गलवान घाटी में 15 जून को क्यों हुई थी खूनी हिंसक झड़प ? पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह ने किया बड़ा खुलासा
गलवान घाटी में 15 जून को क्यों हुई थी खूनी हिंसक झड़प ? पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह ने किया बड़ा खुलासा
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर जारी भारत और चाइना के टकराव के बीच पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह ने 15 जून को गलवाल घाटी पर हुई हिंसक झड़प के संबंध में बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने इस रहस्य से पर्दा खोला कि आखिर उस रात गालवाल घाटी पर क्या हुआ था जिसके कारण भारत और चाइना के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई?
गलवान घाटी में 15 जून की रात कैसे खूनी झड़प हुई?
पूर्व सेना प्रमुख और वर्तमान केन्द्रीय मंत्री वीके सिंह ने पूर्वी लद्दाख के गलवाल घाटी में भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प की वजह को लेकर बड़ा दावा किया। वीके सिंह ने बताया कि गलवान घाटी में 15 जून की रात कैसे खूनी झड़प हुई? उन्होंने कहा कि चाइना के सैनिकों के तंबू में अचानक आग लगी जिसके बाद हालात बिगड़े और कुछ ही देर में भारत और चाइना के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प शुरू हो गई। वीके सिंह के अनुसार, अभी यह साफ नही हुआ हैं कि चीनी सैनिकों ने तंबू में ऐसा क्या रखा हुआ था जिससे आग लगी।
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चाइना सैनिकों ने इसलिए लगाए थे तंबू
सेना के पूर्व प्रमुख ने बताया कि विगत 15 जून की रात जब कमांडिंग ऑफिसर संतोष बाबू पेट्रोलिंग प्वांइट 14 पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि चीन ने तब तक वहां से तंबू नहीं हटाए थे। जबकि दोनों देश के सेना के शीर्ष अधिकारियों के बीच हुई बातचीत में तय हुआ था कि तंबू को हटा लिया जाएगा। केंद्रीय मंत्री वीके सिंह के मुताबिक, चीनी सेना ने तंबू भारतीय सेना से इजाजत लेकर लगाया था, ताकि वो देख सके कि हम पीछे गए या नहीं। कमांडिंग ऑफीसर ने इसके बाद चीनी सैनिकों से तंबू हटाने के लिए कहा। चीनी जवान जब तंबू हटा रहे थे कि अचानक एक तंबू में आग लग गई। वीके सिंह ने कहा कि चीनियों ने तंबू में क्या रखा हुआ था। सिंह ने कहा कि इसके बाद ही सैनिकों के बीच पहले बहस हुई और बाद में हिंसक झड़प में बदल गई।
वीके सिंह ने बताया उस रात का पूरा घटनाक्रम
बता दें, वीके सिंह का यह दावा अब तक जो हिंसक झड़प की वजह बताई गई उससे बिलकुल अलग है, क्योंकि अभी तक जारी सरकारी बयानों और मीडिया रिपोर्ट में ये कहा जा रहा था कि चीनी सैनिकों के पीछे न हटने पर दोनों ओर के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। पूर्व सेनाध्यक्ष ने कहा कि झड़प के दौरान चीनी सैनिकों ने और जवानों को बुलाया। इस झड़प के दौरान हमारे लोग चीनी सेना के उपर हावी हो गए। चीन ने अपने और लोग बुलाए और हमारे सैनिकों ने अपने सैनिकों को बुला लिया। चीन के लोग जल्दी आ गए, फिर हमारे लोग आए। अंधेरे में 500 से 600 लोगों के बीच झड़प हुई। इसमें भारतीय पक्ष के 20 जवान शहीद हो गए। वहीं, इस घटना में चीन के भी 43 जवान हताहत हुए। दावा किया जा रहा है कि चीनी सैनिकों के हताहत होने की संख्या अधिक भी हो सकती है। उन्होंने ये भी कहा कि चीन कभी नहीं बताएगा कि कितने लोग हताहत हुए। कितने लोग उस रात मरे या नहीं मरे।
चीन क्यों पेट्रोलिंग प्वांइट 14 पर क्यों करना चाहता है कब्जा
वीके सिंह ने बताया कि गलवान नदी का सात से 8 किमी का क्षेत्र भारत के पास है जहां कि हमारा पेट्रोलिंग प्वांइट 14 स्थित है। ये पेट्रोलिंग प्वांइट 14 का क्षेत्र भारत के पास साल 1962 से ही है। पूर्व सेनाध्यक्ष ने बताया कि भारत और चाइना के बीच यह विवाद तब शुरू हुआ जब श्योक नदी के साथ-साथ एक सड़क बनाई गई जो सड़क दौलत बेग ओल्डी तक जाती है। वीके सिंह पहले यहां तक जाने में सेना को पन्द्रह दिन लगते थे, लेकिन ये सड़क बन जाने के बाद से महज दो दिनों में ये रास्ता पार किया जाने लगा। चूंकि चीनी सैनिकों को यह सड़क नहीं दिखाई दे रही थी, जिसके बाद चीनी सैनिक भारतीय क्षेत्र में घुस आए और अपने तंबू लगा लिए। पूर्व सेना प्रमुख ने बताया कि चीनी सैनिकों की इस हरकत पर भारतीय जवानों ने उन्हें रोक दिया।
चीन हमेशा अपने क्लेम लाइन को आगे बढ़ा-चढ़ाकर बताता रहा हैं
वीके सिंह ने कहा कि चीन के सैनिक पीपी-14 के उस तरफ हैं और हमारे सैनिक भी इस तरफ हैं। भारतीय सेना लगाता ये कोशिश कर रही है कि चाइना की सेना इधर न आ सके और उनकी नजर श्लोक के साथ की सड़क पर न पड़ने देना है। उन्होंने कहा कि चीन की एक खासियत रही है कि वह हमेशा अपने क्लेम लाइन को आगे बढ़ा-चढ़ाकर बताता रहा हैं। वहां की सरकार ने 1959 में भारतीय प्रधानमंत्री को एक नक्शा दिया था। इस नक्शे को आप जमीन पर उतारने की कोशिश करेंगे तो दिक्कत होती है।