क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

'लव जिहाद' इस बार चुनावी मुद्दा क्यों नहीं?

दो साल पहले उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के दौरान "लव जिहाद" एक चुनावी मुद्दा था. पिछले आम चुनाव में भी ये मुद्दा बना था.

By ज़ुबैर अहमद, बीबीसी संवाददाता
Google Oneindia News
लव जिहाद
Getty Images
लव जिहाद

मेरठ के संदीप पहल बजरंग दल की तरफ़ से "लव जिहाद" और "घर वापसी" की मुहिम में काफ़ी सक्रिय रहते थे. लेकिन अब वो मायूस हैं क्योंकि उनके अनुसार इन मुद्दों का सियासी पार्टियों ने अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया.

वो इस बात से हैरान नहीं हैं कि इन्हें और राम मंदिर जैसे मुद्दों को इस बार चुनावी मुद्दा नहीं बनाया गया.

दो साल पहले उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के दौरान "लव जिहाद" एक चुनावी मुद्दा था. पिछले आम चुनाव में भी ये मुद्दा बना था.

लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पांच दिनों की यात्रा के दौरान "लव जिहाद" और "घर वापसी" जैसे मुद्दे सुनने को नहीं मिले. यहाँ पहले चरण में 11 अप्रैल को आठ सीटों पर मतदान होगा.

यूँ तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ "लव जिहाद" के ख़िलाफ़ मुहिम चलाने में काफ़ी सक्रिय रहे हैं लेकिन स्थानीय स्तर पर मेरठ में बजरंग दल के पूर्व कार्यकर्ता संदीप पहल "लव जिहाद" कहे जाने वाले रिश्तों को रोकने में सब से आगे रहे हैं.

इन्होंने कई मुस्लिम लड़के और हिन्दू लड़कियों के रिश्तों को तोड़ने में मदद की है. संदीप पहल ने इसका गहरा अध्ययन किया है और "लव जिहाद" के पीछे के कारणों का पता लगाने की कोशिश की है.

क्या कश्मीर के लद्दाख़ में हो रहा है 'लव जिहाद'?

...फिर तो हर शादी लव जिहाद है

लव जिहाद
BBC
लव जिहाद

लेकिन इन दिनों वो अधिक सक्रिय नहीं हैं. नेताओं और राजनीतिक पार्टियों से वो नाराज़ हैं. उनका कहना है कि नेताओं ने इस मुद्दे का दुरूपयोग करके इसे अब छोड़ दिया है.

वो आगे कहते हैं, "हम उनके (नेताओं) द्वारा उपयोग किए जाते हैं. हम सब इस्तेमाल हो रहे हैं. बुद्धिमान पुरुष भावनात्मक लोगों का दुरुपयोग करते हैं. पांच साल पहले लव जिहाद एक मद्दा था, इस बार ऐसा नहीं है. ऊपर के लोगों की सोच क्या है, हम जैसे लोग नहीं समझ सकते."

आम तौर से "लव जिहाद" उस घटना को कहा जाता है जिसमे एक मुस्लिम लड़का एक हिन्दू लड़की को प्यार और शादी का नाटक करके अपने मज़हब में शामिल कर लेता है.

केरल और उत्तर प्रदेश में इस कथित धर्म परिवर्तन के किस्सों पर अक्सर विवाद हुआ है और ये चुनाव का मुद्दा बना है.

संदीप पहल को विश्वास है कि "लव जिहाद" के पीछे मुस्लिम समुदाय में एक सिस्टम काम कर रहा है. इसकी तस्वीर वो यूँ पेश करते हैं: ग़रीब मुस्लिम लड़कों को स्कूटर दिया जाता है, वो कॉलेज में हिन्दू लड़कियों को प्रभावित करना चाहते हैं. वो प्रभावित हो जाती हैं और उसके बाद उन दोनों की शादी का इंतज़ाम मुस्लिम समुदाय करता है.

उन्होंने इसके सबूत मांगे जाने पर कहा कि इस साज़िश के पुख्ता सबूत हैं, लेकिन कुछ दिखाया नहीं.

संदीप कहते हैं कि पूरे क्षेत्र में राज्य के सभी ज़िलों में औसतन 100 के क़रीब "लव जिहाद" के मामले होते हैं, जिनमें दो या तीन दर्जन मामले ही पुलिस के रिकॉर्ड में आते हैं.

'लव जिहाद' बनाम 'प्रेम युद्ध' की सच्चाई

'लव जिहाद' पर कमर कसी विद्यार्थी परिषद ने

लव जिहाद
Getty Images
लव जिहाद

घर वापसी और राम मंदिर भी चुनावी मुद्दे नहीं

संदीप पहल के अनुसार जहाँ तक घर वापसी का सवाल है इसमें भी राजनीति की गई. घर वापसी उस कोशिश का नाम है जिसमें हिन्दू धर्म से इस्लाम और दूसरे धर्म को अपनाने वालों को हिन्दू धर्म में वापस लिया जाता है.

पहल के मुताबिक़ भारत के 85 प्रतिशत मुसलमान हिन्दू थे. वो कहते हैं कि उनकी घर वापसी के मुद्दे का भी नेताओं ने इस्तेमाल किया.

वो कहते हैं,"मैं तो ये मानता हूँ कि हिन्दू की ही कमी है जिन्होंने उनकी घर वापसी नहीं की. उसमें भी बहुत बड़ी राजनीति हुई, बहुत बड़े खेल हुए".

love jihad

पाकिस्तान और बांग्लादेश के अधिकतर मुसलमान भी तो एक समय हिन्दू थे - तो उनके धर्म परिवर्तन की कोशिश हो रही है?

पहल कहते हैं, "वो (नेता ) नहीं करेंगे ना, रोटी तो यहाँ सेकनी है, चूल्हा तो यहाँ रखा हुआ है, इसलिए इसका राजनीतिक इस्तेमाल हो रहा है.

"मैं कहता हूँ हिंदुत्व पर, लव जिहाद के नाम पर, गाय के नाम पर, मंदिर और मस्जिद के नाम पर ये तो सीधा, सीधा सियासी एजेंडा है."

लेकिन इस बार ये चुनावी मुद्दे क्यों नहीं बने? ये पूछने पर संदीप पहल कहते हैं, "ये सियासी नेता बड़े चालाक होते हैं. इनको ये पता है कि मनोवैज्ञानिक तौर पर राम मंदिर का मुद्दा नहीं चलेगा तो उसको नहीं लिया. बड़ी-बड़ी सर्वे कंपनियां इन पर काम करती हैं जो रुझान बताने के लिए करोड़ो रुपये लेती हैं."

love jihad bbc

उनके अनुसार इन मुद्दों से समाज में धुवीकरण करने का जो मक़सद पूरा करना था वो पूरा हो गया.

संदीप पहल के अनुसार ये तो "लड़ाने का खेल है जिसे नेता इस्तेमाल करके लड़ाने का काम करते हैं."

नाराज़ संदीप पहल कहती हैं कि उन्होंने अब इन मुद्दों को अलग रख शिक्षा के मैदान में काम करना शुरू कर दिया है.

वो मुसलमानों और हिन्दुओं के बीच शिक्षा बढ़ाने के काम जुटे हैं, "मदरसों में पढ़े जाने वाले मुसलमानों और साधारण हिंदुओं को शिक्षित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया. यदि सभी एक ही शिक्षा प्रणाली से शिक्षित होते हैं तो कोई हिन्दू-मुस्लिम मुद्दा नहीं बाक़ी रहेगा."

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Why Love Jihad is not an election issue this time
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X