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तेलंगाना के अलग होने से उत्तर भारतीयों पर पड़ेंगे ये 10 असर

By Ajay
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संसद में लोकसभा में मंगलवार को शोरशराबे के बीच आंध्र प्रदेश के पुनर्गठन के लिये तेलंगाना विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गया। मतदान के दौरान तेलंगाना का विरोध कर रहे आंध्र प्रदेश के सांसदों और कुछ विपक्षी पार्टियों ने अपना विरोध जताया, लेकिन वही है न 'जब मियां-बीवी राजी, तो क्या करेगा काज़ी'। जी हां कांग्रेस-भाजपा दोनों की सहमति से यह बिल पास हुआ है। बिल पास होते ही विरोधी नेताओं के सुर बुलंद हो गये और एक के बाद एक बयान तेजी से आने लगे हैं।

वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष वाईएसआर जगनमोहन रेड्डी ने इसे देश के इतिहास का काला दिन करार दिया है और आंध्र प्रदेश बंद करने का आह्वान किया है। जगन समेत कई नेता कह रहे हैं कि देश में एक बार फिर से लोकतंत्र की हत्या हुई है।

लेकिन यह सब तो दक्ष‍िण भारत में हो रहा है, उत्तर भारतीयों को इससे क्या? अगर यह सवाल आपके मन में आ चुका है, तो इस लेख को जरूर पढ़ें, क्योंकि आंध्र प्रदेश का बंटवारा उत्तर भारतीयों के जीवन में भी काफी महत्व रखता है। जिसके कुछ कारण हम यहां स्लाइडर में प्रस्तुत कर रहे हैं-

आंध्र प्रदेश बंद

आंध्र प्रदेश बंद

वाईएसआर कांग्रेस के जगन मोहन रेड्डी ने कल पूरे आंध्रा में उनकी पार्टी बंद का आह्वान किया है। यानी कल और आने वाले एक सप्ताह तक आंध्र प्रदेश से होकर गुजरने वाली सभी ट्रेनें प्रभावित होंगी। हम आपको बता दें कि उत्तर से दक्ष‍िण को जाने वाली लगभग सभी ट्रेनें झांसी होते हुए सिकंदराबाद, काजीपेट, बल्हारशाह, गुडुर के रास्ते होते हुए जाती हैं। अगर प्रदेश बंद हुआ, तो इन ट्रेनों से दक्ष‍िण को जाने वाले या उधर से आने वाले उत्तर भारतीय रास्ते में ही फंस सकते हैं।

अलग राज्य के सुर

अलग राज्य के सुर

तेलंगाना का नाम आते ही उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में बांटने की मांग तेज हो जायेगी। वो चार हिस्से होंगे पूर्वांचल, मध्य उत्तर प्रदेश, पश्च‍िमांचल और बुंदेलखंड। यह मांग कोई और नहीं बल्कि बहुजन समाज पार्टी उठायेगी। क्योंकि यूपी का बंटवारा होने पर बसपा को इन चारों में से एक न एक राज्य राज करने के लिये जरूर मिल जायेगा। यानी मायावती एक बार फिर मुख्यमंत्री बन जायेंगी।

देश का भूगोल

देश का भूगोल

देश में नये राज्य जुड़ने का मतलब, भूगोल परिवर्तित होना और फिर आप चाहे उत्तर भारतीय हों, या फिर दक्ष‍िण भारतीय आपको भूगोल की जानकारी जरूर होनी चाहिये। लिहाजा इस राज्य में कैसे बंटावारा होगा किस राज्य में कौन सा शहर आयेगा, यह जानना आपके लिये जरूरी है।

बदलेंगे लोकसभा चुनाव के परिणाम

बदलेंगे लोकसभा चुनाव के परिणाम

जो लोग तेलंगाना को अलग राज्य के रूप में देखना चाहते हैं, उन्हें आकर्ष‍ित करने के लिये, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही श्रेय लेने की कोश‍िश करेंगी। यानी लोकसभा चुनाव में आंध्र प्रदेश की 42 सीटें पासा पलट सकती हैं। यानी आप जिसे प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं, उसकी राह में आंध्र प्रदेश की जनता रोढ़ा अटका सकती है।

