हेडली ने पहले लिया था इशरत का नाम, लेकिन एनआईए रही शांत
मुंबई। गुरुवार को मुंबई कोर्ट में डेविड हेडली ने बताया कि जून 2004 में गुजरात पुलिस के एनकाउंटर में जिस इशरत जहां की मौत हुई थी, वह लश्कर-ए-तैयबा की सुसाइड बॉम्बर थी। हेडली पहले भी इश्रत के बारे में बता चुका था और यह कोई नया खुलासा नहीं है।
लोगों ने बताया था सरकार की साजिश
इसके साथ ही एक बार फिर से इशरत और उस घटना का जिक्र होने लगा है। गुजरात पुलिस की ओर से किए गए एनकाउंटर को फेक एनकाउंटर बताकर इस पर राजनीति की जाने लगी। कुछ लोगों ने कहा कि इशरत आतंकवादी नहीं थी और गुजरात सरकार की ओर से इस एनकाउंटर की साजिश रची गई थी।
क्या हुआ था 15 जून 2004 को
हेडली ने कोर्ट को बताया है कि इशरत जो कि लश्कर की आतंकी थी, उसे पुलिस को शूट करने की जिम्मेदारी दी गई थी। 15 जून 2004 को हुए एनकाउंटर में इशरत के साथ जावेद शेख उर्फ प्रानीश पिल्लई के साथ दो पाकिस्तानी नागरिक अमजद अली और जिशान जोहर को भी इस एनकाउंटर में मार गिराया गया था। हैरानी की बात है कि एनआईए ने इस एंगल को न तो कभी तलाशने की कोशिश की और न ही कभी इसकी जांच की।
एफबीआई के सामने लिया इशरत का नाम
जिस समय अमेरिकी एजेंसी एफबीआई हेडली से पूछताछ कर रही थी, उस समय भी हेडली ने इशरत जहां के बारे में बात की थी।
फिर जब एनआईए की टीम ने अमेरिका जाकर उससे पूछताछ की, उसने फिर इशरत के बारे में बताया। हेडली ने उस समय कहा था कि अहमदाबाद में मुंबई की एक लड़की, इशरत जहां को मारा गया था, वह लश्कर के आत्मघाती दस्ते का हिस्सा था।
हेडली की ओर से दी गई इस जानकारी को एनआईए की चार सदस्यों वाली टीम के साथ साझा किया गया था। इसके बाद भी एनआईए ने किसी तरह की कोई जांच नहीं की।
आईबी पर लगे आरोप
उस समय गृह मंत्रालय की ओर से भी कहा गया कि वह इस मामले की जांच करेंगे लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। सरकार ने कहा कि हेडली ने 26/11 को लेकर जो बातें बताई हैं, जांच सिर्फ उसके आसपास ही केंद्रित रहेगी।
उस समय इंटेलीजेंस ब्यूरो पर भी आरोप लगा कि वह इशरत के बारे में गलत जानकारियां दे रही है। आईबी का इस पर कहना था कि हेडली को इस बात की पूरी जानकारी है कि इशरत कौन थी।