क्या CAA के विरोध में है सिख? जानिए, विधानसभा में प्रस्ताव लेकर क्यों आई है पंजाब सरकार!
बेंगलुरू। इस्लामिक स्टेट पाकिस्तान में जब बहुसंख्यक मुस्लिम सिखों के पवित्र धर्मस्थल ननकाना साहिब गुरूद्वारे को गिराने और उस जगह नाम बदलकर गुलाम ए मुस्तफा रखने का ऐलान करते हुए गुरूद्वारे के पास जमा हुए थे, तो लगा था कि भारतीय संसद में पारित नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 सही समय पर लाया गया एक मौजू फैसला था, जिसने सीएए के खिलाफ देशभर में फैले विरोध-प्रदर्शनों को एक झटके में ध्वस्त कर दिया था।
केरल सरकार के बाद जब कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में पंजाब विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव लेकर आई तो लगा सिख बहुसंख्यक पंजाब में यह असंभव है, क्योंकि पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धार्मिक प्रताड़ना के शिकार होकर आने वाले सिखों की संख्या सबसे अधिक है। पंजाब में सत्ता और विपक्ष में बैठी दोनों दल भी सीएए का यह कहकर विरोध कर रही हैं कि सीएए में मुस्लिम समुदाय को शामिल किया जाए जबकि सीएए में धार्मिक प्रताड़ना के शिकार लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है।
ननकाना साहब गुरूदारे पर पाकिस्तानी बहुसंख्यक मुसलमानों द्वारा किए गए हमलों ने भारत में निर्मित सीएए की प्रासंगिकता को उस वक्त और मजूबती प्रदान की थी। तब पाकिस्तान में सिख समुदायों की हालत बयान करने वाले एक वीडियो वायरल होने के बाद खुद पंजाब के CM कैप्टन अमरिंदर सिंह बिलबिला उठे थे और उन्होंने पाक PM इमरान खान से सिखों की सुरक्षा की गुहार लगाई थी।
लेकिन भारत में पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भगाए गए अथवा भागकर आए सिखों की कैप्टन अमरिंदर सिंह को बिल्कुल चिंता ही नहीं हैं जबकि सीएए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी समुदाय अल्पसंख्यकों को नागरिकता की गारंटी है। सीएए के जरिए कोई भी पाकिस्तानी हिंदू या सिख नागरिक भारत में सुगमता से नागरिकता हासिल कर सकता है।
गौरतलब है राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद ही पाकिस्तान में मर्जी से छूट गए हिंदू, सिख और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों को भारत में पुनर्वापसी का वादा किया था, लेकिन आजादी के 70-72 वर्षों बाद भी नागरिकता संशोधित कानून में चिन्हित तीनों पड़ोसी इस्लामिक राष्ट्र में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को सुगम तरीके से भारत की नागरिकता देने की पहल नहीं की गई।
अब जब ऐसा कानून बन चुका है तो कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष एकजुट होकर नए कानून का विरोध कर रही है। यह विरोध सिख के लिए ही नहीं, सभी ऐसे शरणार्थियों को तिरस्कार करती है, जो धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर अफगानिस्तान और पाकिस्तान से भारत को अपना घर मानकर वापस लौटे थे।
मुस्लिम समुदाय को भी सीएए में शामिल करना चाहिएः शिअद
एनडीए सहयोगी और पूर्ववर्ती पंजाब सरकार में बीजेपी के सहयोग से सरकार पर काबिज रही शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल भी सीएए के मौजूदा प्रारूप को लेकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि मुस्लिम समुदाय को भी सीएए में शामिल करना चाहिए, लेकिन राजनीतिक दांव-पेंच में सुखबीर सिंह बादल भूल बैठे हैं कि सीएए में स्पष्ट रूप से लिखा है कि यह कानून धार्मिक रूप से प्रताड़ितों के लिए है। अब बादल भली भांति जानते हैं कि तीनों इस्लामिक स्टेट में मुस्लिम किसी भी सूरत में धार्मिक प्रताड़ना के शिकार नहीं हो सकते हैं, फिर वो किस आधार पर सीएए का विरोध कर रहे हैं, यह समझ से परे हैं।
सीएए के विरोध में पंजाब के दोनों दल एक ही नाव पर सवार हैं
राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर जरूर निशाना साधा है। सुखबीर ने कैप्टन अमरिंदर सिंह पर नागरिकता संशोधन एक्ट के बहाने हमला करते हुए पूछते हैं कि क्या कैप्टन अमरिंदर सिंह नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के तहत पीडि़त सिखों को दी जा रही राहत के खिलाफ हैं?, लेकिन सीएए के विरोध में खड़े सुखबीर सिंह बादल इन्हीं सवालों से कतरा रहे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह भी सीएए में मुस्लिमों को भी शामिल करने की वकालत कर रहे हैं।
