kartarpur corridor: भारत को युद्ध की धमकी दे रहा पाक क्यों बन रहा सिखों का हितैशी
बेंगलुरु। कश्मीर मसले को लेकर पाकिस्तान एक ओर भारत को यद्ध की धमकी दे रहा है दूसरी ओर करतारपुर कॉरीडोर पर अपना वादा पूरा करने की बात कह रहा है। यह विरोधाभाषी बात किसी के गले नहीं उतर रही है। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद भारत के साथ व्यापारिक संबंध समाप्त करने और समझौता एक्सप्रेस व बसों को बंद करने वाले पाकिस्तान को करतारपुर गलियारा पूरा करने का वादा याद आना दाल में कुछ काला नजर आ रहा है।
पाकिस्तान की रजामंदी इस बात का सबूत है कि वह धार्मिक और मानवीय संवेदनाओं की आड़ में इस मार्ग से अपने घटिया मंसूबों को पूरा करना चाहता है। इस मार्ग को खोलने और विकसित करने को वो पूरी दुनिया में प्रचारित कर रहा है। पाकिस्तानी प्रोपेगैंडा यह कहता है कि वह शांति का पक्षधर है, इसीलिए वह भारतीय श्रद्धालुओं के लिए यह मार्ग खोलने को राजी हुआ है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि कश्मीर मसले को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के बावजूद करतापुर गलियारा को पूरा करने की बात करके पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अब सिखों को मोहरा बना कर लाभ उठाने का दूसरा प्रयास कर रहे हैं। यह सिखों की धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है जिसका वह पूरा लाभ उठा कर सिखों को टारगेट कर रहे है।
बता दें पाकिस्तान पंजाब प्रान्त में तीन दिवसीय अंतराष्ट्रीय सिख सम्मेलन भी करने जा रहा है। जिसमें दुनिया भर के कम से कम 50 सिख विद्धानों को आमंत्रित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री इमरान खान ने पंजाब प्रान्त के राज्यपाल सरदार उस्मान उरदा बुरदार को तीन दिवसीय अंतराष्ट्रीय सिख सम्मेलन आयोजन करने का आदेश दिया है। सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान इस सम्मेलन में शिरकत करने आए सिख विद्धानों से कश्मीर मसले को उठाने की अपील करेगा। यह सम्मेलन 31 अगस्त से 2 सिंतबर तक लाहौर में आयोजित किया जा रहा है। इस अधिवेशन में भारत, कनाडा, अमेरिका, बिट्रेन, फ्रांस और अन्य देशों के सिख विद्धान शामिल होंगे।
गौरतलब है कि कश्मीर मसले को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के बावजूद दोनों देशों के अधिकारी शुक्रवार को मिल कर करतारपुर गलियारा परियोजना पर बातचीत होने की बात कहीं गयी थी । पाकिस्तान विदेश कायार्लय के प्रवक्ता मोहम्मद फैजल ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच शुक्रवार को बोर्डर स्थित जीरो प्वाइंट पर तकनीकी बैठक होनी है। गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर पाकिस्तान के नारोवाल जिले में है जो लाहौर से करीब 120 किलोमीटर दूर है। ये गुरुद्वारा भारत की सीमा से करीब 3 किलोमीटर दूर है लेकिन आजादी के बाद से ही पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव ने इसे तीर्थयात्रियों के लिए बहुत दूर बना दिया था ।
महत्वपूर्ण बात ये है कि जब से इस करतारपुर कॉरीडोर की बात आरंभ हुई तभी सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी थी। जबकि तब पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ संबंध इतने खराब नहीं थे। वर्तमान में कश्मीर मसले के बाद दोनों देशों के बीच संबंध बत से बत्तर हो चुके हैं। वहीं पाकिस्तान की सेना कश्मीर बॉर्डर पर सीजफायर का उलंघन करके हर दिन दस हमले कर रहा है। जल, थल और वायु तीनों मार्गों से पाक की काली नजर भारत पर है वह लगातार आतंकी घुसपैठ कर रहे हैं।
ऐसे में करतारपुर कॉरीडोर सुरक्षा एजेंसियों को डर है कि इस मार्ग का दुरुपयोग भी हो सकता है। यह डर सुरक्षा एजेंन्सियों ने तब जताया था जब ऐसे हालात नहीं थे। एजेन्सियों का दावा था कि दरअसल पाकिस्तान में अभी भी खालिस्तान समर्थकों की तादाद काफी ज्यादा है और उन्हें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का समर्थन हासिल है।
ऐसे में आशंका है कि इस कॉरिडोर का उपयोग करते हुए खालिस्तान समर्थक पंजाब के युवाओं को उग्रवाद के लिए उकसा सकते हैं। सुरक्षा एजेंसियों की चिंता हैं कि कहीं करतारपुर कॉरिडोर खालिस्तान की राह न बन जाए। इतना ही नहीं, इस मार्ग का उपयोग नशीली दवाओं की तस्करी के लिए भी किया जा सकता है। यह बेहद दुखद लेकिन सच है कि इस महान धर्मस्थल के क्षेत्र को पाकिस्तान में खालिस्तान और आईएसआई का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यहां कई ब्लैकलिस्टेड खालिस्तानी आतंकियों के अड्डे आज भी सक्रिय हैं।
