जानें विपक्ष को क्यों है गृहमंत्री अमित शाह की तरफ से पेश NIA बिल से एतराज
नई दिल्ली। सोमवार को लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी एमेंडमेंट बिल (एनआईए) एक्ट-2019 बिल को पेश किया तो इस पर काफी हंगामा हुआ। विपक्ष की तरफ से इस बिल का खासा विरोध किया जा रहा था। इस बिल को गृहमंत्री ने सबसे पहले आठ जुलाई को पेश किया था। सरकार का कहना है कि इस बिल के बाद एजेंसी को और ज्यादा ताकत मिलेगी। सरकार की मानें तो बिल के बाद बिल के पास होने के बाद आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति को प्रभावी तरीके से लागू किया जाएगा।
विदेशों में हुए मामलों की भी जांच
जो बिल सरकार की तरफ से पेश किया गया है उसका मकसद एनआईए एक्ट-2008 में बदलाव करना है। इस बिल के पास होने के बाद जांच एजेंसी को मानव तस्करी, फेक करेंसी, प्रतिबंधित हथियारों को रखने और उनका उत्पादन करने और साइबर टेररिज्म जैसे मामलों में जांच का अधिकार मिल सकेगा। इसके अलावा एनआईए को ऐसे मामलों में एक स्पेशल कोर्ट के गठन का अधिकारी भी मिल सकेगा। बिल में एनआईए को ऐसे मामलों में हस्तक्षेप की मंजूरी दी गई है जिसके बाद एजेंसी उन मामलों में भी जांच कर सकेगी जो भारत से बाहर हुए हैं।
जब अफगानिस्तान चाहता था मदद करना
एजेंसी बिल के पास होने के बाद उन मामलों में जांच की अधिकारी हो सकेगी जो अंतरराष्ट्रीय संधि और दूसरे देशों के घरेलू कानूनों के तहत होंगे। वहीं दिल्ली में एक स्पेशल कोर्ट इन मामलों परनजर रखेगी। सुरक्षा विशेषज्ञों ने इस बिल को पूरे नंबर दिए हैं। उन्होंने अक्टूबर 2009 में अफगानिस्तान में हुए एक मामले का उदाहरण दिया। उस समय भारतीय दूतावास पर हमला हुआ था। अफगानिस्तान भारत की मदद करना चाहता था लेकिन एनआईए के पास इतनी ताकत नहीं थी कि वह कोई केस रजिस्टर करे, जांच करे और दोषियों को सजा दे। उनका मानना है कि इस बिल के बाद एनआईए को वह ताकत मिल सकेगी, जिससे उसे अभी तक दूर रखा गया था।
क्या है विपक्ष की आपत्ति
विपक्ष इस बित का यह कहकर विरोध कर रहा है कि बिल की वजह से देश एक 'पुलिस' के कब्जे वाला देश बनकर रह जाएगा। एआईएमआईएम के मुखिया और सांसद असउद्दीन ओवैसी का कहना है कि एनआईए की न्यायिक ताकतों को दूसरे देश तक बढ़ाना तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत को अमेरिका और इजरायल की तर्ज पर प्रयास नहीं करने चाहिए क्योंकि ये देश भारत की तरह सही मायनों में लोकतांत्रिक देश नहीं हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष की तरफ से दिए गए सारे तर्क खारिज कर दिए।
साल 2009 में एनआईए का गठन
गृहमंत्री ने कहा कि इस बिल का दुरुपयोग नहीं होगा बल्कि एनआईए बिल की वजह से आतंकवाद से मजबूती निबट सकेगी। एनआईए का गठन यूपीए सरकार की ओर से साल 2009 में हुआ था। इस एजेंसी को साल 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमलों के बाद गठित किया गया था। इसे उस समय ताकत दी गई थी कि यह राज्यों की तरफ से बिना विशेष मंजूरी के आतंकवाद से जुड़े केसेज की जांच पूरे देश में कहीं भी कर सकती है।