प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दावोस जाने की क्यों सूझी?
1997 के बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री पहली बार आज से शुरू हो रहे वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम में भाग लेगा. मोदी वहां से क्या लेकर आएंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहला विदेश दौरा विश्व आर्थिक मंच यानी वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम की 48वीं सालाना बैठक से शुरू हो रहा है.
स्विट्ज़रलैंड के दावोस में सोमवार से शुरू हो रहे फ़ोरम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरकत करेंगे जहां वह मंगलवार को इसके आधिकारिक सत्र को संबोधित करेंगे.
दो दशक के बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री पहली बार वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम में भाग लेगा.
आख़िरी बार 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा इकॉनोमिक फ़ोरम में गए थे.
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक टीवी चैनल के इंटरव्यू में पूछा गया था कि वह दो दशक बाद इकॉनोमिक फ़ोरम में जाने वाले प्रधानमंत्री हैं, तब उन्होंने कहा था कि दुनिया भली-भांति जानती है कि दावोस अर्थजगत की पंचायत बन गया है.
उन्होंने आगे कहा कि अर्थजगत की हस्तियां वहां इकट्ठा होती हैं और भावी आर्थिक स्थितियां क्या रहेंगी वहां से उसकी दिशा तय होती हैं.
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क्यों जा रहे हैं?
तो क्या वह अर्थजगत की दशा-दिशा देखने जा रहे हैं? आज से पहले हर साल वित्त मंत्री या कोई दूसरा अधिकारी ही क्यों वहां जाता था?
इसकी वजह वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार एमके वेणु भारतीय अर्थव्यवस्था की सुस्ती को बताते हैं.
वह कहते हैं, "मई में मोदी सरकार कोचार4 साल हो जाएंगे, लेकिन आज तक प्रधानमंत्री वहां नहीं गए क्योंकि दुनिया पिछले साल तक भारत को उभरती अर्थव्यवस्था मानती थी. तेल और वस्तुओं के दाम कम होने से भारत की अर्थव्यवस्था को फ़ायदा हुआ, लेकिन 2015-16 में भारत की जीडीपी 7.9 फ़ीसदी थी. 2016-17 में जीडीपी 7.1 हुई और अब अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि इस वित्तीय वर्ष में यह 6.52 हो सकती है. आर्थिक क्षेत्र में भारत पिछड़ा है और बाकी दुनिया के 75 फ़ीसदी देशों की जीडीपी बढ़ी है."
साल 1971 में स्विट्ज़रलैंड में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का एक ग़ैर-लाभकारी संस्था के रूप में गठन हुआ था. इसका मुख्यालय जेनेवा में है.
इसको पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संस्था के रूप में मान्यता प्राप्त है जिसका उद्देश्य दुनिया के व्यवसाय, राजनैतिक, शैक्षिक और अन्य क्षेत्रों से जुड़े प्रसिद्ध लोगों को एक साथ लाकर वैश्विक, क्षेत्रीय और औद्योगिक जगत की दिशा तय करना है.
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अर्थव्यवस्था की चिंता
वेणु भी कहते हैं कि इस दौरान दुनिया की शीर्ष कंपनियों के शीर्ष अधिकारी मौजूद रहते हैं और यहां व्यवसाय और नेटवर्किंग का काम होता है. भारत इसमें एक थीम के रूप में पेश होगा और बड़े-बड़े लोग इसमें शामिल होंगे.
इस तरह के कई आर्थिक मंच आयोजित होते हैं, लेकिन इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जाना इसे ख़ास बनाता है. पीटीआई के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे का उद्देश्य भारत को एक नए, युवा और उन्नत होकर उभर रहे एक देश के रूप में प्रस्तुत करना होगा.
वहीं, वेणु कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दावोस इसलिए जा रहे हैं क्योंकि उन्हें अर्थव्यवस्था की चिंता है क्योंकि वहां से काफ़ी व्यवसाय आ सकता है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इस बार के सालाना कार्यक्रम में व्यापार, राजनीति, कला, शिक्षा और सिविल सोसाइटी के तकरीबन 3 हज़ार लोग भाग लेंगे. पांच दिन तक चलने वाले इस कार्यक्रम में सबसे अधिक भागीदार भारत से होने वाले हैं जिसमें 130 भारतीय प्रतिभागी शामिल होंगे.
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काले धन की चर्चा की संभावना
फ़ोरम का आधिकारिक सत्र मंगलवार से शुरू हो रहा है जिसको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ़ोरम के कार्यकारी अध्यक्ष क्लॉज़ श्वाप के साथ संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री के इस दौरे को काफ़ी छोटा, लेकिन फ़ोकसवाला बताया जा रहा है. इस दौरान वह दुनिया की 60 कंपनियों के सीईओ के लिए एक डिनर का भी आयोजन करेंगे.
विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा काले धन के लिए उठाए गए कदमों की भी वहां चर्चा हो सकती है. इस पर वेणु कहते हैं कि 'प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी के विचार को विदेशी कंपनियों को बेचने की कोशिश की है क्योंकि वह दिखाते हैं कि इससे अर्थव्यवस्था का डिजिटाइज़ेशन हो रहा है.'
वह आगे कहते हैं, "विदेशी कंपनियों को डिजिटाज़ेशन और जीएसटी सुनने में अच्छे लगते हैं, लेकिन इससे उन्हें देश की अंदर की अर्थव्यवस्था का हाल नहीं पता चल पाता है. नोटबंदी के कारण छोटे उद्योगों और किसानों को जो चोट पहुंची है, उस पर विदेशी कंपनियां तवज्जो नहीं देती. जीएसटी भी जिस तरह से लागू किया गया है उससे छोटे उद्योग ही मार खा रहे हैं."
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इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी स्विट्ज़रलैंड के राष्ट्रपति आलें बेख़सिट के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे.
पीटीआई के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी के प्रतिनिधिमंडल में वित्त मंत्री अरुण जेटली के अलावा मुकेश अंबानी, गौतम अडाणी, अज़ीम प्रेमजी जैसे व्यवसायी भी होंगे.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहिद ख़ाकान अब्बासी भी भाग लेंगे.
हालांकि, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी की पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से मिलने की कोई योजना नहीं है.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम की चमक प्रधानमंत्री मोदी के अलावा फ़िल्म अभिनेता शाहरुख खान भी बढ़ाएंगे वह भी एक कार्यक्रम को संबोधित करेंगे.
इसके अलावा इस फ़ोरम का सबसे बड़ा आकर्षण पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन भी होंगे जो भारत की चढ़ती-उतरती अर्थव्यवस्था के समय भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर थे.