मोदी सरकार बनाम आरबीआई: ये चार कारण जिसकी वजह से उर्जित पटेल ने दिया इस्तीफा
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल ने अपने पद से सोमवार शाम को इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया। पिछले कुछ महीनों से सरकार और आरबीआई के बीच जबरदस्त टकराव चल रहा था, जिसके बाद गवर्नर उर्जित पटेल को बार-बार सरकार को जवाब देना पड़ रहा था। अब तक कर्ज में डूबते सरकारी बैंकों, तेल की बढ़ती कीमतों और लुढ़कते रुपया से लेकर घाटे में जा रही फाइनेंस कंपनियों जैसी नाकामियों का ठिकरा सरकार और आरबीआई एक दूसरे पर फोड़ रही थी। हालांकि, आरबीआई और सरकार के बीच का टकराव बहुत व्यापक स्तर पर पहुंच गया था, जिसके चलते अक्टूबर में ही ऐसा लगने लग गया था कि शायद पटेल गवर्नर पद से इस्तीफा दे सकते हैं। खबर तो यह भी थी की सरकार के साथ चली तनातनी के बीच पटेल के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा था।
एनपीए पर विवाद
आरबीआई और सरकार के बीच सबसे बड़ा विवाद एनपीए को लेकर खड़ा हुआ था। इस साल फरवरी में जब केंद्रीय बैंक ने बैड लोन के लिए एक नॉन-नेगोशिएबल नोटिफेकेशन जारी किया था। भारतीय रिजर्व बैंक के आदेश ने एनपीए को पुन: वर्गीकृत किया और ऋण पुनर्गठन के नए मानदंड निर्धारित किए। आरबीआई ने AN NPA को लोन घोषित करने के लिए 180 दिने की समय सीमा तय की थी। आरबीआई के नए नियमों के मुताबिक, 180 दिनों में एनपीए का समाधान नहीं हुआ तो बैंक को 15 दिनों में कंपनी के खिलाफ दिवालिया कार्रवाई के लिए जाना होगा। सरकार ने आरबीआई के नए नियमों का कड़ा विरोध जताते हुए कहा था कि इससे पब्लिक सेक्टर के बैंकों को नुकसान पहुंचेगा।
इंटरेस्ट रेट
सरकार चाहती है कि आरबीआई ब्याज दरों में कटौती करे। सरकार इसे भारतीय अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक प्रोत्साहन देने की आवश्यक के रूप में मान रही थी। लेकिन आरबीआई के पास इस मामले पर एक अलग विचार है। आरबीआई ने न केवल प्रमुख ब्याज दरों को कम करने से इंकार कर दिया बल्कि ब्याज दरों को भी बढ़ा दिया, जिससे स्पष्ट साबित होता है कि आरबीआई वित्त मंत्रालय के खिलाफ काम कर रहा है या दोनों के बीच तनातनी चल रही है।
नीरव मोदी-पीएनबी स्कैम
इसी साल पंजाब नेशनल बैंक से 14,000 करोड़ रुपये का घोटाला सामाना आया था, जिसे हीरा व्यापारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने अंजाम दिया। मेहुल चोकसी और नीरव मोदी ने पीएनबी को जमकर नुकसान पहुंचाया और इसके लिए सरकार सीधे रूप से आरबीआई को भी आड़े हाथ ले लिया। इस दौरान पटेल ने पब्लिक सेक्टर के बैंको पर निगरानी रखने के लिए अधिक शक्तियों की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि प्राइवेट सेक्टर के बैंकों पर आरबीआई की अधिक शक्तियां हैं, जबकि पब्लिक सेक्टर के बैंकों पर नहीं।
आरबीआई के खिलाफ सेक्शन 7 का इस्तेमाल
सरकार और आरबीआई के बीच टकराव की स्थिति इतनी बढ़ गई की केंद्रीय बैंक के खिलाफ मोदी सरकार को सेक्शन 7 का इस्तेमाल करना पड़ा। आरबीआई के खिलाफ सेक्शन 7 को सरकार के ब्रह्मास्त्र के रूप में देखा जाता है। आरबीआई के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब किसी सरकार ने उनके खिलाफ सेक्शन 7 का इस्तेमाल करना पड़ा। सेक्शन 7 का इस्तेमाल कर केंद्र सरकार सार्वजिनक हित के लिए आरबीआई को खास तरह के निर्देश दे सकती है या अपनी बात मनवाने के लिए देश की सबसे बड़ी बैंक पर दबाव डाल सकती है। जानकारों की मानें तो इन तमाम विवादों के बीच उर्जित पटेल को सेक्शन 7 ने सबसे ज्यादा हैरान किया है।
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