नेपाली पीएम ओली के 'विवादित क्षेत्र' वाले बयान पर पिथौरागढ़ सीमा पर क्यों है बेचैनी ?
नई दिल्ली-नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारतीय इलाकों पर फिर से दावा ठोककर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के सीमावर्ती इलाकों में बेचैनी बढ़ा दी है। ओली ने नेपाल में जारी राजनीतिक संकट के बीच रविवार को फिर से शिगूफा छोड़ दिया है कि वह तीनों कथित विवादित क्षेत्रों को भारत से वापस लेकर रहेंगे। गौरतलब है कि पिछले साल नेपाल ने भारत के तीन इलाकों लिपुलेख, लुइंपियाधुरा और कालापानी को अपना इलाका बताया था और नेपाली संसद से विवादित नक्शा भी पास करा लिया था। अब जब नेपाल में सियासी माहौल बिगड़ा हुआ है तो संभत: नेपाली जनता का ध्यान भटकाने के लिए ओली ने फिर से वही राग अलापना शुरू कर दिया है। लेकिन, इसकी वजह से पिथौरागढ़ के सीमावर्ती इलाके में रहने वाले लोगों के बीच असहजता की स्थिति पैदा हो गई है।
भारत के तीन इलाकों को ओली बता रहे हैं विवादित
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के तीनों इलाके पिछली बार तब पहली बार सुर्खियों में आए थे, जब भारत ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों की सुविधा के मद्देनजर पिछले साल 8 मई को लिपुलेख (Lipulekh) से धारचुला (Dharchula) को जोड़ने वाली सड़क का उद्घाटन किया था। रविवार को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने जो बयान दिया है, उसके बाद नेपाल के सीमावर्ती जिले धारचुला में भी सरगर्मी बढ़ गई है, जो पिथौरागढ़ जिले से सटा हुआ इलाका है। लिपुलेख, लुइंपियाधुरा और कालापानी (Lipulekh, Luimpiyadhura, Kalapani)यह तीनों जगह, जिसे नेपाल विवादित क्षेत्र बता रहा है, यह भी वहीं पर हैं। जब भारत ने वहां पर सड़क बना दिया तो नेपाल ने भी अपनी ओर धारचुला से टिंकर के बीच 87 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण शुरू कर दिया है।
ओली के बयान पर पिथौरागढ़ सीमा पर है बेचैनी
अधिकारियों के मुताबिक लिपुलेख, लुइंपियाधुरा और कालापानी इलाके में कुल सात गांव हैं, जिनकी जनसंख्या करीब 6,000 है। ओली के बयान के बाद वहां के लोगों में बेचैनी सी बढ़ती दिख रही है। जब नेपाल ने इस सीमा विवाद को उठाया था, तब यहां के लोगों ने जोर देकर कहा था कि वह हमेशा से भारतीय हैं और नेपाल का उन तीनों इलाकों पर कोई अधिकार नहीं है। जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा है कि, 'रविवार को पीएम ओली के बयान के बाद सोमवार को धारचुला के पास एक गांव में सत्ताधारी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने एक राजनीतिक कार्यक्रम आयोजित किया।' उस अधिकारी ने बताया कि 'उस कार्यक्रम में नेपाल सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए और सत्ताधारी दल के एक स्थानीय नेता ने एक भड़काऊ भाषण दिया, जिसमें उसने इलाके के लोगों को भारत से तीनों इलाके वापस लेने के लिए एकजुट होने को कहा।'
'हम भारत का हिस्सा हैं और हमेशा रहेंगे'
बता दें कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से पिथौरागढ़ सीमा पर दोनों देशों में आवाजाही के पांच रास्ते पहले से ही बंद हैं। अब ओली के बयान के बाद भारतीयों का कहना है कि 'इससे सीमा के उस पार के लोगों में बेवजह राजनीतिक तनाव पैदा होगा।' भारत-नेपाल सीमा के पास सटे गुंजी गांव के निवासी गुरेंद्र संवल ने कहा, 'सीमा के दोनों ओर के लोगों के बीच बहुत ही अच्छे संबंध हैं और वर्षों से कारोबार और दूसरे सामाजिक कार्यों से वो सीमा पार करते रहे हैं। अब जब एक बार फिर से उस मुद्दे को हवा दी गई है, जिससे तनाव पैदा होगा और यह सीमी के दोनों तरफ के लोगों के लिए सही नहीं है, क्योंकि वो राजनीति नहीं चाहते। हम भारत का हिस्सा हैं और हमेशा रहेंगे।'
नेपाल के राजनीतिक संकट से ध्यान भटकाने की कोशिश!
जब इस संबंध में पिथौरागढ़ के डीएम डॉ विजय कुमार जोगदंडे से बात की गई तो उन्होंने कहा, 'हम नेपाल की ओर होने वाली गतिविधियों को लेकर ना ही कुछ कर सकते हैं और ना ही उसके लिए परेशान हो सकते हैं।.....उधर सीमा मुद्दे पर राजनीतिक कार्यक्रम हुआ होगा, लेकिन हम उसके लिए कुछ नहीं कर सकते। बोर्डर पैट्रोलिंग एजेंसियां हमेशा की तरह अलर्ट पर हैं और यहां तक कि कोविड-19 महामारी की वजह से सीमा पार करने वाले रास्ते भी बंद हैं।' इस मामले में नेपाल की ओर से धारचुला के जिला प्रशासन का कोई जवाब नहीं मिल पाया है। बता दें कि पिछले साल 18 जून के नेपाल सरकार ने इन इलाकों को अपने नक्शे में दिखाने वाला विवादित नक्शा वहां की संसद से पास करा लिया था,जिसके बाद दोनों देशों के संबंध ऐतिहासिक रूप से बिगड़ चुके थे। हाल में फिर से ये रिश्ते पटरी पर लौटने शुरू हुए थे कि तभी ओली ने पुराना राग अलापकर वहां की राजनीतिक गर्माहट को अपने से दूर करने की कोशिश की है।
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