क्या कृषि कानून रद्द होगा, मोदी सरकार में लाए एक भी कानून को अब तक वापस नहीं लिया गया है?
नई दिल्ली। मोदी सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानून 2020 में किए गए प्रावधानों को लेकर हंगामा जारी है। खासकर हरियाणा और पंजाब के किसानों में आशंकाओं के बादल घुमड़ रहे हैं कि नए कृषि कानून मंडियों को खत्म कर देंगे, एमएमपी पर उपज बिकने बंद हो जाएंगे। इन्हीं आशंकाओं के बीच बुधवार को किसानों का विरोध-प्रदर्शन बुधवार को सातवें दिन में प्रवेश कर गयाा। सवाल जो उठता है कि क्या सचमुच कृषि कानून में ऐसे कानूनों का प्रावधान है, जिससे भविष्य में किसान एमएमपी पर अपनी फसल नहीं बेच सकेंगे और मंडी और आढ़तिए गायब हो जाएंगे।
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तो आइए जानने की कोशिश करते हैं कि क्या है नया कृषि कानून और क्या हैं उनमें किए गए नए प्रावधान और क्या सचमुच किसानों का डर जायज है। इससे भी बड़ी बात क्या मोदी सरकार कृषि कानूनों आंदोलन के दवाब में वापस ले सकती है। इतिहास गवाह है मोदी सरकार नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ मचे राष्ट्रव्यापी आंदोलन के बाद भी नहीं झुकी है और मोदी सरकार द्वारा लाए किसी भी कानून को अब तक रद्द नहीं किया गया है। तो क्या कृषि कानून को लेकर मोदी सरकार को झुकाने में किसान कामयाब हो सकते हैं, यह इसलिए भी संभव नहीं लगता है, क्योंकि इस आंदोलन में केवल हरियाणा और पंजाब के किसान ही शामिल है।
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क्या है कृषि कानून 2020 और क्या है नए प्रावधान?
मोदी सरकार ने संसद में दोनों सदनों में कृषि कानून से जुड़े कुल जमा तीन विधेयक पास करवाए थे। पहला विधयेक, कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधयेक 2020। इसके अनुसार किसान अपनी फसल अपने मुताबिक मनचाही जगह पर बेच सकते हैं। य़हां पर कोई भी दखलंदाजी नहीं कर सकता है। य़ानी कि एग्रीकल्चर मार्केटिंग प्रोड्यूस कमेटी (एपीएमसी) के बाह भी फसलों को किसान बेच-खरीद सकते हैं। फसल की बिक्री पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, किसान फसल का ऑनलाइन भी बेच सकते हैं। दूसरा विधेयक, मूल्या आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण व संरक्षण) अनुबध विधेयक 2020। इसके अनुसार देशबर में कांट्रैक्ट फॉर्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्वाव है। फसल खराब होने पर कांट्रैक्टर को पूरी भरपाई करनी होगी। किसान अपने दाम पर कंपनियों को फसल बेच सकेंगे। इससे उम्मीद जताई गई है कि किसानों की आय बढ़ेगी। तीसरा विधेयक, आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक 2020। आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था। खाद्य तेल, दाल, तिल, आलू, प्याज जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा ली गई है। अति आवश्यक होने पर स्टॉक लिमिट लगाया जाएगा। इसमें राष्ट्रीय आपदा, सूखा शामिल है। प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए ऐसी स्टॉक लिमिट लागू नहीं होगी। उत्पादन स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा।
संशोधित विधेयक के जरिए जम्मू-कश्मीर से समाप्त हुआ अनुच्छेद 370
भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 और 35 ए को ख़त्म करने का फ़ैसला किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में इसका फ़ैसला हुआ, जिसका ऐलान गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में किया। इसके साथ ही 71 वर्ष पहले जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्ज छीन लिया गया और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया। राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम मोदी कहा कि अनुच्छेद 370 और 35ए ने जम्मू कश्मीर को अलगाववाद, आतंकवाद, परिवारवाद और व्यवस्था में बड़े पैमाने पर फैले भ्रष्टाचार के अलावा कुछ नहीं दिया। उन्होंने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त किए जाने को ऐतिहासिक बताया।
तीन तलाक प्रथा पर रोक लगाने वाला कानून लेकर आई
25 जुलाई, 2019 को संसद ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देने की प्रथा पर रोक लगाने के प्रावधान वाले एक ऐतिहासिक विधेयक को मंजूरी दी। विधेयक में तीन तलाक का अपराध सिद्ध होने पर संबंधित पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया। तीन तलाक बिल पास होने के बाद पीएम मोदी ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि तीन तलाक बिल पास होना लैंगिक न्याय की जीत है। इससे समाज में समानता आएगी। यह भारत के लिए खुशी का दिन है। लोकसभा में पास होने के बाद ट्रिपल तलाक बिल के पक्ष में राज्यसभा में 99 वोट पड़े, जबकि विरोध 84 वोट पड़े थे।
नागरिकता संशोधन कानून लागू हुआ, 23 वर्ष बाद हल हुआ शरणार्थी
