क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

मुंबई में 'वडा पाव' छोड़कर गुजरातियों को 'जलेबी ने फाफड़ा' खिलाने में क्यों जुटी शिवसेना ?

Google Oneindia News

नई दिल्ली- 'मराठा मानुष' की बात करने वाली महाराष्ट्र की सत्ताधारी शिवसेना के सुर अचानक बदले-बदले नजर आ रहे हैं। अब 'मराठी मानुष के बाप की मुंबई' बताने वाली शिवसेना के नेताओं ने गुजराती समुदाय को लुभाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। मुंबई में अब शिवसेना वडा पाव की नहीं, बल्कि गुजराती समुदाय के लिए 'जलेबी ने फाफड़ा' जैसे कार्यक्रम आयोजित कर रही है। इसकी वजह ये है कि आने वाले समय में वहां बीएमसी समेत 10 नगर निगमों के चुनाव होने हैं। शिवसेना को लग रहा है कि बीते एक साल में उसने भाजपा नेतृत्व पर जिस तरह से निशाना साधा है, वह ऐसे ही कार्यक्रमों के जरिए ही गुजराती समुदाय का दिल फिर से जीत सकती है। क्योंकि, खासकर मुंबई में यह समुदाय एक बहुत बड़ा वोट बैंक माना जाता है।

बीएमसी चुनाव से पहले उद्धव को याद आए 'गुजराती'

बीएमसी चुनाव से पहले उद्धव को याद आए 'गुजराती'

चुनावी राजनीति ही सही, लेकिन 'मराठी मानुष के बाप की मुंबई' जैसी विचारधारा वाली पार्टी शिवसेना (Shiv Sena) को अब मुंबई (Mumbai) समेत तमाम शहरों में गुजरातियों को खुश करने के लिए मजबूर होना पड़ गया है। बीएमसी (BMC) समेत 10 नगर निगमों के लिए होने वाले चुनावों से पहले पार्टी ने गुजरातियों के लिए मुंबई और महाराष्ट्र के मशहूर 'वडा पाव' को छोड़कर गुजराती डिश 'जलेबी और फाफड़ा' का कार्यक्रम आयोजित करना शुरू कर दिया है। इसकी शुरुआत मंगलवार को मुंबई से पार्टी के नेता हेमराज शाह ने की है, जिन्होंने वहां गुजराती समुदाय के लिए एक विशेष कार्यक्रम आयोजित करने का ऐलान किया है। जब उनसे इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने जवाब में कहा, 'हर कोई अपने वोटरों को एकजुट करता है। मुंबई में ऐसा करने में क्या गलत है? मैं सिर्फ मुंबई में रहने वाले गुजराती भाइयों और बहनों को याद दिलाना चाहता हूं कि वह बालासाहेब ठाकरे ही थे, जिन्होंने बाबरी दंगों के दौरान कई गुजरातियों की जिंदगियां बचाने में मदद की थी।'

Recommended Video

CM Udhhav Thackeray ने Modi को लिखा पत्र, Aurangabad Airport का नाम बदलने की मांग | वनइंडिया हिंदी
मोदी-शाह पर निशाना

मोदी-शाह पर निशाना

इस शिवसेना नेता के दफ्तर से जारी प्रेस रिलीज में बिना नाम लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) पर भी निशाना साधने की कोशिश की गई है; और साथ ही साथ 2019 में भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस-एनसीपी से हाथ मिलाने पर सफाई देने की भी कोशिश की गई है। इसमें लिखा गया है, 'संकीर्ण सोच और बीजेपी की गुजराती लीडरशिप के अहंकार के कारण, जो कि मराठी को नेतृत्व करने का अवसर नहीं देना चाहते थे, उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को उनसे सत्ता छीन लेनी पड़ी। इसलिए बीजेपी नेतृत्व (BJP Leadership) बेचैन है।' इसमें यहां तक कहा गया है कि 'बीजेपी यह बात पचा नहीं पा रही है कि मुख्यमंत्री मुंबई को कोविड-19 संकट से बाहर निकाल पाने में सफल रहे हैं और राज्य को बहुत ही अच्छे तरीके से चला रहे हैं। सरल और सामान्य वर्क स्टाइल की वजह से उन्होंने यह निश्चित किया है कि सबके साथ एक तरह से व्यवहार हो। बीजेपी को इसी से परेशानी हो रही है। इसलिए वो अब दावा कर रहे हैं कि वो मुंबई नगर निगम (BMC) से भगवा झंडा उतार देंगे।'

"मुंबई मा जलेबी ने फाफड़ा उद्धव ठाकरे आपडा"

शिवसेना नेता ने माना है कि बीएमसी का चुनाव पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है और इसलिए मुंबई के गुजराती वोटरों में जागरुकता फैलाने के लिए उनकी विशेष बैठक बुलाई गई है। गुजराती वोटरों पर डोरे डालने के लिए पार्टी ने नया नारा तैयार किया है- "मुंबई मा जलेबी ने फाफड़ा उद्धव ठाकरे आपडा" । यानि अगर इसे हिंदी में समझें तो 'मुंबई में जलेबी और फाफड़ा और उद्धव ठाकरे अपने हैं।'

40 सीटें बचाना है शिवसेना की चुनौती ?

40 सीटें बचाना है शिवसेना की चुनौती ?

देश के कुछ छोटे राज्यों से भी ज्यादा बजट वाले बीएमसी का चुनाव (bmc elections) 2022 में होना है। लेकिन, उससे पहले भी महाराष्ट्र में कई नगर निगमों के चुनाव होने हैं। 227 सीटों वाली बीएमसी में अभी बीजेपी के 82 और शिवसेना के 86 पार्षद हैं। एक आंकड़े के मुताबिक मायानगरी में करीब 35 लाख गुजराती आबादी है, जिनमें से 15 लाख मतदाता हैं। इस समुदाय के बारे में कहा जाता है कि बीएमसी के चुनाव में कम से कम 40 सीटों पर यह निर्णायक भूमिका में हैं। आमतौर पर माना जाता है कि यह समाज भाजपा समर्थक है और शिवसेना को अब यह डर सताने लगा है। क्योंकि, अगर इस समाज ने 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद के हालातों का बदला लिया तो शिवसेना बीएमसी की सत्ता से बेदखल हो सकती है; और शिवसेना के लिए बीएमसी से बाहर होना उसकी सियासी सेहत के लिए सबसे बुरा सपना साबित हो सकता है।

इसे भी पढ़ें- West Bengal assembly elections:ममता को सत्ता दिलाने वाले मौलाना अब्बास सिद्दीकी ने उन्हें हराने की क्यों ठानीइसे भी पढ़ें- West Bengal assembly elections:ममता को सत्ता दिलाने वाले मौलाना अब्बास सिद्दीकी ने उन्हें हराने की क्यों ठानी

Comments
English summary
Why is Shiv Sena busy in 'Jalebi ne Fafda 'for Gujaratis, leaving' Vada Pav 'in Mumbai?
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X