झारखंड में भाजपा की हार से क्यों खुश होंगे नीतीश कुमार
नई दिल्ली- झारखंड विधानसभा चुनाव के परिणाम भाजपा के लिए बहुत बड़ी मायूसी की तरह है, लेकिन उसके एक अहम सहयोगी नीतीश कुमार मन ही मन इससे बहुत खुश हो रहे होंगे। क्योंकि, झारखंड में इस साल जो हुआ है, उसका असर अगले साल बिहार में दिखाई देना तय लग रहा है। जेडीयू अब निश्चिंत हो सकती है कि बिहार में उसके साथ गठबंधन में चुनाव लड़ना भाजपा के लिए मजबूरी होगी। क्योंकि, पिछले कुछ महीनों से ये बात उछाली जा रही थी कि बिहार में बीजेपी इस बार विधानसभा चुनाव अकेले अपने दम पर भी लड़ सकती है। लेकिन, झारखंड में हालत देखने के बाद शायद ही बीजेपी नीतीश का साथ छोड़ने की हिम्मत दिखा पाए।
बीजेपी अकेले दम पर चुनाव नहीं जिता सकती
झारखंड में हुआ विधानसभा चुनाव हाल में हुआ लगातार तीसरा चुनाव है, जहां भाजपा की उम्मीदों पर पानी फिरा है। महाराष्ट्र, हरियाणा और अब झारखंड तीनों जगह उसकी सीटें कम हुई हैं। इसमें महाराष्ट्र में वह शिवसेना के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ी थी और दोनों की सीटें कम होने के बावजूद उन्हें बहुमत मिल गया था। अलबत्ता शिवसेना ने गच्चा दे दिया और बीजेपी सत्ता से दूर हो गई। हरियाणा में भी पार्टी की सीटें कम हुईं। लेकिन, बाद में दुष्यंत चौटाला के सहयोग से ही वह सरकार बना पाई। लेकिन, झारखंड में चुनाव से पहले पार्टी का आजसू से गठबंधन टूट गया, जेडीयू और एलजेपी ने बीजेपी के साथ गठबंधन करने की कोशिश की भी थी, लेकिन बीजेपी अकेले चुनाव लड़ी और उसे 7 से 8 सीटों का नुकसान हुआ है।
एकला चलो की नीति काम नहीं आएगी
अगले साल बिहार विधानसभा के चुनाव होने हैं। बीजेपी की ओर से ये मांगें उठ चुकी हैं कि पार्टी को वहां अकेले चुनाव मैदान में जाना चाहिए। लेकिन, पड़ोसी राज्य झारखंड में जहां भाजपा की जड़ें इतनी मजबूत रही हैं, वहां भी वह विपक्षी मोर्चे की वजह से पिछड़ गई है तो उसे बिहार में अकेले चुनाव लड़ने के बारे में अब सौ बार सोचना पड़ सकता है। जाहिर है कि यह स्थिति आने वाले चुनाव में नीतीश की ताकत को बढ़ा सकती है। क्योंकि, लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटावारे के दौरान नीतीश दबाव में नजर आए थे।
अपनी शर्तों पर गठबंधन कर सकेंगे
झारखंड के नतीजे से बिहार में भाजपा-जदयू गठबंधन का समीकरण बदल सकता है। अब भाजपा शायद ही बिहार में अकेले चुनाव लड़ने का प्रयोग करने की साहस दिखा सके। नीतीश मौके की राजनीति के पारखी रहे हैं और इस स्थिति का फायदा उठाने में कोई कमी नहीं छोड़ेंगे। अब उनकी यही रणनीति रहेगी कि बीजेपी पर ज्यादा से ज्यादा दबाव बनाए रखें और अधिक से अधिक सीटें अपनी पार्टी के लिए झटक सकें। हालांकि, भाजपा से गठबंधन तोड़ने की स्थिति में वे भी नहीं होंगे, लेकिन वह भाजपा के दबाव में अब नहीं आएंगे और अपनी शर्तों पर गठबंधन में बीजेपी से बेहतर मोलभाव की कोशिश करेंगे।
गिरिराज जैसे नेताओं को झटका
झारखंड विधानसभा चुनाव का परिणाम बीजेपी के नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह जैसे नेताओं के लिए बहुत बड़ा झटका है। गिरिराज सिंह कई मौकों पर ऐसी राय जता चुके हैं, जिससे लगा है कि वह बिहार में भाजपा के अकेले चुनाव मैदान में जाने के पक्षधर रहे हैं। इसमें उनकी व्यक्तिगत महत्त्वाकांक्षा भी बताई जाती रही है। उनके समर्थक कई बार उन्हें राज्य के भावी मुख्यमंत्री के तौर पर भी पेश करते रहे हैं। लेकिन, झारखंड के नतीजे के बाद शायद गिरिराज और उनके समर्थकों का बीजेपी के अलग चुनाव लड़ने का सपना चकनाचूर हो सकता है। हाल में पटना में आई बाढ़ के दौरान भी नीतीश उनके निशाने पर रहे थे, जिनके खिलाफ जेडीयू ने मोर्चा खोल दिया था।