ग्रीनपीस की प्रिया पिल्लई देश की आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा!
नई दिल्ली। रविवार को एनजीओ ग्रीनपीस इंडिया की एक सीनियर एक्टिविस्ट प्रिया पिल्लई उस समय हैरान रह गईं जब उन्हें वैध वीजा और पासपोर्ट के बावजूद लंदन जाने की इजाजत नहीं दी गई। प्रिया 14 जनवरी को वे लंदन में ब्रिटिश सांसदों को संबोधित करने वाली थीं। जहां वह भारत में कोयला खदान की वजह से वनवासी समुदाय के अधिकारों के उल्लंघन के बारे में जानकारी देने वाली थीं। उन्हें ब्रिटिश सांसदों की ओर से मध्यप्रदेश के जंगल में स्थानीय समुदाय के साथ चलाए जा रहे अभियान के बारे में जानकारी साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया था।
आईबी की रिपोर्ट के बाद कार्रवाई
उनके पासपोर्ट पर 'ऑफलोडेड' का स्टैंड लगाकर उन्हें बैंरग वापस लौटा दिया गया। अभी तक गृहमंत्रालय की ओर से इस पूरे घटनाक्रम पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है। सरकार इंटेलीजेंस ब्यूरो की उस रिपोर्ट को लेकर काफी गंभीर है जिसमें कहा गया है कि ग्रीनपीस भारत की अर्थव्यवस्था को अस्थिर करके देश को एक बड़े खतरे की ओर धकेलना चाहता है।
अर्थव्यवस्था
को
अस्थिर
करने
की
कोशिशें
इंटेलीजेंस
ब्यूरो
की
रिपोर्ट
में
एनजीओ
के
कुछ
एक्टिविस्ट्स
का
हवाला
दिया
गया
है
जो
न्यूक्लियर
और
कोल
प्लांट्स
के
खिलाफ
विरोध
प्रदर्शनों
में
शामिल
रहे
हैं।
इन
विरोध
प्रदर्शनों
के
जरिए
उनका
मकसद
देश
की
अर्थव्यवस्था
को
असंतुलित
करना
था।
इंटेलीजेंस ब्यूरो के अधिकारियों की मानें तो प्रिया पिल्लई की लंदन यात्रा देशहित में नहीं थी। सूत्रों की मानें तो ग्रीनपीस पिछले काफी समय से इंटेलीजेंस ब्यूरों की नजरों में है। अधिकारियों की मानें तो न सिर्फ ग्रीनपीस बल्कि कई एनजीओ ऐसे हैं जो देश में विकासशील परियोजनाओं के खिलाफ विरोध करने के मकसद से देश में मौजूद हैं ताकि देश की जीडीपी को नुकसान उठाना पड़े।
ग्रीनपीस से जुड़े होने की वजह पिल्लई के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया गया था। आईबी अधिकारियों के मुताबिक वह लंदन जिस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जा रही थीं वह देश हित में नहीं था। आईबी के एक अधिकारी के मुताबिक लंदन में वह जो बातें करने वाली थीं वह एक ऐसी संस्था के बारे में थीं जो ब्लैकलिस्टेड है।
एनजीओ देश के लिए बड़ा खतरा
आईबी के अधिकारियों के मुताबिक गृहमंत्रालय की ओर से उनकी रिपोर्ट को काफी गंभीरता से लिया गया है। देश की आर्थिक सुरक्षा के लिए यह एनजीओ बड़ा खतरा है और ऐसे में इसकी सुरक्षा काफी अहम है। आईबी ने ग्रीनपीस पर आरोप लगाया है कि वह देश की व्यवस्था को बदलने के लिए कानूनों का उल्लघंन कर रही है।
विवादित संस्था ग्रीनपीस
आईबी अधिकारियों की मानें पिछले कुछ वर्षों में ग्रीनपीस ने देश में कई विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया है। ग्रीन पीस वह एनजीओ है जो देश की आर्थिक सुरक्षा को मुश्किल में डालने की कोशिशों में लगा हुआ है।
आईबी की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रीनपीस भारत में विदेशों से आने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं का फायदा पहुंचा रहा है। इतना ही नहीं एनजीओ फॉरेन कांट्रीब्यूशन एक्ट 2010 ( एफसीआरए) का भी उल्लंघन किया है।
ग्रीनपीस ने मांगा गृह मंत्रालय से जवाब
ग्रीनपीस की ओर से इस घटना पर काफी तेजी से प्रतिक्रिया आई है। ग्रीनपीस की ओर से कहा गया है कि यह दूसरी बार है जब एनजीओ के किसी कर्मचारी को एयरपोर्ट पर इस तरह से रोका गया है।
ग्रीनपीस की ओर गृहमंत्रालय को एक नोटिस भेजकर इस घटना पर कानूनी रुप से जवाव मांगा गया है। नोटिस में कहा गया है कि गृह मंत्रालय उसे यह जवाब दे कि उसकी कर्मी प्रिया पिल्लई को देश छोड़ने से क्यों रोका गया वह भी तब जब उनके पास एक वैध बिजनेस वीजा था।