क्यों विनोद राय के संजय निरुपम से माफी मांगने से CAG की प्रतिष्ठा गिरी है ?
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर: पूर्व सीएजी विनोद राय ने मानहानि के एक मुकदमे में कांग्रेस नेता संजय निरुपम से बिना शर्त लिखित माफी मांग ली है। मामला 2जी घोटाले से संबंधित है, जिसमें राय ने निरुपम पर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को लेकर एक गलत आरोप लगा दिया था। गौरतलब है कि यूपीए-2 की सरकार जिन बड़े घोटालों की वजह से बुरी तरह घिर गई थी, उसमें 2जी घोटाला भी शामिल है, जिसमें सीएजी की रिपोर्ट ने उसकी जड़ें हिला डाली थी। स्पेशल कोर्ट में उस घोटाले के सारे आरोपी बरी हो चुके हैं, अब सीबीआई दिल्ली हाई कोर्ट पहुंची हुई है। लेकिन, जिस तरह से इस मामले में पूर्व सीएजी ने एक आरोप में माफी मांगी है, उससे इस संवैधानिक संस्था की प्रतिष्ठा सवालों के घेरे में आ गई है।
विनोद राय ने संजय निरुपम से मांगी माफी
11 साल पहले 1.76 लाख करोड़ रुपये के 2जी घोटाले का खुलासा करके भारत के तत्कालीन नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने देश की राजनीति और कारोबार जगत में भूचाल ला दिया था। लेकिन, यह केस आज की तारीख में खोदा पहाड़ निकली चुहिया टाइप ही नजर आ रहा है। उस समय के सीएजी विनोद राय ने मुंबई कांग्रेस के नेता संजय निरुपम से मानहानि के केस में बिना-शर्त माफी मांग ली है। राय को इस मामले में इसलिए माफी मांगनी पड़ी है, क्योंकि उन्होंने निरुपम पर आरोप लगाया था कि उन्होंने सीएजी रिपोर्ट में घोटाले से तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम बाहर रखने के लिए उनपर दबाव डाला था।
माफीनामे से सवालों के घेरे में पूर्व सीएजी विनोद राय
अपने माफीनामे में विनोद राय ने लिखा है, 'मैंने महसूस किया है कि प्रश्नकर्ताओं के सवाल के जवाब में मैंने अनजाने में और गलत तरीके से श्री संजय निरुपम के नाम का उल्लेख किया था।' 2जी घोटाले में जो बड़े नाम सामने आए थे, उनमें तत्कालीन टेलीकॉम मंत्री ए राजा, डीएमके सांसद कणिमोझी, पूर्व टेलीकॉम सेकरेटरी सिद्धार्थ बेहुरा शामिल थे। इसके अलावा यूनिटेक के एमडी संजय चंद्रा समेत बाकी और दर्जनों नाम थे। इस केस में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट से जब सभी आरोपी बरी कर दिए गए तो सीबीआई ने दिल्ली हाई कोर्ट में फिर से अपील डाली है। लेकिन, जिस तरह से इस मामले में विनोद राय ने माफीनामा जारी किया है, उससे इस संवैधानिक पद की प्रतिष्ठा पर आंच जरूर आई और इस संवैधानिक संस्था की ओर खासकर प्राकृतिक संसाधनों को लेकर रिपोर्ट तैयार करने के तरीके पर संदेह पैदा हुआ है।
टेलीकॉम सेक्टर पर बहुत बड़ी चोट लगी
सबसे बड़ी बात ये है कि सीएजी रिपोर्ट की वजह से टेलीकॉम सेक्टर पर तब बहुत बड़ी चोट लगी थी। इस रिपोर्ट के चलते ही सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में 2जी स्पेक्ट्रम के 122 लाइसेंस रद्द कर दिए थे। इसका परिणाम ये हुआ कि इस क्षेत्र में काम करने वाली विदेशी कंपनियां, जैसे कि नॉर्वे की टेनीलॉर, रूस की सिस्तेमा, यूएई के एतिसलैट और बहरीन टेलीकॉम भारत से पलायन कर गईं, जिससे निवेशकों की भावना को बहुत नुकसान हुआ। इस बात में कोई शक नहीं कि प्राकृतिक संसाधनों के वितरण में भ्रष्टाचार हावी रहा है और इसके सबसे बड़ी वजह राजनेता ही माने जाते हैं, लेकिन इस मामले को जिस तरह से उस समय सामने लाया गया, उससे कम से कम आज तक तो यही लग रहा है कि इससे राजनीतिक भूचाल से ज्यादा कुछ भी हाथ नहीं लग पाया।
इसे भी पढ़ें- योगी सरकार का दिवाली गिफ्ट, कर्मचारियों को बोनस का ऐलान
विनोद राय के चलते सीएजी की प्रतिष्ठा पर असर
अपने गौरवशाली अतीत के बावजूद आज की तारीख यह कहती है कि देश के दूर-संचार क्षेत्र की स्थिति ऐसी है जिसमें तीन ही कंपनियां मौजूद हैं, जिनमें से भी दो तो कर्ज के बोझ तले दबी हैं। इन्हें अगले और कुछ साल तक सरकार की सहायता पर ही निर्भर रहना पड़ सकता है। उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य के सीएजी सरकारी सौदों में शामिल सरकारों और नौकरशाहों के भ्रष्टाचार का पता लगाने के उद्देश्य से ही रिपोर्ट तैयार करेंगे। विनोद राय ने बिना तथ्य के आधार पर किसी व्यक्ति पर जो आरोप लगा दिए, उसपर उन्होंने तो माफी मांग ली है, लेकिन इसके चलते इस संस्था के सम्मान को जो आघात पहुंचा है, उससे उबरना मुश्किल है।