बिहार का मिथ‍िलांचल

बिहार का मिथ‍िलांचल

बिहार में मिथ‍िलांचल को अलग राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग कई उठ चुकी है। आंदोलन हो चुके हैं। 33 फीसदी से ज्यादा की आबादी मैथ‍िली भाष‍ियों की है। बिहार के करीब 16 जिले मिथिलांचल के अंतर्गत आते हैं। धान की फसल मुख्य रूप से इसी इलाके में होती है। तेलंगाना के बाद इसे अलग करने की मांग जोरों पर आ सकती है।

मध्य प्रदेश में बुंदेलखंड

मध्य प्रदेश में बुंदेलखंड

एमपी के बुंदेलखंड के हिस्से को अलग किये जाने की मांग भी कई वर्षों से जोरों पर है। तेलंगाना के अलग होने के बाद इसके बंटवारे की मांग भी उठ सकती है। असल में बुंदेलखंड का आधा भाग एमपी में है और आधा यूपी में और दोनों ही राज्यों की सरकारें इस पर ध्यान नहीं देती हैं, लिहाजा यह विकास की मुख्यधारा से टूटा हुआ है।

जिनके परिवार वाले हैदराबाद में रहते हैं

जिनके परिवार वाले हैदराबाद में रहते हैं

यह विषय उन सभी लोगों के लिये गंभीर है, जिनके परिवार के लोग- बेटा, बेटी, भाई, बहन, पिता, माता, आदि हैदराबाद की कंपनियों में कार्यरत हैं। उनमें भारी मात्रा में उत्तर भारतीय शामिल हैं। अलग राज्य होने के बाद हैदराबाद की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है, जमीनों के दाम अभी से काफी गिर गये हैं। आगे चलकर बड़ी कंपनियां यहां पर निवेश करने से पीछे हट सकती हैं। यानी इन परिवारों की आर्थ‍िक स्थिति पर असर पड़ सकता है।

अब जाना पड़ेगा बैंगलोर-चेन्नई

अब जाना पड़ेगा बैंगलोर-चेन्नई

आईटी सेक्टर में करियर चुन चुके उत्तर भारतीयों के लिये नोएडा, गुड़गांव और दिल्ली के बाद पहला विकल्प हैदराबाद ही होता है। राज्य के बंटवारे के बाद आईटी हब बिखरने का खतरा नजर आ रहा है। अगर ऐसा हुआ तो प्रतिभा का पलायन चेन्नई, बैंगलोर और मैसूर की ओर होगा। यानी आईटी क्षेत्र के जो उत्तर भातरीय अभी तक अपने घरों से डेढ़ हजार किलोमीटर दूर रह रहे थे, अब उन्हें ढाई से तीन हजार किलोमीटर दूर रहना पड़ेगा।

क्षेत्रवाद की राजनीति को मिलेगा बढ़ावा

क्षेत्रवाद की राजनीति को मिलेगा बढ़ावा

इस बंटवारे के बाद से देश में क्षेत्रवाद की राजनीति को और बढ़ावा मिलेगा। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्य पहले से ही क्षेत्रवाद से ग्रसित हैं। इन राज्यों के नेता इसी राह पर चलकर इस राजनीति को बढ़ावा दे सकते हैं।

नक्सलवाद बढ़ेगा

नक्सलवाद बढ़ेगा

आंध्र प्रदेश पहले से ही नक्सलियों का गढ़ है। अलग राज्य होने का मतलब राज्य छोटे हो जायेंगे और इससे नक्सलियों का वर्चस्व बढ़ेगा। उनकी देखा-देखी छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड के नक्सलियों के हौंसले भी बुलंद हो सकते हैं।

Comments
English summary
The Telangana Bill was passed in the Lok Sabha on Tuesday. There was no live telecast of the House proceedings. YSR Congress and other parties calls agitations in Andhra Pradesh. But have you ever think why any North Indian should bother about Telangana.
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