संकट नागरिकता संशोधन विधेयक संसद में पास होने के बाद केंद्र सरकार द्वारा देश में सीएए को 10 जनवरी, 2020 से प्रभावी करने की घोषणा की गई। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी। नागरिकता (संशोधन) कानून की धारा एक की उप धारा(2) के तहत केंद्र सरकार ने 10 जनवरी, 2020 से इस कानून को लागू करने का निश्चय किया है।
मोटर व्हीकल कानून 2019 के दौरान भी खूब हो हल्ला हुआ
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में ट्रैफिक नियमों को कड़ा बनाने और सड़कों पर हादसों को रोकने के लिए देश में मोटर व्हीकल एक्ट 2019 लागू किया गया। इस सख्त कानून के तहत यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों की खैर नहीं, क्योंकि नए कानून में दंड के प्रावधानों को बढ़ा दिया गया था, जिसका विरोध होने लगा है। मोदी सरकार ने यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों पर भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया है ताकि वाहन चालक नियमों का पालन करें। मोटर व्हीकल एक्ट 2019 लागू किए जाने के बाद सड़कों पर लोग नियमों का पालन करते हुए दिखाई भी देने लगे थे, लेकिन इसका विरोध भी जमकर हुआ था।
आतंकी को आंतकी घोषित करने के लिए UAPA एक्ट में संशोधन किया गया
मोदी सरकार ने आतंकवाद पर लगाम कसने के लिए UAPA यानी गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम (संशोधन) विधेयक 2019 को संसद में अमलीजामा पहनाया। नया यूएपीए कानून आतंकी गतिविधियों में लिप्त या उसे प्रोत्साहित करते मिले किसी व्यक्ति को आतंकी घोषित करने का अधिकार देता है। हाल ही में यूएपीए कानून के तहत मोदी सरकार ने मोस्ट वांटेड दाऊद इब्राहिम, हाफिज सईद, मौलाना मसूद अजर और जकीउर रहमान लखवी को आंतकी घोषित किया है। नया कानून एनआईए को आरोपी की प्रॉपर्टी जब्त करने का अधिकार भी देता है। हालांकि विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा आंशकाओं का हवाला देते हुए इस कानून का भी विरोध किया गया था।
दिवंगत पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने किया वन रैंक वन पेंशन' का ऐलान
दिवंगत पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पूर्व सैनिकों के लिए ऐतिहासिक ‘वन रैंक वन पेंशन' का ऐलान करते हुए कहा कि सरकार ने अपना वादा पूरा किया है। वन रैंक वन पेंशन को 1 जुलाई 2014 से लागू माना गया। वन रैंक वन पेंशन पिछले 40 साल से लंबित था। ओआरओपी के लिए 8 से 10 हजार करोड़ रुपए रखे गए, जिसके लिए समय के मुताबिक बजट बढ़ाया जाएगा। UPA सरकार ने फरवरी 2014 में इसके लिए महज 500 करोड़ रुपए रखे थे, लेकिन इसके लिए 8 से 10 हजार करोड़ रुपए चाहिए थे। वन रैंक वन पेंशन का बेस ईयर 2013 रखा गया
देश में नई 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को लागू किया गया
शिक्षा क्षेत्र में बड़े सुधार के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को नई शिक्षा नीति (NEP) को मंजूरी दे दी है। इसका उद्देश्य एजुकेशन सिस्टम को पूरी तरह बदलना है। नई शिक्षा नीति में त्रिभाषा फॉर्मूला को जारी रखा गया है। मानव संसाधन मंत्रालय की जगह अब नए नाम शिक्षा मंत्रालय में उच्च शिक्षा के लिए एक ही रेगुलेटरी बॉडी नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी (एनएचईआरए) या हायर एजुकेशन कमिशन ऑफ इंडिया तय किया गया है। इससे पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्माण 1986 में किया गया था और 1992 में इसमें कुछ बदलाव किए गए थे।
72 वर्ष बाद अनाधिकृत कॉलोनी बिल का पास, 40 लाख को फायदा हुआ
करीब 72 वर्ष बाद दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनी को लेकर बनाए गए बिल से राष्ट्रीय राजधानी के 40 लाख लोगों को फायदा हुआ। बुधवार, 4 दिसंबर, 2019 को तीन घंटे चर्चा करने के बाद राज्यसभा ने 'राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र दिल्ली (अप्राधिकृत कॉलोनी निवासी संपत्ति अधिकारी मान्यता) विधेयक, 2019' को ध्वनिमत से पारित कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने बिल पास होने के बाद कहा, इस बिल ने 40 लाख लोगों के भविष्य का फैसला किया है, जिस पर पूर्ववर्ती सरकारों ने 72 वर्षों में कुछ नहीं किया।
49 वर्षों बाद शत्रु संपत्ति अधिनियम में किया गया अति आवश्यक संशोधन
वर्ष 2017 में मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में शत्रु संपत्ति संशोधन विधेयक पास किया गया, जिसमें युद्ध के बाद चीन और पाकिस्तान पलायन कर गए लोगों द्वारा छोड़ी गई संपत्ति के उत्तराधिकार या हस्तांतरण के दावों को खारिज करने का प्रावधान है। 10 मार्च 2017 को इस विधेयक को राज्यसभा ने विपक्ष के बहिष्कार के बीच पारित कर दिया गया। इस विधेयक द्वारा शत्रु संपत्ति क़ानून 1968 में बड़ा संशोधन यह किया गया है कि जिन्हें वैध वारिस माना गया था, वे अवैध माने जाएंगे और मिल्कियत सरकार के हाथ में चली जाएगी। इसे एक बड़ा दूरदर्शी फैसला कहा गया। इस विधेयक के क़ानून बनने के बाद पटौदी परिवार की लगभग 5000 करोड़ की प्रॉपर्टी केंद्र सरकार ज़ब्त कर सकती है।