जिंदा रहें लेफ्टिनेंट फैयाज इसलिए मां-बाप बोलते रहे 'एक झूठ'
सूत्रों के मुताबिक लेफ्टिनेंट उमर फैयाज के माता-पिता को इस बात का डर था कि अगर उनके गांव में उनके बेटे के नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) में सेलेक्शन का पता चला तो उन पर आफत आ सकती है।
श्रीनगर। 23 वर्ष के लेफ्टिनेंट उमर फैयाज पैरी की मंगलवार रात आतंकवादियों ने हत्या कर दी है। लेफ्टिनेंट फैयाज सिर्फ देश के युवाओं बल्कि कश्मीर के उन तमाम युवाओं के भी आदर्श बन गए हैं जो सेना में जाना चाहते हैं। लेफ्टिनेंट फैयाज इंफैंट्री के ऑफिसर थे लेकिन जब उनके मर्डर की खबर आई तो कई लोगों ने उन्हें डॉक्टर बताया था। इसकी वजह थी एक झूठ जो घरवालों ने सिर्फ इसलिए बोला ताकि उनका बेटा और वे सभी सलामत रहें।
आर्मी गुडविल स्कूल से पढ़ाई
लेफ्टिनेंट उमर फैयाज आर्मी गुडविल स्कूल के पढ़े हुए थे। वर्ष 2012 में उनका सेलेक्शन नेशनल डिफेंस एकेडमी यानी एनडीए के लिए हुआ था। नवंबर 2015 में वह एनडीए से पासआउट हुए और फिर एक साल के लिए इंडियन मिलिट्री एकेडमी गए।
लेफ्टिनेंट फैयाज पर रखी जा रही थी नजर
सेलेक्शन के समय उनके घर वालों ने गांववालों को यह नहीं बताया कि उनका बेटा अब इंडियन आमीं का हिस्सा बनेगा बल्कि यह कहा कि उमर अब मुंबई में एमबीबीएस की पढ़ाई करेगा। वह हमेशा गांववालों से यही कहते कि उनका बेटा मुंबई में डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहा है। उन्हें डर था कि अगर गांववालों को सच पता लग गया तो फिर आतंकी उन्हें मार डालेंगे। लेफ्टिनेंट फैयाज पर पिछले कई समय से गांव के कुछ लोग नजर रखे हुए थे।
आतंकियों को लगी भनक
जैसे ही लेफ्टिनेंट फैयाज कुलगाम पहुंचे आतंकियों को उनके आने की जानकारी मिल गई और यह भी बता दिया गया कि वह इंडियन आर्मी में ऑफिसर हैं। जब मंगलवार को उनकी हत्या की खबर आई तो कई लोगों ने उन्हें आर्मी मेडिकल कॉर्प का ऑफिसर बताया जबकि वह राजपूताना राइफल्स से जुड़े थे।
11 जगह पर चोट के निशान
लेफ्टिनेंट फैयाज के शरीर पर 11 जगह चोट के निशान हैं। उनकी पीठ पर कई निशान थे, उनका जबड़ा टूटा हुआ था, एड़ी भी टूटी थी और उनका दांत गायब था। इसके अलावा शरीर पर कई जगहे कटे के निशान थे। आतंकियों ने हत्या से पहले उन्हें बुरी तरह से टॉर्चर किया था।
पहली बार मिली थी छुट्टी
वह अखनूर में पोस्टेड थे और 12 मई को उन्हें वापस रिपोर्ट करना था। कुलगाम के रहने वाले लेफ्टिनेंट फैयाज शोपियां में अपनी बहन की शादी में शामिल होने के लिए आए थे। 10 दिसंबर 2016 को कमीशंड होने के बाद वह पहली बार छुट्टी पर घर आए थे।
परिवार ने पुलिस को नहीं दी जानकारी
मंगलवार की रात उनका अपहरण किया गया। जम्मू कश्मीर पुलिस के मुताबिक हो सकता है कि आतंकी ही उन्हें अपने साथ ले गए हों लेकिन उनके परिवार ने अथॉरिटीज को जानकारी नहीं दी। पुलिस के मुताबिक शायद परिवारवालों को लगा होगा कि लेफ्टिनेंट फैयाज को रिहा कर दिया जाएगा।
सितंबर में जाने वाले थे महू
लेफ्टिनेंट फैयाज शारीरिक तौर पर काफी मजबूत थे और अपने ट्रूप्स के बीच काफी लोकप्रिय थे। वह सिंतबर में यंग ऑफिसर्स कोर्स के लिए मध्य प्रदेश के महो जाने वाले थे। वह खेलकूद में काफी अच्छे थे और हॉकी के बेहतरीन खिलाड़ी रहे। उनके पिता सेब की खेती करते हैं।
ऑफिसर्स ने खाई बदला लेने की कसम
लेफ्टिनेंट फैयाज के मर्डर के बाद से ही ऑफिसर्स और जवान में खासा गुस्सा है। वे सभी इस हत्या का बदला लेने के लिए बेकरार है। राजपूताना राइफल्स के लेफ्टिनेंट जनरल अभय कृष्णा ने शोक संदेश में लिखा है, 'पूरी सेना इस समय दुख की घड़ी में परिवार के साथ है। मैं परिवार वालों को भरोसा दिलाता हूं कि इस जघन्य अपराध को करने वाले लोगों को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।'
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