रिया चक्रवर्ती को NDPS ऐक्ट में सजा मिलने की संभावना क्यों बहुत ही ज्यादा है, रिकॉर्ड देखिए
नई दिल्ली- अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती कहती रही हैं कि उन्होंने कभी भी ड्रग नहीं लिया है, लेकिन एनसीबी ने उन्हें जिन धाराओं के तहत गिरफ्तार किया है, उसमें से एक धारा बहुत ही संगीन है। उस धारा में अगर अदालत उन्हें दोषी ठहराती है तो उन्हें कम से कम 10 साल की कठोर सजा मिल सकती है। लेकिन, रिया के लिए टेंशन की बात ये हो सकती है कि मुंबई में ड्रग्स के छोटे-मोटे मामले में सजा मिलने का रिकॉर्ड बहुत ही ज्यादा है। अलबत्ता बड़ी मछलियां अक्सर बच निकलती हैं। इस केस में भी अबतक कोई भी बड़ा ड्रग डीलर नहीं पकड़ा गया है और खुद एनसीबी ने कहा है कि उन्हें बड़ी मछलियों की तलाश है। ऐसे में आइए देखते हैं कि यह केस आखिर क्यों चक्रवर्ती परिवार और रिया पर काफी भारी पड़ सकता है।
रिया चक्रवर्ती के खिलाफ हैं पुख्ता सबूत-एनसीबी
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने सबूतों के आधार पर एनडीपीएस ऐक्ट के कुछ बेहद संगीन धाराओं में रिया चक्रवर्ती के खिलाफ केस दर्ज किया है। उनपर जिस तरह की धाराएं लगाई गई हैं, उसके मुताबिक दोषी पाए जाने पर उन्हें 10 साल तक की सजा हो सकती है। रिया चक्रवर्ती और उनके भाई शौविक चक्रवर्ती पर दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के लिए उनके दो स्टाफ सैमुअल मिरांडा और दीपेश सावंत के जरिए ड्रग्स के गोरखधंधे में शामिल रहने का आरोप है। इन लोगों पर ड्रग्स के लिए ड्रग डीलरों के साथ संपर्क में रहने के भी आरोप लगाए गए हैं। अदालत में दाखिल दस्तावेजों के मुताबिक एनसीबी ने रिया को 'ड्रग सप्लायरों से जुड़े ड्रग सिंडिकेट का ऐक्टिव मेंबर बताया गया है।' एनसीबी ने यह भी दावा किया है कि रिया के खिलाफ इतने सबूत जुटा लिए गए हैं, कि अब उनसे पूछताछ भी करने की जरूरत भी नहीं है।
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10 साल तक की कठोर सजा हो सकती है
बॉलीवुड अभिनेत्री रिया पर एनडीपीएस ऐक्ट की जिन धाराओं में शिकंजा कसा है और वह मुंबई की भायखला जेल भेजी गई हैं, उनमें 27 ए, 21, 22, 29 और 28 शामिल है। इनमें सभी आरोपियों के लिए धारा-27 ए सबसे ज्यादा मुश्किलें पैदा करने वाला है। क्योंकि, रिया और उनके भाई या सुशांत के किसी स्टाफ के पास से ड्रग्स की बरामदगी नहीं हुई है। इसीलिए बाकी धाराओं में वह ज्यादा नहीं भी घिर सकते हैं। लेकिन धारा-27 ए के तहत ड्रग्स की खरीद-फरोख्त के लिए पैसे देने और इस कारोबार में सीधे या परोक्ष तौर पर शामिल अपराधियों को शरण देने का आरोप साबित होने पर दोषियों को कम से कम 10 साल की कठोरतम सजा का प्रावधान है, जिसे कि बढ़ाकर 20 साल तक किया जा सकता है। इसके अलावा कम से कम 1 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया जा सकता है। रिया के लिए मुश्किल ये है कि उनपर मुख्य तौर पर सुशांत के लिए ड्रग्स खरीदने के ही आरोप हैं, जिसके तहत उन पर ड्रग के कारोबार में शामिल होने का आरोप साबित हो सकता है। इसमें अगर एनसीबी आपराधिक साजिश साबित करने में कामयाब हुई तो फिर केस बहुत ही भारी पड़ सकता है। एनसीबी ने अदालत में दिए दस्तावेज में साफ किया है कि 'वो सुशांत के लिए ड्रग्स खरीद रही थीं, इसीलिए वो ड्रग कारोबार का हिस्सा थीं।'
महाराष्ट्र में एनडीपीएस ऐक्ट में सजा मिलने की दर बहुत ही ज्यादा
अगर रिया के केस और महाराष्ट्र और मुंबई में ड्रग से जुड़े मामलों में सजा तक पहुंचने के आंकड़े को देखें तो रिया और उनके परिवार वालों की सांसें अटक सकती हैं। एक स्वतंत्र रिसर्च एजेंसी थिंक-टैंक विधि फॉर लीगल पॉलिसी के आंकड़ों को देखें तो मुंबई में नारकोटिक्स के मामलों में छोटे-मोटे पेडलर और खुद के इस्तेमाल के लिए ड्रग खरीदने वालों पर ही बड़ी मछलियों की तुलना में ज्यादा कार्रवाई होती रही है। यह स्टडी मुंबई में 1 अक्टूबर, 2019 तक निपटाए गए 10,669 एनडीपीएस केस में से 839 के विश्लेषणों के आधार पर की गई है। इस स्टडी से पता चलता है कि पूरे महाराष्ट्र में अकेले मुंबई में एनडीपीएस ऐक्ट के तहत 90 फीसदी गिरफ्तारी होती है और सजा भी मिलती है। हालांकि, आंकड़े ये भी बताते हैं कि मुंबई में इस अपराध में सजा काटने वाले अबतक ज्यादातर दैनिक मजदूर, मसलन-एसी मैकेनिक, कार सफाई करने वाला, कूक, कुली, कूड़ा उठाने वाले, ऑटो ड्राइवर और डिलवरी ब्वॉय जैसे लोग होते हैं। जितने भी केस की स्टडी की गई है, उसमें से लगभग सबने अपना गुनाह कुबूल लिया है।
लॉकअप से भायकला जेल भेजी गईं
गौरतलब है कि तीन दिन तक लगातार चली पूछताछ के बाद एनसीबी ने मंगलवार को रिया चक्रवर्ती को ड्रग्स मामले में गिरफ्तार कर लिया था और उन्हें रात एनसीबी की ही लॉकअप में बितानी पड़ी। बुधवार सुबह उन्हें मुंबई की भायकुला जेल भेजा गया। अदालत ने मंगलवार रात उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी और उन्हें 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया। एनसीबी ने उनकी रिमांड नहीं मांगी थी, लेकिन जमानत का पूरजोर विरोध किया था और दलील दी थी कि जेल से बाहर रहने पर वह केस को प्रभावित करने की कोशिश कर सकती हैं।
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