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अखिलेश को लेकर अचानक क्यों बदला शिवपाल का मन, क्या ये है 'घर वापसी' की असली वजह

अखिलेश यादव को लेकर यूंही नहीं बदला शिवपाल का मन, जानिए शिवपाल की 'घर वापसी' के तीन बड़े कारण...

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नई दिल्ली। कहते हैं कि राजनीति में कोई भी रिश्ता स्थाई नहीं होता। सियासी मौसम बदलते ही दोस्त कब दुश्मन बन जाए और दुश्मनी कब दोस्ती से प्यारी हो जाए, कहा नहीं जा सकता। इन दिनों यूपी की राजनीति में भी कुछ ऐसे ही बदलाव देखने को मिल रहे हैं। दरअसल, समाजवादी पार्टी से अलग होकर अपनी नई पार्टी बनाने वाले शिवपाल यादव ने बयान दिया है कि वो चाहते हैं कि नेताजी (मुलायम सिंह यादव) के जन्मदिन पर पूरा परिवार एक हो जाए और अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री बनें। शिवपाल के इस बयान को 'चाचा-भतीजे' के रिश्तों में नरमी के तौर पर देखा जा रहा है। आइए जानते हैं कि आखिर अखिलेश यादव को लेकर अचानक शिवपाल यादव का मन क्यों बदला?

खोई हुई जमीन वापस पाने की तरफ पहला कदम

खोई हुई जमीन वापस पाने की तरफ पहला कदम

सियासी जानकारों की मानें तो अखिलेश के प्रति शिवपाल यादव का रुख बदलने की सबसे बड़ी वजह यह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में शिवपाल ने समाजवादी पार्टी में अपनी मौजूदगी का एहसास करा दिया है। इस बात को अखिलेश भी समझ चुके हैं, लेकिन शिवपाल ने बड़ा दिल दिखाते हुए बातचीत की पहल अपनी तरफ से कर दी है। दरअसल लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को यूपी की ऐसी भी कई सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा, जो यादव बाहुल्य हैं और जिनपर सपा अभी तक जीत दर्ज करती रही है। फिर चाहे वो कन्नौज लोकसभा सीट हो या फिर बदायूं। ये दोनों सीटें सपा के गढ़ के रूप में जानी जाती हैं। सपा से कुछ नेताओं ने बताया कि इन सीटों पर स्पष्ट तौर पर समाजवादी पार्टी को शिवपाल यादव की संगठनात्मक क्षमता की कमी खली। जब शिवपाल यादव सपा में थे, तो उन्हें ही हर चुनाव में मैनेजमेंट संभालने की जिम्मेदारी मिलती थी। शिवपाल यादव ना केवल जमीनी नेताओं और कार्यकर्ताओं से लगातार संवाद बनाए रखते थे, बल्कि उनकी समस्याओं को सुनकर उनका तुरंत समाधान भी कराते थे। शिवपाल यादव अब अपनी ताकत का एहसास करा चुके हैं और यूपी में अपनी खोई हुई जमीन और सम्मान वापस पाना चाहते हैं।

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अकेले दम पर 'ना हो पाएगा'

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2019 के लोकसभा चुनाव में शिवपाल यादव यह भी देख चुके हैं कि अकेले दम पर चुनाव लड़कर वो कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे। लोकसभा चुनाव में शिवपाल यादव ने यूपी की तीन सीटों को छोड़कर सभी जगह अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारे थे। ज्यादातर सीटों पर उनकी पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई और शिवपाल की पार्टी एक भी सीट हासिल नहीं कर पाई। शिवपाल यादव खुद भी फिरोजाबाद सीट से चुनाव हार गए और उन्हें महज 91 हजार वोट ही मिले। 2019 के लोकसभा चुनाव में यादव वोटों के बिखराव को देखकर शिवपाल यह समझ चुके हैं कि अगर वो सपा से अलग रहकर 2022 के विधानसभा चुनाव में उतरते हैं, तो अपना बेस वोट भी खो देंगे। शिवपाल राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं और वो ये बात अच्छी तरह जानते हैं कि अपने बेस वोट को तभी एकजुट किया जा सकता है, जब वो समाजवादी पार्टी से मिलकर चुनाव लड़ें। शिवपाल की निगाहें 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव पर लगी हैं और इससे पहले ही वो अपना बेस वोट मजबूत करना चाहते हैं।

मजबूत विपक्षी मोर्चा बनाने की तैयारी

मजबूत विपक्षी मोर्चा बनाने की तैयारी

अखिलेश यादव ने 2019 का लोकसभा चुनाव बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था। हालांकि इस महागठबंधन का कोई फायदा सपा को नहीं मिला और वो लोकसभा की केवल 5 सीटें ही हासिल कर पाई। इस चुनाव के तुरंत बाद ही सपा-बसपा का महागठबंधन टूट गया और यूपी उपचुनाव में अकेले उतरकर समाजवादी पार्टी ने 11 में से 3 सीटों पर जीत हासिल की। उपचुनाव में बसपा को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली। लोकसभा चुनाव के बाद इन बदली हुई परिस्थितियों में शिवपाल यादव कहीं ना कहीं समाजवादी पार्टी को सामने रखकर एक मजबूत विपक्षी मोर्चा बनाने की कोशिश में हैं। वैसे भी पहले 2017 के विधानसभा चुनाव और फिर 2019 की हार ने शिवपाल और अखिलेश को एक दूसरे की अहमियत का अंदाजा करा दिया है। शिवपाल यादव ने अगर यह बयान दिया है कि उनकी मंशा अखिलेश यादव को सीएम की कुर्सी पर बैठा हुआ देखने की है, तो देर-सवेर सपा अध्यक्ष भी चाचा को लेकर अपने बदले हुए रुख के संकेत दे सकते हैं।

मुलायम के जन्मदिन पर मिल सकती है बड़ी खबर

मुलायम के जन्मदिन पर मिल सकती है बड़ी खबर

आपको बता दें कि पिछले काफी समय से समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव के बीच सुलह की कोशिश परिवार के ही सदस्यों द्वारा की जा रही हैं। खुद सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव भी कई बार शिवपाल यादव को पार्टी में वापस लिए जाने की वकालत कर चुके हैं। अखिलेश यादव ने भी पिछले दिनों कहा था कि अगर शिवपाल यादव दोबारा समाजवादी पार्टी में आना चाहें तो हम खुले दिल से उन्हें स्वीकार करेंगे। अखिलेश ने कहा कि सपा में जो आना चाहे, उसके लिए पार्टी के दरवाजे खुले हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि 22 नवंबर को मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर अखिलेश और शिवपाल के बीच सुलह को लेकर कोई बड़ी खबर मिल सकती है।

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English summary
Why Shivpal Yadav Changed His Mind About Akhilesh Yadav.
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