जानिए पूरे देश के लिये क्यों महत्वपूर्ण है झारखंड में भाजपा की जीत
नई दिल्ली (विवेक शक्ला)। अगर आप उत्तर प्रदेश में रहते हैं, तो शायद झारखंड विधानसभा चुनाव के परिणामों में आपकी दिलचस्पी कम होगी, महाराष्ट्र के निवासी हैं, तो शायद खबर खोल कर भी आप न देखें, यह सोच कर कि हमें क्या, सरकार तो झारखंड में बन रही है। अगर वाकई में आपका एटिट्यूड ऐसा है, तो हम आपको बताना चाहेंगे कि झारखंड चुनाव आपके लिये ही नहीं बल्कि देश के हर नागरिक के लिये महत्वपूर्ण है। क्योंकि देश के सवा सौ करोड़ लोगों की माली हालत को दुरुस्त रखने वाली देश की अर्थव्यवस्था में अब नया उछाल आ सकता है।
जी हां झारखंड में भाजपा की जीत देश की अर्थव्यवस्था में नया मोड़ ला सकती है। ऐसा इसलिये क्योंकि देश की कुल खनिज संपदा का 40 फीसदी झारखंड में है। अगर राज्य और केंद्र सरकार एक ही पार्टी की होंगी तो इस संपदा का सही दिशा में दोहन हो सकेगा।
खनिज संपदा के लिहाज से बेहद धनी झारखंड की किस्मत में ग्रहण सा लगा हुआ विकास के स्तर पर। अकूत कोयले और आयरन ओर से लबालब झारखंड में नई भाजपा सरकार को विकास के क्षेत्र में लंबे कदम बढ़ाने होंगे। कोशिश करनी होगी ताकि यहां की संपदा का सही तरह से इस्तेमाल हो जिससे कि प्रदेश की जनता और देश को इसका लाभ पहुंचे। अफसोस कि झारखंड के गठन के बाद से प्रदेश में सरकारें बनती गई, नेता आते गए। बहुत कुछ बदला लेकिन नहीं बदला तो राज्य का पिछड़ापन।
मोदी का विजेन
कुल मिलाकर चुनौती बड़ी होगी प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के सामने। पर उसके सामने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विकास का विजेन भी है। उसके आधार पर वह झारखंड को विकास के रास्ते पर लेकर जा सकता है। भाजपा के नेताओं ने विधान सभा चुनाव की कैंपेन के समय प्रदेश के विकास के मुद्दे पर सबसे ज्यादा जोर दिया। बिहार से इसे विकास का हवाला देकर अलग किया गया था लेकिन विकास राज्य से कोसों दूर है।
निजी क्षेत्र का निवेश
उद्योग और वाणिज्य परिसंघ सीआईआई के सूचना अधिकारी तरेश अरोड़ा कहते हैं कि नई सरकार को प्रदेश में निजी क्षेत्र के निवेश के लिए पहल करनी होगी। निवेश के लिए जरूरी सकारात्मक माहौल बनाना होगा। उसके बाद ही निवेश आएगा। जानने वाले जानते हैं कि झारखंड की यह बदकिस्मती रही है कि पिछले 13 साल में नौ बार मुख्यमंत्री बदले जा चुके हैं। इसका साफ असर प्रदेश के विकास पर पड़ा।
बनेंगी ठोस नीतियां
इस विधान सभा चुनाव के नतीजों से प्रदेश की जनता इसलिए खासतौर पर संतुष्ट होगी क्योंकि अब वहां पर बार-बार मुख्यमंत्री नहीं बदलेगा। इसलिए लंबे समय के लिए ठोस नीतियां बनेगी ताकि विकास हो सकते प्रदेश का।
झारखंड की पहचान खनिज संपदा के चलते रही है। इसमें कोई शक नहीं है हमेशा से राजनीतिक दलों ने विकास का नारा देकर केवल जनता को धोखा ही दिया। कोई भी राजनीतिक दल डोमिसाइल नीति को छूना नहीं चाहता है। आपको याद होगा कि पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को इसी नीति की वजह से भाजपा ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
कृषि क्षेत्र की अनदेखी
एक बात। जहां झारखंड में अकूत खनिज संपदा है, वही उसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ खेती रही है। पर बीते कुछ सालों से मानसून और सरकार की बेरुखी ने कृषि क्षेत्र प्रभावित हुआ है। जानकारों का कहना है कि नई सरकार को झारखंड के उद्योग-धंधों को गति देने के अलावा कृषि क्षेत्र का भी चौतरफा विकास करने के बारे में गंभीरता से सोचना होगा।
जानकारों का कहना है कि झारखंड का नया मुख्यमंत्री यह तय है,इसलिए वह अपने दल के अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से आग्रह कर सकता है कि वे प्रदेशों के प्रमुख उद्योग समूहों से झारखंड में भी निवेश करने के लिए कहें।