पीरियड्स नहीं बल्कि ये थी सबरीमाला मंदिर में महिलाओं पर रोक की वजह?
तिरुवनंतपुरम। इस वक्त सबरीमाला मंदिर विवाद ने उग्र रूप धारण कर लिया है, जहां एकतरफ केरल सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ खड़ी है, वहीं बड़ी संख्या में संगठन और लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे हैं। सबरीमाला मंदिर में रजस्वला लड़कियों और महिलाओं के प्रवेश का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस द्वारा बल प्रयोग किए जाने के बाद मंदिर जाने के मुख्य रास्ते निलक्कल में बुधवार की सुबह माहौल तनावपूर्ण हो गया है, पुलिस ने इस मामले में अब तक 50 लोगों को अरेस्ट भी किया है, जिसमें त्रावणकोर देवासम बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष भी शामिल है।
विरोध की वजह क्या है?
परंपरा अनुसार लोग इसका कारण महिलाओं के पीरियड्स यानि मासिक धर्म को बताते हैं क्योंकि मंदिर में प्रवेश से 40 दिन पहले हर व्यक्ति को तमाम तरह से खुद को पवित्र रखना होता है और मंदिर बोर्ड के अनुसार पीरियड्स महिलाओं को अपवित्र कर देते हैं, ऐसे में लगातार 40 दिन खुद को पवित्र रखना संभव नहीं है।
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लेकिन पीरियड्स वजह नहीं
लेकिन फर्स्टपोस्ट की वेबसाइट के मुताबिक मंदिर में महिलाओं के प्रतिबंध की वजह पीरियड्स नहीं बल्कि खुद अयप्पा स्वामी हैं क्योंकि अयप्पा अविवाहित हैं, और वे अपने भक्तों की प्रार्थनाओं पर पूरा ध्यान देना चाहते हैं इसलिए महिलाओं को यहां आने से रोका गया था, उसका पीरियड्स से लेना-देना नहीं है लेकिन बाद में धर्मशास्त्रियों ने अपने नियम बना लिए।
सबरीमाला मंदिर के कपाट
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आज शाम 5 बजे सबरीमाला मंदिर के कपाट खुलने वाले हैं, जहां सभी महिलाएं और लड़कियां प्रवेश कर पाएंगी। मंदिर से जुड़े लोग और स्वामी अयप्पा के अनुयायी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को उनकी आस्था के खिलाफ बता रहे हैं और इसी वजह से विरोध कर रहे हैं। अयप्पा स्वामी मंदिर के दरवाजे पहली बार आज शाम खुलेंगे और 5 दिन की मासिक पूजा के बाद यह 22 अक्टूबर को फिर बंद हो जाएंगे।
क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से रोकने की सदियों पुरानी परंपरा को गलत बताते हुए उसे खत्म कर दिया था और सभी आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश करने की इजाजत दी थी।