'ब्रदर ऑस्कर' के नाम से क्यों जाने जाते थे सोनिया गांधी के भरोसेमंद ऑस्कर फर्नांडिस, उनके बारे में जानिए
मैंगलोर,13 सितंबर: कांग्रेस के दिग्गज नेता ऑस्कर फर्नांडिस का आज मैंगलोर के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह पिछले दो महीने से गंभीर रूप से बीमार थे। कांग्रेस के साथ उनका तकरीबन पांच दशक पुराना नाता था और वह पार्टी के लिए बैकरूम रणनीति बनाने में माहिर माने जाते थे। यूं तो गांधी परिवार से कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं का गहरा नाता रहा है, लेकिन ऑस्कर फर्नांडिस उन सबमें अलग थे और पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं के बीच 'ब्रदर ऑस्कर' के नाम से लोकप्रिय थे। वह पार्टी और सरकार में कई अहम पदों पर रहे और यहां तक कि नेशनल हेराल्ड के 6 ट्रस्टी में भी उनको शामिल किया गया था।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ऑस्कर फर्नांडिस का निधन
करीब दो महीने तक अस्पताल में गुजारने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य ऑस्कर फर्नांडिस ने सोमवार को आखिरी सांसें लीं। 80 साल के कांग्रेस नेता मैंगलुरु के येनेपोया अस्पताल में 19 जुलाई से सिर में चोट लगने की वजह से भर्ती थे। 27 जुलाई को उनके ब्रेन का ऑपरेशन भी हुआ था और वहीं उनकी डायलिसिस भी चल रही थी। अस्पताल के प्रवक्ता के मुताबिक उन्होंने सोमवार दोपहर बाद 2.15 पर अंतिम सांसें लीं। परिवार में उनकी पत्नी ब्लॉसम फर्नांडीस के अलावा एक बेटा और एक बेटी है।
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1980 से ही सांसद थे ऑस्कर फर्नांडिस
ऑस्कर फर्नांडिस कर्नाटक के उडुपी के रहने वाले थे और 1980 से ही संसद के सदस्य थे। यूपीए सरकार के दौरान वे सड़क परिवहन और उच्च राजपथ, श्रम और रोजगार, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन के अलावा विदेश मामलों में कैबिनेट और राज्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके थे। उन्होंने 1980 से लेकर 1998 तक लोकसभा में उडुपी का प्रतिनिधित्व किया था। फिर चुनाव हार जाने के बाद से 1998 से राज्यसभा के सदस्य रहे। 1998 में भाजपा नेता जयराम शेट्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव में हरा दिया था।
सोनिया गांधी के काफी भरोसेमंद थे ऑस्कर फर्नांडिस
ऑस्कर फर्नांडिस अपने पूरे राजनीतिक जीवन में इंदिरा गांधी के परिवार के बेहद भरोसेमंद बने रहे। वह पूर्व पीएम राजीव गांधी के भी करीबी रहे, फिर उनकी पत्नी सोनिया गांधी और राहुल गांधी के भी भरोसेमंद बन गए। वह राजीव गांधी के संसदीय सचिव भी थे। कांग्रेस आलाकमान या कांग्रेस की सरकार को जब भी जरूरत पड़ी ऑस्कर हमेशा उपलब्ध रहे। चाहे उत्तर-पूर्व में विद्रोहियों से बातचीत जैसा सरकारी मसला हो या पार्टी का, किसी भी परिस्थिति में वह इस परिवार या पार्टी की सेवा में हाजिर रहे।
पार्टी में 'ब्रदर ऑस्कर' के नाम से लोकप्रिय थे
एक स्कूल टीचर के बेटे फर्नांडिस दो बार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष की भूमिका भी निभा चुके थे और पार्टी कार्यकर्ताओं में उनकी गहरी पैठ थी। वह एआईसीसी में भी कई बड़ी भूमिका निभा चुके थे, जिनमें पार्टी महासचिव का पद भी शामिल है। गांधी-नेहरू परिवार से उनकी इतनी निकटता थी कि वे नेशनल हेराल्ड के 6 ट्रस्टियों में भी शामिल रहे। आलाकमान से इशारा मिलने भर की देर होती थी, वह देर रात तक भी उस काम को निपटा कर ही मानते थे। यही वजह है कि पार्टी के लोगों पर उनकी ऐसी छाप पड़ी कि वह 'ब्रदर ऑस्कर' के नाम से लोकप्रिय हो गए।
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कुचिपुड़ी नृत्य में पारंगत थे ऑस्कर फर्नांडिस
27 मार्च, 1941 को जन्मे फर्नांडिस की शुरुआती शिक्षा उडुपी के बोर्ड हाई से हुई और उडुपी के ही महात्मा गांधी मेमोरियल कॉलेज से ही उन्होंने ग्रैजुएशन किया था। मैंगलोर यूनिवर्सिटी ने 2010 में उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी दी थी। राजनीति में उनकी एंट्री यूथ कांग्रेस से हुई और 1972 में उडुपी नगर निकाय के लिए भी चुने जा चुके थे। वह योग के प्रति भी समर्पित थे और संसद में भी नैचुरोपैथी समेत बाकी भारतीय चिकित्सा पद्धति के पक्ष अपनी राय रख चुके थे। यही नहीं वह परंपागत कुचिपुड़ी और यक्षगान नृत्यों में भी पारंगत थे। वह पार्टी के सहयोगी वीरप्पा मोइली के साथ मंच पर भी परफॉर्म कर चुके थे। (सभी तस्वीरें-फाइल)