सुख-दुख में भी दूर रहती इंदिरा गांधी की बहुएं
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) राजीव गांधी की गुरुवार को 24 वीं पुण्यतिथि पर उनकी समाधि पर बहुत से लोग पहुंचे, पर उनके छोटे भाई की बहू यानी केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी, भतीजा और सांसद वरुण गांधी नहीं आये।
जाहिर है, मेनका गांधी की बहू भी इस अवसर पर नहीं थी। ये सिलसिला सालों से चल रहा है। संजय गांधी की पुण्यतिथि पर उनकी समाधि पर होने वाली प्रार्थना सभा में उनके पुराने मित्र और मेनका गांधी, वरुण गांधी तो होते हैं, पर सोनिया गांधी के परिवार से कोई नहीं होता।
दुख के लम्हें
यानी दुख के लम्हों में भी अब खून के संबंधी दूर-दूर रहते हैं। कुछ साल पहले वरुण का विवाह हुआ तो मेनका गांधी ने सोनिया गांधी को निमंत्रण भेजा था। पर सोनिया गांधी के परिवार से कोई वरुण के विवाह में शामिल हुआ। इस कारण भी कहते हैं कि दूरियां बढ़ी।
आंखें नहीं मिलाते
संसद कवर करने वाले पत्रकारों को मालूम है कि गांधी परिवार के फिलहाल चार सदस्य संसद में हैं। सोनिया गांधी और उनके पुत्र राहुल गांधी तथा मेनका गांधी और उनके पुत्र वरुण गांधी। सोनिया गांधी और राहुल गांधी इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि उनकी अपने संबंधियों से आंखें न मिले। हालत ये है कि हालचाल पूछने वाले संबंध भी दोनों परिवारों में नहीं रहे।
अलग-अलग दलों में
राजीव गांधी और संजय गांधी के परिवार अब अलग-अलग दलों में है। कांग्रेस के पुराने नेता पीएल शर्मा कहते हैं कि कायदे से नेहरु जी और इंदिरा गांधी के परिवारों को इतनी दूरियां बनाकर नहीं रखनी चाहिए। दोनों को पुराने गिले-शिकवे दूर करके गले मिलना चाहिए।
जानकारों ने बताया कि प्रियंका गांधी की शादी में वरुण गांधी तो शामिल हुए थे। पर मेनका गांधी ने शुभकामनाएं ही भिजवा दी थीं। उधर, सोनिया गांधी ने भी कभी अपने देवर के परिवार से संबंध मधुर बनाने की चेष्टा नहीं की। गांधी परिवार की बहुओं में लंबे समय से कोई बातचीत नहीं है।
संकेतों में प्रहार
मौका पड़ने पर मेनका और वरुण गांधी तो सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर संकेतों में प्रहार भी कर देते हैं। पर राहुल गांधी या सोनिया गांधी ने कभी इस तरह का आचरण नहीं किया। हालांकि कहने वाले कहते हैं कि प्रियंका गांधी से वरुण गांधी मिलते हैं कभी-कभार। इसके अलावा तो दोनों परिवारों में कोई संवाद नहीं है।