क्यों न पाकिस्तान घोषित हो टेररिस्ट स्टेट? जहां सरकार और सेना की है आतंकियों से है साठगांठ
नई दिल्ली- पाकिस्तान वैश्विक आतंकवादियों और उनके संगठनों को तो संरक्षण दे ही रहा है, अब उन्हें बचाने के लिए यूनाइटेड नेशन्स जैसे संगठन के साथ भी दादागीरी पर उतर आया है। भारत के दबाव में यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल (UNSC) में अभी मोस्ट वांटेड आतंकी मौलाना मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन, अब पाकिस्तान की ओर से जो हालात बनाए जा रहे हैं, उसके बाद यह सवाल उठने लाजिमी हैं कि क्यों न पाकिस्तान को ही 'आतंकवादी राष्ट्र' घोषित किया जाना चाहिए?
यूएन टीम के पाक आने में लगाया अड़ंगा
पाकिस्तान ने यूएन की एक टीम को वीजा देने से इसलिए मना कर दिया है, क्योंकि उसे पाकिस्तानी जमीन पर वहां की सरकार के संरक्षण में चलने वाले आतंकवादी गतिविधियों के खुलासे का डर है। दरअसल, यूएन की यह टीम मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का इंटरव्यू लेने पाकिस्तान आना चाहती है,जिसे संयुक्त राष्ट्र ने ग्लोबल टेररिस्ट घोषित कर रखा है। उसपर यूएनएससी 1267 के तहत पाबंदी लगी हुई है। दरअसल, हाफिज ने यह बैन हटाने की अर्जी दी थी और इसी सिलसिले में उससे पूछताछ होनी थी। पाकिस्तान को डर है कि कहीं हाफिज अपनी हरकतों के बारे में खुद ही न बोल बैठे, जिससे उसकी सारी पोल-पट्टी खुल सकती है। पाकिस्तान के इस रवैये के बाद हाफिज का विडियो इंटरव्यू लिया गया, लेकिन उसकी अर्जी खारिज करने की सिफारिश कर दी गई है।
परवेज मुशर्रफ ने माना भारत में धमाके करवाता है पाक
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने भी एक इंटरव्यू में कबूल किया है कि उनके कार्यकाल में पाकिस्तान जैश-ए-मोहम्मद की मदद से भारत में बम धमाके करवाता था। उन्होंने साफ किया है कि धमाकों में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का सीधा हाथ रहता था। यह वही आतंकी संगठन है, जो पुलवामा हमले का जिम्मेदार है। अगर पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अपनी सरकार के आतंकवादी धमाकों में शामिल होने और उसे आतंकवादियों के सहयोग से अंजाम देने की बात कह रहे हैं, तो क्यों नहीं पाकिस्तान को 'आतंकवादी राष्ट्र' घोषित किया जाना चाहिए?
इमरान सरकार भी आतंकवाद के खिलाफ ईमानदार नहीं
पुलवामा हमले के बाद से दुनिया पाकिस्तान के दो चेहरे देख रही है। एक चेहरा जो रिकॉर्डेड और ढेरों कट्स के साथ एडिटेड विडियो के रूप में वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान का है और दूसरे चेहरे में पाकिस्तान की पूरी सरकार, वहां की सेना और आईएसआई जैसे सरकारी आतंकी संगठन शामिल हैं। इमरान खान भारत से शांति का स्वांग रचते हैं और उनकी सरकार और सेना आतंकियों को बचाने के लिए कभी सीज फायर का उल्लंघन करती है, तो कभी भारतीय वायु क्षेत्र में फाइटर जेट एफ-16 (F-16) भेजकर सैन्य ठिकानों पर मिसाइल गिराने की कोशिश करती है।
अंतरराष्ट्रीय दबाव में इमरान विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को भारत को सौंपने के लिए राजी भी होते हैं, तो उनकी सेना भारत के जांबाज को रिहाई से पहले घंटों रोककर मानसिक प्रताड़ना देती है और जबरन अपने मन-माफिक विडियो बना लेती है। सबसे बड़ी बात की जिस समय इंडियन एयरफोर्स के विंग कमांडर को लेकर इमरान खान टीवी पर ज्ञान बांट रहे थे, उसी समय में उनकी सेना के अफसर खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में भारत के खिलाफ कबीलाई सेना की भर्ती में जुटे हुए थे। पाकिस्तान के इस दोहरे चेहरे के पीछे सिर्फ एक राज है और वह है आतंकवादियों को बचाना, जिसके खिलाफ आज सारी दुनिया भारत के साथ एकजुट है।
आतंकवादी सरगनाओं के लिए झूठ पर झूठ
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि पुलवामा हमले में जैश के हाथ होने का भारत सबूत दे,तो वे कार्रवाई करेंगे। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी एक टीवी इंटरव्यू में कबूल कर चुके हैं कि जैश का सरगना पाकिस्तान में ही है। लेकिन, पाकिस्तानी सेना ने इन दोनों को भी पूरी दुनिया के सामने झुठला दिया है। पाकिस्तानी सेना ने अपनी सरकार के बयान को नकार कर अब यह कहना शुरू कर दिया है कि "जैश ए मोहम्मद का पाकिस्तान में कोई अस्तित्व नहीं है। संयुक्त राष्ट्र और पाकिस्तान ने भी उसपर रोक लगा रखी है।"
अब सवाल उठता है कि जिस आतंकी संगठन का सरगना पाकिस्तान सरकार और सेना के संरक्षण में है, संयुक्त राष्ट्र के 15 बड़े देश उसे ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने की प्रक्रिया में जुटे हैं, उसके संगठन के वजूद को ही नकारना सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए खतरनाक है। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान से आतंकवाद की जड़ों को तभी पूरी तरह से उखाड़ फेंका जा सकता है, जब उस देश को ही 'आतंकवादी राष्ट्र' घोषित कर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की देखरेख में कार्रवाई शुरू की जाए।
इसे भी पढ़ें- हाफिज सईद को यूएन में लगा बड़ा झटका, जारी रहेगा प्रतिबंध