यूपी में चुनाव के बाद भी केंद्रीय योजनाओं के लाभार्थियों पर क्यों है बीजेपी की नजर? जानिए
नई दिल्ली- लोकसभा चुनाव अभी-अभी खत्म हुए हैं। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में कम से कम ढाई साल से ज्यादा बाकी है। लेकिन, भारतीय जनता पार्टी अभी से केंद्र सरकार की वेलफेयर स्कीम के लाभार्थियों पर डोरे डालने की तैयारी कर रही है। प्रदेश में ऐसे लाभार्थियों की संख्या करोड़ों में है। पार्टी मानकर चल रही है कि यूपी में सपा-बसपा गठबंधन के बावजूद अगर एनडीए 64 सीटें जीतने में कामयाब रहा है, तो इसमें इन्हीं लाभार्थियों का हाथ है, जिन्होंने मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए जाति और धर्म के बंधन को इसबार तोड़ डाला है। अब पार्टी इस कोशिशों में जुटी है कि बीजेपी से हमदर्दी रखने वाले ऐसे लोगों को पार्टी का मेंबर बनाया जाय।
6 जुलाई से स्पेशल मेंबरशिप ड्राइव
इस समय यूपी में भाजपा के 1.8 करोड़ सदस्य हैं। इनकी संख्या में और ज्यादा इजाफा करने के लिए पार्टी आने वाले 6 जुलाई से स्पेशल मेंबरशिप ड्राइव चलाने जा रही है। इस दिन जनसंघ के फाउंडर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती है। इसलिए इस दिन से बीजेपी का 'उज्ज्वला', 'आयुष्मान भारत' और 'सौभाग्य' योजनाओं के लाभार्थियों को बीजेपी में शामिल कराने की योजना है। टाइम्स ऑफि इंडिया ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस तरह की मेंबरशिप ड्राइव का आइडिया हाल ही में पार्टी की दिल्ली में हुई सेंट्रल कमिटी की एक मीटिंग से निकला है। इस बैठक में मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद थे, जो पार्टी की मेंबरशिप ड्राइव के नेशनल कंवेनर हैं।
कार्यकर्ताओं को सौंपी जा रही है जिम्मेदारी
बीजेपी को यकीन है कि सोशल वेलफेयर स्कीम ने ही पार्टी को लोकसभा चुनाव में इतनी बड़ी सफलता दिलाई है। इसलिए, वह चाहती है कि उसके कार्यकर्ता लाभार्थियों तक जाएं और संभावितों को पार्टी में 'कैडर' के तौर पर शामिल करवाएं। पार्टी की खास नजर दलितों और ओबीसी लाभार्थियों पर है, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि इस चुनाव में उन्होंने खुलकर मोदी के नाम पर वोटिंग की है। यूपी बीजेपी के महासचिव गोविंद नारायण शुक्ला के मुताबिक, "हमारा मानना है कि लाभार्थियों ने बड़ी संख्या में हमारे पक्ष में खुलकर मतदान किया है और उन्हें सदस्य के तौर पर शामिल करने के लिए यह सही समय है।" इसके लिए भाजपा ने लोकसभा चुनाव में वोट शेयर के आधार पर पोलिंग बूथों की पहचान की है। इसके तहत जाटवों और यादवों की बहुलता वाले बूथों को भी शामिल किया जा रहा है, जिन्हें अबतक क्रमश: बीएसपी और समाजवादी पार्टी का समर्थक माना जाता था। इनमें से जिन बूथों पर भाजपा को विपक्ष से कम वोट मिले हैं, उन्हें 'सी' कैटेगरी में रखा गया है और जहां ज्यादा मिले हैं, उन्हें सदस्यता अभियान के लिए प्राथमिकता दिए जाने की बात है।
करोड़ों लाभार्थियों पर नजर
एक आंकड़े के मुताबिक उत्तर प्रदेश में अबतक 1.1 करोड़ परिवारों को 'उज्ज्वला योजना' के तहत मुफ्त में एलपीजी कनेक्शन दिए गए हैं। वहां 'सौभाग्य योजना' के तहत फ्री में बिजली कनेक्शन पाने वाले परिवारों की संख्या 74 लाख है। इसी तरह 'आयुष्मान भारत योजना' के तहत 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा पाने वालों की संख्या 1.2 करोड़ तक पहुंच चुकी है। ऐसे में प्रदेश में बीजेपी की मौजूदा सदस्य संख्या यानी 1.8 करोड़ में जितने नए सदस्य जुड़ेंगे, बीजेपी को राज्य में अपना दबदबा उतना ही बढ़ने का भरोसा है।
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