क्या जस्टिस गोगोई ऑफ़र ठुकरा देंगे !
एक जमाने में भारतीय जनता पार्टी के नेता और अटल-आडवाणी के करीबी सहयोगी रहे पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने आशा जताई है कि पूर्व चीफ़ जस्टिस इस पेशकश को ठुकरा देंगे. अपने ट्वीट में यशवंत सिन्हा ने लिखा है, ''मैं आशा करता हूं कि पूर्व चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई के पास राज्यसभा सीट के ऑफर पर ना कहने का अच्छा सेंस होगा
जैसे ही ये ख़बर आई कि राष्ट्रपति ने पूर्व चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया है, सोशल मीडिया पर तेज़ी से प्रतिक्रियाएं आने लगी.
एक जमाने में भारतीय जनता पार्टी के नेता और अटल-आडवाणी के करीबी सहयोगी रहे पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने आशा जताई है कि पूर्व चीफ़ जस्टिस इस पेशकश को ठुकरा देंगे.
अपने ट्वीट में यशवंत सिन्हा ने लिखा है, ''मैं आशा करता हूं कि पूर्व चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई के पास राज्यसभा सीट के ऑफर पर ना कहने का अच्छा सेंस होगा, वरना वे न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को भारी नुकसान पहुंचाएंगे.''
I hope ex-cji Ranjan Gogoi would have the good sense to say 'NO' to the offer of Rajya Sabha seat to him. Otherwise he will cause incalculable damage to the reputation of the judiciary.
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) March 16, 2020
सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने पूर्व चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई को याद दिलाया है कि रिटायरमेंट के बाद किसी नियुक्ति को लेकर ख़ुद उन्होंने क्या कहा था.
अपने ट्वीट में सीताराम येचुरी ने लिखा है, ''श्री रंजन गोगोई ने पिछले साल ख़ुद ही कहा था कि 'ऐसा बड़ी मज़बूती से माना जाता है कि रिटायरमेंट के बाद होने वाली नियुक्तियां न्यायपालिका की आज़ादी पर धब्बा है......''
Shri Ranjan Gogoi had himself said last year that "There’s a strong viewpoint that post-retirement appointments is a scar on independence of Judiciary". What must one make of a govt that does this, after appointing another ex-Chief Justice as the governor of a state? #Chronology
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) March 16, 2020
इसी तरह मार्क्सवादी नेता मोहम्मद सलीम ने ट्वीट किया है कि ''वकील को भुगतान क्यों करना जब आप जज ही ख़रीद सकते हैं......इस सवाल की पूर्व सीजेआई से कोई समानता प्रतीत हो तो ये महज संयोग है.''
Why pay a lawyer when you can buy a judge?
Any resemblance of this question to Former CJI #RanjanGogoi is purely coincidental.
— Md Salim (@salimdotcomrade) March 16, 2020
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इसे 'नमो संदेश' शीर्षक दिया है और तबादला या इस्तीफ़ा शब्दों के ज़रिए बात को आगे बढ़ाया है.
नमो संदेश -:
या तो राज्यपाल, चेयरमैन और राज्यसभा।
वरना तबादले झेलो या इस्तीफ़े देकर घर जाओ। pic.twitter.com/fOd7yeH1jf
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) March 16, 2020
तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा है कि उन्हें इस ख़बर से हैरानी नहीं हुई है और उन्होंने इस सिलसिले में एनआरसी, राम मंदिर, जम्मू कश्मीर और यौन उत्पीड़न केस का ज़िक्र किया है.
Fmr CJI Gogoi nominated to Rajya Sabha! Why am I not surprised?
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) March 16, 2020
Any propriety, Sir?
He directed NRC exercise
Ram Mandir in hurried hearings
Refusal to hear J&K habeas corpus
Immunity from law in own sexual harassment case
Politician or judge all along, ye Greedy Lord? pic.twitter.com/af3IdhSf1a
स्वराज इंडिया पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने बीजेपी के दिवंगत नेता अरुण जेटली की कही बात याद दिलाई है, जिसमें वो कहते हैं, ''रिटायरमेंट से पहले के फ़ैसले, रिटायरमेंट के बाद जॉब की इच्छा से प्रभावित होते हैं.''
"Pre-retirement judgements are influenced by a desire for a post-retirement job,”
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) March 16, 2020
Arun Jaitley https://t.co/I6cAHerw8p
लेकिन सोशल मीडिया पर ऐसी तमाम प्रतिक्रियाएं भी हैं जो याद दिलाती हैं कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब कोई पूर्व चीफ़ जस्टिस राज्यसभा की राह पर चला हो.
जयंत नाम के यूज़र लिखते हैं कि जस्टिस एम हिदायतुल्लाह को कांग्रेस ने इसी तरह राज्यसभा भेजा था.
नवरूप सिंह लिखते हैं कि जस्टिस रंगनाथ मिश्र को भी राज्यसभा भेजा गया था.
कुछ अन्य यूज़र्स ने जस्टिस बहरुल इस्लाम का ज़िक्र किया है जो अपने कार्यकाल के बाद राज्यसभा सदस्य बने थे.
बीजेपी के कुछ नेताओं ने और राजनीति से इतर भी कुछ यूज़र्स ने भी जस्टिस गोगोई को नामित किए जाने पर उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी हैं.