।

घाटमुपर-नौगावां विधानसभा सीट

घाटमुपर-नौगावां विधानसभा सीट

कानपुर नगर जिले की घाटमपुर सीट और अमरोहा जिले में नौगावां सादात भाजपा विधायक कमल रानी वरुण और पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान की सीट कोरोना संक्रमण के चलते हुई मौत के कारण खाली हुई है।

कुलदीप सिंह सेंगर को रेप केस में मिली सजा खाली हुई बांगरमऊ सीट

कुलदीप सिंह सेंगर को रेप केस में मिली सजा खाली हुई बांगरमऊ सीट

बुलंदशहर और देवरिया भी विधायकों की मौत के कारण खाली हुए हैं। टूंडला विधानसभा सीट यूपी के पूर्व मंत्री एस पी सिंह बघेल के लोकसभा चुनाव (आगरा सीट से) चुनाव लड़ने और टूंडला से इस्तीफा देने के बाद खाली हुआ था। उन्नाव जिले में बांगरमऊ को 2017 में भाजपा के कुलदीप सिंह सेंगर ने जीता था, जिन्हें 2017 के उन्नाव बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।

जानिए, उत्तर प्रदेश में 8 उपचुनावों में क्या हैं विपक्ष के मुख्य मुद्दे?

जानिए, उत्तर प्रदेश में 8 उपचुनावों में क्या हैं विपक्ष के मुख्य मुद्दे?

एक ओर जहां केंद्र और राज्य दोनों में सरकारों द्वारा किए गए कार्यों पर भाजपा बात करना चाहेगी, जबकि विपक्षी दल उन्हें बेरोजगारी, कोरोना महामारी, प्रवासियों, किसानों और कानून व्यवस्था के मुद्दों पर उपचुनाव में चुनौती देंगे। सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि भाजपा सरकार ने कोरोना महामारी को बुरी तरह से संभाला, प्रदेश में बेरोजगारी जन्म दिया और किसानों को धोखा दिया। वहीं, प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई है। उनका कहना है कि सपा इन मुद्दों को लेकर उपचुनाव भाजपा के खिलाफ उतरेगी। वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने भाजपा सरकार पर सांप्रदायिक और सामाजिक विभाजन का एजेंडा अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार प्रवासी मजदूरों, बेरोजगार युवाओं और आम आदमी की सुरक्षा के मुद्दों पर असंवेदनशील थी।

जानिए, चुनाव के लिए राजनीतिक दल किस तरह कमर कस रहे हैं?

जानिए, चुनाव के लिए राजनीतिक दल किस तरह कमर कस रहे हैं?

भाजपा ने प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में एक राज्य मंत्री और पार्टी संगठन के दो वरिष्ठ नेताओं की प्रतिनियुक्ति की है। संगठन के नेता बूथ प्रबंधन के लिए कैडर और प्रतिनियुक्त टीमों के साथ बैठक करेंगे। मंत्रीगण अधूरे विकास परियोजनाओं को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे और जिला प्रशासन के स्तर पर लोगों और पार्टी कार्यकर्ताओं के मुद्दों का समाधान करेंगे।

समाजवादी पार्टी सभी आठ सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है

समाजवादी पार्टी सभी आठ सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है

सपा सभी आठ सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है और अपनी जिला इकाइयों को टिकट चाहने वालों की सूची भेजने का निर्देश दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव उम्मीदवारों पर अंतिम निर्णय लेंगे। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष मुनकाद अली ने बताया कि बसपा संभवतः उपचुनाव लड़ेगी। हम सभी निर्वाचन क्षेत्रों में अच्छी तरह से तैयार हैं, लेकिन किसी भी निर्णय की घोषणा केवल बसपा सुप्रीमो (मायावती) द्वारा की जाएगी। कांग्रेस ने टिकट चाहने वालों के नाम एकत्र करने के लिए प्रत्येक विधानसभा सीट के लिए 8 जिला स्तरीय समितियों का गठन किया है। एआईसीसी की प्रभारी सचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू उम्मीदवारी की छंटनी करेंगे और उन्हें अंतिम रूप देंगे।

जानिए, राजनीतिक दलों के लिए कितना महत्वपूर्ण हैं उपचुनाव?

जानिए, राजनीतिक दलों के लिए कितना महत्वपूर्ण हैं उपचुनाव?

भाजपा के पास सदन में भारी बहुमत है, और राज्य में तीनों अन्य दल क्रमशः सपा, बसपा, और कांग्रेस 2022 के विधानसभा चुनाव से डेढ़ साल पहले जितना संभव हो उतना प्रासंगिक बनने की कोशिश कर रही है। वहीं, सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने दावा किया कि अखिलेश यादव 2022 में भाजपा के लिए "एकमात्र विकल्प" होंगे, और उपचुनाव के नतीजे इसके संकेतक होंगे, जबकि बसपा यूपी विधानसभा और लोकसभा में अपनी उपस्थिति देखते हुए अपने दलित आधार को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है।

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English summary
The opposition has already started an election campaign for the by-election for the 8 vacant assembly seats in Uttar Pradesh. The by-election on 8 seats which were vacant before the assembly elections to be held in the state in 2022 will be taken as a litmus test for CM Yogi Adityanath, as BJP won 6 out of the 8 seats vacated in the 2017 assembly elections. SP, while two were occupied by SP. It is believed that the opposition will try to capitalize on the health and unemployment challenges posed by the Corona epidemic.
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