विद्या बालन ने क्यों कहा- वो ख़ुद को धार्मिक नहीं बताना चाहतीं
जानी-मानी अभिनेत्री विद्या बालन का कहना है कि धर्म और विज्ञान में टकराव होने की बजाय दोनों एक साथ भी रह सकते हैं. विद्या बालन ने समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू कहा कि एक व्यक्ति की पहचान कई तरह की हो सकती है. लेकिन जिस तरह से लोग धर्म को अपनी सुविधानुसार तोड़-मरोड़ के देखते हैं, वो अपने आप में बड़ी समस्या है.
जानी-मानी अभिनेत्री विद्या बालन का कहना है कि धर्म और विज्ञान में टकराव होने की बजाय दोनों एक साथ भी रह सकते हैं.
विद्या बालन ने समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू कहा कि एक व्यक्ति की पहचान कई तरह की हो सकती है. लेकिन जिस तरह से लोग धर्म को अपनी सुविधानुसार तोड़-मरोड़ के देखते हैं, वो अपने आप में बड़ी समस्या है.
विद्या कहती हैं, "मुझे लगता है कि जिस तरह से लोग धर्म की व्याख्या कर रहे हैं, वही समस्या है. मैं कई लोगों को जानती हूं जो ख़ुद को धार्मिक कहने से बचते हैं. मैं उनमें से एक हूं. मुझे हमेशा से ऐसा लगता था कि मैं किसी को बताना नहीं चाहती कि मैं धार्मिक हूं. मैं हमेशा ख़ुद को अध्यात्मिक बताती हूं."
"धर्म को एक नकारात्मक चीज़ की तरह देखा जाने लगा है, क्योंकि धार्मिक होना असहिष्णु होने के समान हो गया है."
फ़िल्म मंगल मिशन में विद्या बालन तारा शिंदे की भूमिका में हैं और उनका किरदार विज्ञान पर तो विश्वास करता ही है लेकिन विज्ञान से परे ईश्वर की शक्ति पर भी विश्वास करता है.
विद्या बालन ने ये भी कहा कि "मैं" बनाम "तुम" की ये बहस लगातार बढ़ रही है और इससे "हम" की अवधारणा कमज़ोर हो रही है.
विद्या कहती हैं, "ऐसा केवल हमारे देश में नहीं हो रहा है. पूरी दुनिया "तुम" बनाम "मैं" की लड़ाई में उलझी हुई है. इसका नतीजा यह हुआ है कि "हम" की अवधारणा कमज़ोर पड़ रही है.'' मैं हैरान हूं कि ऐसा क्यों है? संसाधान कम हैं या फिर संसाधनों तक कम लोगों की पहुंच है. या फिर लोगों की चाहत है कि वो संसाधन उन्ही के साथ बांटना चाहते हैं जिन्हें वो धर्म, भाषा और क्षेत्र या नस्ल के आधार पर अपने क़रीब पाते हैं. और शायद इस कारण लोग गोलबंद हो रहे हैं... मुझे नहीं पता क्या है."
विद्या कहती हैं, "हम लोगों को ख़ुद से ये सवाल करने की ज़रूरत है कि हमारे विचार कितने स्वतंत्र हैं. आज़ादी कहां है? मुझे लगता है कि हम स्वतंत्र तो रहना चाहते हैं लेकिन दूसरों को अपने नियंत्रण में रखना भी चाहते हैं. मेरे लिए यह आज़ादी नहीं है.... कई ग़लत बातें हैं जो हमारे सामने घट रही हैं और जिन्हें देख कर ग़ुस्सा आता है. ट्विटर पर ही देख लीजिए, जो कुछ भी कहा जाता है उससे लोग बुरा मान जाते हैं."
फ़िल्म मिशन मंगल स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त को रिलीज़ हुई है. फ़िल्म में अक्षय कुमार, विद्या बालन, तापसी पन्नू, सोनाक्षी सिन्हा, नित्या मेनन, कीर्ती कुल्हारी मुख्य भूमिका में हैं.
विद्या कहती हैं कि उनका किरदार कुछ ऐसा है कि वो एक गृहणी के तौर पर अपने अनुभवों को अपने काम में इस्तेमाल करने की कोशिश करती हैं.
वो कहती हैं कि अपने किरदार को निभाने के लिए उन्होंने निर्देशक जगन शक्ति के किए शोध पर पूरा भरोसा किया है.
"मैंने निर्देशक की बहन से बात की जो इसरो में काम करती हैं. मेरे लिए ये समझना बेहद ज़रूरी था कि वो अपने घर और दफ्तर यानी और एक वैज्ञानिक के तौर पर अपनी भूमिका और एक गृहिणी के तौर पर अपने काम के बीच संतुलन कैसे कर पाती हैं."
"फ़िल्म के लिए जगन ने सैंकड़ों वैज्ञानिकों से मुलाक़ात की थी और मुझे लगता है कि उन्होंने मिशन के लिए ज़रूरी जानकारी एकत्र की. इसके बाद आर बाल्की, जगन और टीम ने मिल कर मिशन मंगल के आधार को समझने की कोशिश की."
ये फ़िल्म भारत के मंगल तक पहुंचने के सफ़र यानी मार्स ऑर्बिटर मिशन (मंगलयान) की सफल उपलब्धि दिखाती है. विद्या मानती हैं कि इस तरह की और भी कहानियों पर फ़िल्में बननी चाहिए.
राष्ट्रवाद और सिनेमा के एक साथ आने के मुद्दे पर विद्या कहती हैं "राष्ट्रवाद सिनेमा में होना चाहिए न की सिनेमा के बाहर सिनेमा हॉल में."
"ऐसी कई चीज़ें हैं जिन पर भारतीय गर्व कर सकते हैं, लेकिन हम ऐसा नहीं करते. जब आप पूरी दुनिया में घूमते हैं तभी आपको पता चलता है कि संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता के मामले में भारत कितना धनी है."
विद्या बालन कहती हैं, "इसे बनाए रखने, इसका प्रचार करने के कई तरीक़े हैं. इसके ज़रिए पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जा सकता है. हमें अपने देश के होने की ख़ुशी मनानी चाहिए."