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इसरो के पास चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के लिए थीं चार तारीखें, फिर क्‍यों चुनी गई थी सिर्फ 15 जुलाई

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श्रीहरिकोटा। रविवार को पूरे देश और दुनिया की नजरें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मून मिशन चंद्रयान 2 पर टिकीं थीं। रात दो बजकर 51 मिनट पर इसकी लॉन्चिंग थी लेकिन 60 मिनट पहले ही काउंटडाउन रोक दिया गया और मिशन को रोक दिया गया। इसरो ने कहा है कि जल्‍द ही मिशन की नई तारीखों के बारे में ऐलान किया जाएगा। वहीं इंग्लिश डेली हिन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स की मानें तो सितंबर में चंद्रयान 2 को लॉन्‍च किया जा सकता है।

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इसरो और नासा का जुलाई से कनेक्‍शन

इसरो और नासा का जुलाई से कनेक्‍शन

चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग के लिए चार तारीखें जुलाई माह में इसरो को दी गई थी। 15 और 16 के अलावा 29 और 30 जुलाई की तारीख इसरो के पास थी। लॉन्‍च की तारीख 15 जुलाई तय की गई थी। यह तारीख इसलिए खास थी क्‍योंकि 50 वर्ष पहले 1969 नील आर्मस्‍ट्रान्‍ग ने इसी दिन चांद पर रवाना होने के लिए तैयारियां शुरू की थीं। 20 जुलाई 1969 को वह चांद पर कदम रखने वाले इंसान थे। 16 जुलाई को नासा ने अपोलो 11 की डॉकिंग शुरू की थी, यानी उसे लॉन्‍च व्‍हीकल से जोड़ा गया था। जाहिर सी बात है अब 29 आौर 30 जुलाई को चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग मुश्किल है। इसरो, चांद पर इंसान के पहुंचने के 50 वर्ष पूरे होने को खास बनाना चाहता था लेकिन अब यह नहीं हो पाएगा।

आखिरी मौके पर टला लॉन्‍च

आखिरी मौके पर टला लॉन्‍च

रविवार को दो बजने में बस कुछ ही मिनट बचे थे और हर देशवासी दिल की धड़कनें रोककर चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग का इंतजार कर रहा था। लेकिन ठीक 56 मिनट पहले इसरो ने काउंटडाउन रोक दिया। इसरो के मुताबिक तकनीकी खामी की वजह से उसे यह फैसला लेना पड़ा। जीएसएलवी मार्क III ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर के साथ आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से चांद के लिए रवाना होने वाला था। इसरो का कहना है कि लॉन्‍च व्‍हीकल सिस्‍टम में टेक्निकल फॉल्‍ट आने की वजह से आखिरी मौके पर लॉन्‍च को टालना पड़ा। इसरो की मानें तो रॉकेट के क्रायोजेनिक अपर स्‍टेज में लिक्विड हाइड्रोजन डालने के बाद खामी का पता चला था।

मार्च 2018 में लॉन्‍च होना था मिशन

मार्च 2018 में लॉन्‍च होना था मिशन

चंद्रयान-2 को पहले इस मिशन को मार्च 2018 में लॉन्‍च होना था। इसके बाद लैंडर और ऑर्बिट में बदलाव की वजह से चार बार प्रोग्राम में बदलाव किए गए। लैंडर की डिजाइन में बदलाव होने के बाद जुलाई 2019 में इसकी लॉन्चिंग तय की गई। जीएसएलवी मार्क III को बाहुबली का नाम भी दिया गया है क्‍योंकि यह देश का अब तक का भारी रॉकेट है। चंद्रयान-2 को साल 2008 में कैबिनेट की मंजूरी दी गई थी। सरकार ने चंद्रयान-1 की सफल लॉन्चिंग के बाद ही इस नए प्रस्‍ताव को मंजूर किया था।

 रूस नहीं पूरी कर सका जिम्‍मेदारी

रूस नहीं पूरी कर सका जिम्‍मेदारी

शुरुआत में रूस को लैंडर की डेवलपिंग का जिम्‍मा दिया गया। लेकिन रूस समय पर लैंडर तैयार नहीं कर पाया और इस मिशन को स्‍थगित करना पड़ा गया। इसके बाद भारत ने खुद इस मिशन को अपने बल पर डेवलप किया। चंद्रयान-2 की सफलता के साथ ही भारत दुनिया का चौथा ऐसे देश बन सकता है जिन्‍होंने चांद पर सफलता पूर्वक अपने अंतरिक्ष यान उतारे। अभी तक अमेरिका, रूस और चीन यह कारनामा कर चुके हैं। भारत ने अक्‍टूबर 2008 को पीएसएलवी पर हल्‍के रॉकेट के जरिए चंद्रयान-1 मिशन को लॉन्‍च किया था। यह भारत का पहला मून मिशन था।

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English summary
50 वर्ष ISRO selected 15th July for Chandrayaan-2 launching, just days before the 50th anniversary of Neil Armstrong first walking on moon.
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