तस्वीरों में: क्यों भारत के लिए बड़ी चुनौती है कुपोषण?
नयी दिल्ली। एक ओर हम स्मार्ट सिटी और बुलेट ट्रेन की बात कर रहे हैं तो वहीं इस सच्चाई से मुंह छिपा रहे हैं कि भारत में हर साल 10 लाख से ज्यादा बच्चे खाने के अभाव में मारे जाते हैं। जी हां आप भले ही विकास के सामने इस सच्चाई को छिपाने की कोशिश करें, लेकिन आपको बता दें कि भारत में 5 साल के कम उम्र के 10 लाख से ज्यादा हर साल कुपोषण के कारण मारे जाते हैं।
कुपोषण भारत के लिए इतनी शर्मनाक हो गई है कि दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा मामले यहीं पर है। कहने का मतलब ये कि भारत में कुपोषण ने अपना पैर पूरी तरह से पसार लिया है। संयुक्त राष्ट्र ने भी इसे भारत के लिए गंभीर समस्या माना है।
राजस्थान और मध्य प्रदेश में किए गए सर्वेक्षणों में पाया गया कि देश के सबसे गरीब इलाकों में आज भी बच्चे भुखमरी के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं। अगर इस ओर ध्यान दिया जाए तो इन मौतों को रोका जा सकता है, लेकिन ऐसा कर पाने में भारत पूरी तरह से असफल रहा हैं। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि आखिर क्यों बारत कुपोषण की लड़ाई में पिछड़ जाए।
हर साल मरते हैं लाखों मासूम
एसीएफ की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कुपोषण जितनी बड़ी समस्या है, वैसा पूरे दक्षिण एशिया में और कहीं देखने को नहीं मिला है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अनुसूचित जनजाति (28%), अनुसूचित जाति (21%), पिछड़ी जाति (20%) और ग्रामीण समुदाय (21%) पर अत्यधिक कुपोषण का बहुत बड़ा बोझ है।
हर साल मरते हैं लाखों मासूम
कुपोषण पर तैयार किए गए आंकड़ों के मुताबिक भारत में 5 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों की कुल तादाद में कुपोषित बच्चों की तादाद 48 प्रतिशत हैं।
पाकिस्तान से भी पिछड़े
कुपोषण के मामले में हम पाकिस्तान से भी हार गए हैं। जहां भारत में इसका आंकड़ा 48 फीसदी है तो वहीं पाकिस्तान में यह 42 प्रतिशत और बांग्लादेश में यह 43 प्रतिशत हैं।
भयानक होती जा रही है स्थिति
भारत से ज़्यादा कुपोषित बच्चों की प्रतिशत आबादी वाले देश हैं। अफ़ग़ानिस्तान में पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में कुपोषितों की संख्या 59 प्रतिशत है और नेपाल में यह तादाद 49 प्रतिशत है, लेकिन संख्या के हिसाब से यह आकड़ा में भारत में सबसे ज़्यादा है।
कहां दिख रहा है विकास
कुपोषित बच्चों का प्रतिशत
अफ़ग़ानिस्तान
में
कुपोषित
बच्चों
की
तादात
29
लाख
नेपाल
में
17.5
लाख
भारत
में
6.1
करोड़
बांग्लादेश
में
72
लाख
पाकिस्तान
में
लगभग
एक
करोड़
(
सभी
5
साल
से
कम
उम्र
के
)
कैसे होगा कम
पांच साल से कम उम्र में बच्चों की मृत्यु, उनमें कुपोषण और कुल जनसंख्या में कुपोषण की संख्या को आंका जाता है। कैसे होगा कम जागरूकता जरूरीकुपोषण का मुख्य कारण जागरुकता का अभाव भी है। अक्सर माता पिता को यह पता ही नहीं होता कि उनके बच्चे कुपोषण का शिकार हैं।
कुपोषण में मध्य प्रदेश सबसे आगे
कुपोषण के मामले में देश में मध्यप्रदेश की स्थिति बहुत खराब है। यहां इसे कमं करने के लिए कुपोषित बच्चों के लिए खास केंद्र बनाए गए हैं, जहां मां और बच्चों को समुचित आहार दिया जाता है।
कुपोषणलापरवाही लोग
कुपोषण के लिए डॉक्टरों के बजाए नीम हकीम के पास जाने लगते हैं। अंधविश्वास से घिरे लोग इसका सही इलाज नहीं करवा पाते हैं। कई जगह तो डॉक्टर इलाज के लिए मौजूद नहीं होते और मुश्किल में पड़े लोगों को मदद मिलने में देर हो जाती है
दुनियाभर में कुपोषण
रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के कुल कुपोषित बच्चों की तादाद का अधिकांश हिस्सा 24 देशों में पाया गया है। इनमें पाँच देश ऐसे हैं जहाँ कुपोषित बच्चों की तादाद 40 प्रतिशत से अधिक है। सबसे गंभीर स्थिति दक्षिण एशिया की है। इन देशों में 8.3 करोड़ बच्चे कुपोषित हैं जबकि दुनिया के बाकी सारे देशों में इन बच्चों की कुल तादाद 7.2 करोड़ है। इन 8.3 करोड़ बच्चों में से 6.1 करोड़ तो अकेले भारत में ही हैं।
भारत में व्याप्त गंभीर कुपोषण कब होगा सुधार?
2014 में दुनिया भर में साढ़े अस्सी करोड़ ऐसे लोग हैं जिनके पास पर्याप्त खाना नहीं है। वहीं करीब दो अरब लोग कुपोषित हैं।