ठिठुरती रात में किसानों का खेत की रखवाली करना चुनाव में भाजपा को पड़ सकता है भारी
नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव में अब महज कुछ महीने का समय बचा है, ऐसे में केंद्र सरकार हर संभव कोशिश कर रही है कि वह आगामी चुनाव को देखते हुए किसान वर्ग को अपनी ओर खींच सके। 2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद किसानों की एक बड़ी समस्या आवारा जानवर रहे हैं। एक तरफ जहां मोदी सरकार ने किसानों की आय को दोगुना करने की बात कही है तो दूसरी तरफ किसानों को अपनी फसल बचाने के लिए जूझना पड़ रहा है। सर्द रात में किसानों को हाथ में लाठी और टॉर्च लेकर खेत की निगरानी करनी पड़ रही है। किसान पहले से ही फसल की कम दाम को लेकर काफी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं ऐसे में सर्द रातों में आवारा जानवरों से फसल को बचाना एक और बड़ी चुनौती बन गई है।
दो बार वोट देने से पहले सोचेंगे
पिछले लोकसभा चुनाव में बड़ी संख्या में उत्तर भारत के किसानों ने नरेंद्र मोदी को वोट दिया था, लेकिन इस बार किसानों का कहना है कि वह वोट देने से पहले दो बार सोचेंगे। किसानों का कहना है कि मोदी सरकार की नीतियों की वजह से उन्हें काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, हमे खेत को बचाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। गौर करने वाली बात यह है कि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यूपी की 80 में से 73 सीटों पर जीत दर्ज की थी, भाजपा ने किसानों को वायदा किया था कि वह वह किसानों की आय को दोगुना करेंगे।
आसान नहीं है चुनौती
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले किसान 263 मिलियन किसानों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में संपन्न हुए चुनाव में भाजपा की हार ने पार्टी की मुश्किल को बढ़ा दिया है। इसकी बड़ी वजह यह है कि हिंदी भाषी राज्यों में पार्टी की यह हार खतरे की घंटी साबित हो सकती है। अधिकतर हिंदू गाय की हत्या को पाप मानते हैं पिछले कुछ समय में ट्रैक्टर और मशीनों की खरीद में इजाफा हुआ है। इससे साफ है कि किसान बैलों का इस्तेमाल करने से बच रहे हैं।
नीतियों के चलते समस्या
बता दें कि भारत दूध उत्पादन में सबसे बड़ा देश है, यहां तकरीबन 30 लाख जानवर हर वर्ष दूध देना बंद कर देते हैं। ऐसे में किसान इन जानवरों को मुस्लिम व्यापारियों को बेच देते थे। जिसमे से 20 लाख जानवरों को बांग्लादेश में निर्यात किया जाता था जिनका इस्तेमाल मीट और लेदर के लिए किया जाता था। लेकिन मोदी सरकार की नीतियों की वजह से इसपर रोक लग गई है। यही वजह है कि पिछले कुछ सालों में आवारा जानवरों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है।
छोटे किसानों का ज्यादा नुकसान
आपको बता दें कि करीबन 85 फीसदी किसानों की खेती 2 हेक्टेअर से कम है, ऐसे में अगर इन किसानों की थोड़ी सी भी फसल को जानवर नुकसान पहुंचाते हैं तो उन्हें काफी ज्यादा नुकसान का सामना करना पड़ता है। प्रदेश में तमाम किसान खेतों को बचाने के लिए लोहे के तार का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन यह तार काफी महंगा होता है लिहाजा हर किसी के लिए इसे लगाना आसान नहीं है। किसानों का कहना है कि 2014 के बाद से हम मोदी सरकार की तमाम किसान विरोधी नीतियों का सामना कर रहे हैं जिसकी वजह से हमे काफी नुकसान हो रहा है।
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