देशद्रोहियों के दोस्त हुए स्वामी अग्निवेश
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) आर्य समाजी नेता स्वामी अग्निवेश और देशद्रोही यासिन मलिक में इतना घरोपा कैसे हो गया ? किसी को समझ नहीं आ रहा कि आखिर स्वामी अग्निवेश इस समय कश्मीर में यासिन मलिक के साथ विरोध करने क्यों गये?
एक सवाल ये भी कि कश्मीरी पंडितों की वापसी से अग्निवेश जी को क्या समस्या है? अगर उनकी कॉलोनी बनती है और वे एक जगह स्वयं को सुरक्षित महसूस करते हैं तो इसके विरोध का क्या कारण हो सकता है? उस कॉलोनी में कोई मुसलमान बसना चाहे तो उसके निषेध की बात तो न कश्मीरी पंडित कह रहे हैं न सरकार कह रही है।
कश्मीरी पंडितों की वापसी
वरिष्ठ लेखक अवधेश कुमार ने ठीक ही पूछा कि क्या कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए कभी यासिन मलिक ने कोई धरना दिया हो, तथाकथित भूख हड़ताल किया हो। स्वामी अग्निवेश ने हो सकता है कि किसी संगठन के धरने वगैरह में कभी शिरकत कर दी हो, पर वे इनके संघर्ष के अंग कभी नहीं रहे। इसलिए आज यह पूछना आवश्यक है कि आखिर उन्हें यासिन मलिक एवं अन्य अलगाववादियों में ऐसा क्या नैतिक न्यायसंगत दिखा जो वे तक चले गए?
कहने वाले ये भी कह रहे हैं कि अन्ना अभियान में एक बार फोन टेप खुलासे के इन चार वर्षों में उनके लिए सुर्खियों में आने वाला कोई मंच नसीब नहीं हुआ। पिछली सरकार ने भी माओवादियों से बातचीत की उनकी मध्यस्थता खारिज कर दी। वर्तमान सरकार में तो खैर उनके लिए कोई जगह हो ही नहीं सकती। तो क्या वे कश्मीर इसीलिए गए हैं?
अलगाववादियों के साथ
स्वामी अग्निवेश की मोहब्बत वहां के अलगाववादियों के साथ हमेशा प्रदर्शित होती रही है। वह मोहब्बत दिल से होगा इसमें संदेह है। मानवाधिकार आदि के नाम पर उनकी आवाज अलगाववादियों के प़क्ष में जाती रही है।
मलिक साथ
राजनीतिक विश्लेषकों के गले से नहीं उतर रही ये बात कि स्वामी अग्निवेश अलगावादियों का साथ देने उनके घर चले गए। मलिक का साथ देने से उनको सुर्खियां भी मिल गईं और यासिन को यह कहने का आधार भी भारत के दूसरे हिस्से के लोग भी उसके साथ हैं।