भविष्य में हो पाएगी भारत और अमरीका की डील?
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे पर न केवल देश बल्कि सम्पूर्ण अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नज़र टिकी हुई थी. दुनिया भर में ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान कई बड़े व्यापार समझौतों की उम्मीद थी हालांकि पिछले दो-तीन दिनों से इसकी उम्मीद लगातार घटती गई. अमरीका भारतीय निर्यात का सबसे बड़ा बाज़ार होने के कारण भारत के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण भी है.
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे पर न केवल देश बल्कि सम्पूर्ण अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नज़र टिकी हुई थी.
दुनिया भर में ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान कई बड़े व्यापार समझौतों की उम्मीद थी हालांकि पिछले दो-तीन दिनों से इसकी उम्मीद लगातार घटती गई.
अमरीका भारतीय निर्यात का सबसे बड़ा बाज़ार होने के कारण भारत के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण भी है.
तराशे हुए हीरे और हीरे के सामान, जेनेरिक ओषधियाँ, झींगा, प्रॉन और ज़ेवर वग़ैरह भारत से अमरीका को निर्यात होने वाले प्रमुख उत्पाद हैं जबकि भारत अमरीका से पेट्रोलियम, बादाम आदि आयात करता है.
उच्चस्तरीय औद्योगिक उत्पादों और तकनीक के अतिरिक्त अमरीकी कृषि और खाद्य पदार्थों का विश्व भर में सबसे बड़ा उत्पादक है.
विश्व-बाज़ार में सोयाबीन मील के निर्यात में अमरीका का 82% हिस्सा है, जबकि अन्य कृषि-उत्पादों जैसे बिना-छिले बादाम (71%), छिले हुए बादाम (61%), पिस्ता (56%) आदि का भी प्रमुख विक्रेता है.
आगे की संभावनाएं
यही वजह है कि अमरीका को अपने कृषि-उत्पादों की क़ीमत बनाए रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में बेचने और नये बाज़ार तलाशने की सख़्त आवश्यक है.
भारत के आयात में अमरीका के बिना छिले बादाम में 84% कॉटन में 57%, ताज़ा सेब मे 54% की प्रमुख हिस्सेदारी है. इसलिए अमरीका भारत के बाज़ार मे प्रवेश के लिए हर तरह की रणनीति का इस्तेमाल करने में तनिक भी नहीं हिचकिचाता है.
एक कृषिप्रधान देश होने के साथ ही भारत की जनसंख्या के 55%-60% लोग कृषि से जुड़े हुए क्षेत्रों से अपना रोज़गार चलाते हैं इसलिए किसी भी प्रकार का कृषि-आयात भारत के लिए बहुत ही संवेदनशील है.
ट्रंप के भारत पर इल्ज़ाम
हालांकि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी यात्रा से पूर्व भारत पर "टैरिफ़ किंग" होने का इल्ज़ाम कई बार लगा चुके हैं . लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री ने कृषि आयात पर देश की संवेदनशीलता और राजनैतिक सूजबूझ का परिचय देते हुए किसी भी प्रकार का व्यापार समझौता नहीं किया.
हाल ही के दिनों में भारत-अमेरिका मुक्त व्यापार क्षेत्र (एफ़टीए) समझौते की भी चर्चा थी जो अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के हाल ही के दौरे में नहीं हो पाया.
भारत को अमरीका के साथ किसी भी व्यापार समझौते से पहले अपनी कृषि, लघु और मँझले उद्योग (एमएसएमई) क्षेत्र के हितों और संवेदनशीलता का ध्यान रखना होगा.
ट्रंप की यात्रा के दौरान अभी तक के व्यापार समझौते रक्षा, उड्डयन और प्रौद्योगिकी तक ही सीमित रहे. लेकिन अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप के इस दौरे से दोनों देशों के संबंध प्रगाढ़ हुए हैं और भविष्य में दोनों देशों के व्यापार समझौतों को और बल मिलने की प्रबल संभावना है.