बता दें विगत वर्ष पंजाब के मंत्री नवजोत सिद्धू पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करने इस्लामाबाद गए थे। वहां वे पाकिस्तानी सेना अध्यक्ष कमर जावेद बाजवा से गले मिले थे। वहीं जिक्र हुआ था कि सिख धर्मावलंबियों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर तक जाने वाले रास्ते को खोला जाना चाहिए। केंद्र सरकार ने भी इस कॉरिडोर को खोले जाने और विकसित करने में हामी भरी थी। नियंत्रण रेखा पर तनाव के बावजूद हाल ही में दोनों देश भारतीय सिख श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर गलियारा खोलने पर सहमत हुए थे। इससे भारत-पाकिस्तान के बीच संबंधों में सुधार की उम्मीद जगी थी ।
टेलिस्कोप से श्रद्धालु करते हैं करतारपुर गुरुद्वारें के दर्शन
भारत सरकार ने भारतीय सीमा के नजदीक एक बड़ा टेलिस्कोप लगाया है जिसके जरिए तीर्थयात्री करतारपुर गुरुद्वारे के दर्शन करते हैं। यह गुरुद्वारा भारत में पाकिस्तानी सीमा से 100 मीटर दूरी पर स्थित डेरा बाबा नानक से दूरबीन की सहायता से दिखाई देता है। दूरबीन से गुरद्वारा दरबार सहिब के दर्शन का यह काम सीआरपीएफ की निगरानी में किया जाता है।
पाकिस्तान के प्रसार मंत्री फवाद चौधरी कह चुके हैं कि, करतारपुर सीमा को खोला जा रहा है। गुरूद्वारे तक आने के लिए अब वीजा की जरूरत नहीं होगी। यह कॉरीडोर सीधा पाकिस्तान के इस गुरुद्वारें तक जाएगा जिसके बाद सिख श्रद्धालु इस धार्मिक स्थल के दर्शन कर सकते हैं। भारतीय और पाकिस्तानी दोनों सरकारों की ओर से कॉरिडोर को मंजूरी मिली है। कॉरिडोर बन जाने के बाद भारत से बिना वीजा के ही सिख पाकिस्तान दाखिल हो सकते हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत भारत में पंजाब के गुरदासपुर से एक ब्रिज बनाया जा रहा है। इस ब्रिज से भक्त सीधा करतारपुर साहिब गुरुद्वारा पहुंच सकेंगे। उन्हें दरबार साहिब के अलावा पाकिस्तान में और कहीं जाने की अनुमति नहीं होगी।
करतारपुर से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां
सिख इतिहास के मुताबिक जीवन भर ज्ञान प्राप्त करने के बाद गुर गुरुनानक देव करतारपुर के इसी स्थान पर आए और जीवन के अंतिम 18 वर्ष उन्होंने यहीं बिताए। दरबार साहिब करतापुर सिख धर्म का वह पवित्र धार्मिक स्थल हैं जहां धर्म के संस्थापक गुरुनानक ने 22 सिंतबर 1539 को इस स्थान पर अपनी अंतिम सांसे लीं। कहते हैं कि उनकी मृत्यु के बाद किसी को भी उनका शव नहीं मिला वहां पर केवल एक फूल मिला था।
गुरु नानक जी ने इसी स्थान पर अपनी रचनाओं और उपदेशों को कुद पन्नों की एक पोथी का रुप दिया और उसे अगले गुरु के हाथों में सौंप दिया था। इन पन्नों में आगे के गुरुओं द्वारा और रचनाएं जुड़ी और अंत में सिखों के धार्मिक ग्रन्थ की रचना की गई। इसी जगह पर उन्होंने लोगों को अपने साथ जोड़ा और उन्हें एकेश्वर्वाद का महत्व समझाया।
उन्होंने यह उपदेश दिया कि पूरी दुनिया का कर्ता धर्ता केवल एक अकाल पुरख है। वह अकाल पुरख निरंकार है। भारत पाकिस्तान के बंटवारे के बाद लाखों सिख पाकिस्तान से भारत आ गए तब यह गुरुद्वारा वीरान पड़ गया। मगर कुछ सालों बाद नानक के मुस्लिम भक्तों ने इसे संभाला। वे यहां दर्शन के लिए आने लगे और इसकी देख रेख करने लगे। पाकिस्तान के सिखों के लिए गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर उनके प्रथम गुरु का धार्मिक स्थल है तो वहीं यहां के मुस्लिमों के लिए यह उनके पीर की जगह है।
वर्षों बाद पाकिस्तान सरकार की भी इस जगह पर नजर पड़ी। गुरुद्वारा दरबार साहिब के नवीनीकरण पर काम किया गया। मई 2017 में एक अमेरिकी सिख संगठन की मदद से गुरुद्वारें के आसपास बड़ी संख्या में पेड़ लगाने का काम भी किया गया।
कहा जाता है कि गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर कुदरत का बनाया अद्भुत स्थान है। पाकिस्तान में सिखों के और भी धार्मिक स्थान हैं- डेरा साहिब लाहौर, पंजाब साहिब और नानक साहिब उन गांव में हैं जो भारत-पाक सीमा के करीब है।
रावी नदी में आई बाढ़ के कारण गुरुद्वारे को काफी नुकसान पहुंचा था। उसके बाद 1920-1929 तक महाराजा पटियाला ने इसे फिर से बनवाया था। साल 1995 में पाकिस्तान सरकार ने इसके कुछ हिस्सों का फिर से निर्माण करवाया था। भारत-पाक के बंटवारे में ये गुरुद्वारा पाकिस्तान की तरफ चला गया था।
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