सीएए के खिलाफ खड़े पंजाब के दोनों दलों के शीर्ष नेता खुद सिख हैं
दिलचस्प बात यह है कि शिरोमणि अकाली दल और पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष क्रमशः सुखबीर सिंह बादल और कैप्टन अमरिंदर सिंह कमोबेश सीएए के विरोध में एक ही नाव पर सवार हैं, लेकिन विरोध की सियासत में आसपास बैठकर भी एक दूसरे को देख नहीं पा रहे हैं। तुर्रा यह है कि दोनों को सिख समुदाय की चिंता है और मजे की बात यह है कि दोनों शीर्ष नेता खुद सिख समुदाय से हैं। विपक्ष में बैठे सुखबीर सिंह बादल कैप्टन अमरिंदर सिंह पर हमला बोलते हुए कह रहे हैं कि कैप्टन सीएए पर अपना रूख स्पष्ट करें। फिर सवाल दागते हैं, कैप्टन अमरिंदर सिंह का सीएए के खिलाफ स्टैंड कांग्रेस के सिख विरोधी एजेंडे का हिस्सा है इसलिए वो सीएए का विरोध में खड़े हैं।
क्या CM की कुर्सी के लिए CAA का विरोध कर रहे हैं कैप्टन अमरिंदर सिंह
सुखबीर बादल ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को सलाह देते हुए कहते हैं कि वो हास्यास्पद बयान देने से बचें, क्योंकि उनके सीएए के खिलाफ दिए बयानों से उनके गांधी परिवार के प्रति आधीनता का पता चलता है। सुखबीर बादल ने सीएए के खिलाफ पंजाब सरकार की सारी कवायद को पंजाब में अपनी कुर्सी बचाने से जोड़ते हुए कहा कि एक परिवार को खुश करने के लिए सीएए का विरोध किया जा रहा है। उन्होंने कैप्टन को ललकारते हुए कहा कि अगर कैप्टन पाकिस्तान और अफगानिस्तान में पीडि़त सिखों को राहत देने के बारे में सचमुच संजीदा हैं तो अकाली दल की सीएए में मुसलमानों को शामिल करने की मांग का उन्हें समर्थन करना चाहिए।
मुस्लिम और दूसरे धर्मों को सीएए से अलग करने के खिलाफ हैं कांग्रेस
वहीं, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अकाली शर्मनाक सियासत से बाज आने की हिदायत देते हुए यह जरूर स्पष्ट किया कि वो भेदभाव के शिकार सिखों का भारत में स्वागत करते हैं और दूसरे देशों में सताए जा रहे हिंदुओं, सिखों को भारत में नागरिकता देने के विरुद्ध भी नहीं खड़ी हैं। यह कहने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह सुखबीर सिंह बादल की लाइन में खड़े हो गए और कहते हैं कि वो मुस्लिम और दूसरे धर्मों को सीएए से अलग-थलग करने के खिलाफ हैं, क्योंकि उनका और कांग्रेस का मानना है कि धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि मुस्लिम के अलावा और किस धार्मिक समुदाय को वो सीएए में शामिल करवाना चाहती है।
सीएए के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव ला चुके कैप्टन अमरिंदर सिंह
सीएए के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव ला चुके कैप्टन अमरिंदर का सीएए के विरोध में कहना है कि सीएए और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर ऐसे साधन हैं, जिससे भारत में अल्पसंख्यकों को पाकिस्तान की अपेक्षा ज्यादा सताया जाएगा। यहां उन्होंने मोदी सरकार में मंत्री और अकाली दल नेता हरसिमरत कौर पर निशाना साधते हुए कहा कि उनको सीएए के बुरे प्रभावों और उसके नुकसान के बारे में कुछ भी पता नहीं है, जो भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को भारी नुकसान पहुंचा रहा है। हालांकि खुद कैप्टन यह परिभाषित करना भूल गए कि सीएए से कैसे भारत की धर्मनिरपेक्षता खतरे में पड़ सकती है, क्योंकि सीएए में भारतीय मुसलमानों की नागरिकता का कोई खतरा नहीं है।
क्या कैप्टन साहब राष्ट्रपिता व पंडित नेहरू द्वारा किया गया वादा भूल गए
क्या कैप्टन अमरिंदर सिंह यह चाहते हैं कि धर्मनिरपेक्षता के नाम पर दुनियाभर में 57 से अधिक मुस्लिम देशों के नागरिकों सीएए में शामिल कर लेना चाहिए। इस तरह तो हिंदूस्तान धर्मशाला हो जाएगा, जहां मुस्लिम समुदाय होने के नाते कोई भी सीएए का प्रावधानों का लाभ लेने पहुंच जाएगा। क्या कैप्टन साहब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवालर लाल नेहरू द्वारा किया गया वादा भूल गए हैं, जब उन्होंने बंटवारे के समय पाकिस्तान में छूट गए हिंदू और सिख समेत अल्पसंख्यकों से वादा किया था कि जब वह चाहे हिंदुस्तान आ सकते हैं। क्या सीएए उन्हीं वादों की परिणिति नहीं हैं, जो उन्हीं लोगों को नागरिकता देने की बात करती है, जो इस्लामिक राष्ट्र और मुस्लिम बहुल राष्ट्र में धार्मिक प्रताड़ना के शिकार होने के बाद हिंदुस्तान में शरणार्थियों बने हुए हैं।
क्या मुस्लिम तुष्टिकरण के नाम पर सीएए का किया जा रहा है विरोध?
कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुखबीर सिंह बाद एक ही नाव पर सवार हैं और दोनों मुस्लिम वोट बैंक के लिए सिख समुदाय के हितों के साथ खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं। कैप्टन कैप्टन अमरिंदर पाकिस्तान में सिखों समेत अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों, बलात्कार, जबरन धर्म परिवर्तन की खबरों से खूब वाकिफ हैं, लेकिन सीएए के विरोध में खड़े होकर पाकिस्तान में धार्मिक आधार पर सिखों और हिंदुओं को प्रताड़ित कर रहे मुस्लिमों के पक्ष में खड़े हो गए हैं। उनका कहना है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक सिख और हिंदू समुदायों पर बहुसंख्यक मुस्लिमों के हमलों से सीएए का बचाव नहीं किया जा सकता है। अरे कैप्टन साहब, सीएए ऐसे प्रताड़ितों को बचाने के लिए लाया गया है।
शिरोमणि अकाली दल ने नागरिकता संशोधन बिल के पक्ष में वोट किया था
हाल ही में शिरोमणि अकाली दल द्वारा सीएए के मुद्दे पर कहा गया है कि सीएए मुद्दे पर स्टैंड छोडऩे के बजाय पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में नहीं लडऩे का फैसला किया है, लेकिन केंद्र में मंत्री हरसिमरत कौर को इस्तीफा दिलाने से बच रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल का कहना है कि उन्होंने सिखों को बचाने के लिए नागरिकता संशोधन बिल के पक्ष में वोट दिया था, लेकिन अब उनकी मांग है कि मुसलमानों को एक्ट में शामिल किया जाए। सवाल यह है कि संसद में जब सीएए के पक्ष और विपक्ष में चर्चा हो रही थी तब शिरोमणि अकाली दल ने बहस में हिस्सा नहीं लिया था क्या या आंख बंद कर समर्थन किया था।
पाकिस्तान में सफाईकर्मी की नौकरी सिर्फ गैर-मुस्लिमों के लिए आरक्षित है
निः संदेह सीएए पर पंजाब सरकार और मुख्य विपक्षी दल दोनों राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं, क्योंकि नागरिकता संशोधन कानून से मुस्लिमों को नहीं शामिल करने की वजह उक्त तीनों देशों के इस्लामिक और बहुसंख्यक मुस्लिम राष्ट्र होना है, जहां सिर्फ और सिर्फ गैर मुस्लिम ही पीड़ित हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की प्रताड़ना का उदाहरण देते हुए बताया कि धार्मिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए पाकिस्तान में सफाईकर्मी की नौकरी सिर्फ गैर-मुस्लिमों के लिए आरक्षित किया गया है, लेकिन धर्मनिरपेक्षता की आड़ में मुस्लिमों को सीएए में शामिल करने की पैरोकारी कर रहे पंजाब के मुख्यमंत्री ऐसी प्रताड़नाओं पर मौन हो जाते हैं।
शिअद ने सीएए के मौजूदा प्रारूप खिलाफ में जारी किया प्रस्ताव
शिरोमिण अकाली दल द्वारा सीएए के पक्ष में जारी एक प्रस्ताव में कहा गया है कि शिअद सीएए का समर्थन करता है, क्योंकि यह सिखों और हिंदुओं समेत कई अन्य समुदायों को सुरक्षा देता है, लेकिन अपने वर्तमान स्वरूप में यह समावेशी और सेक्युलर नहीं है और उस मायने में यह महान गुरू साहिबों, संतों के मूल आदर्शों के खिलाफ जाता है, क्योंकि यह देश के एक महत्वपूर्ण अल्पसंख्यक समुदाय यानी मुस्लिमों के प्रति भेदभाव करता है। हम चाहते हैं कि यह भेदभाव समाप्त किया जाए। हालांकि यह महज कोरी राजनीति है, जो पंजाब के दोनों दल सिख शरणार्थियों के खिलाफ जाकर कर रहे हैं।
सीएए के मौजूदा प्रारूप को लेकर खुश है भारत का सिख समुदाय
हालांकि राजनीति से इतर भारत का सिख समुदाय सीएए को लेकर खुश है। उत्तर प्रदेश क लक्सर में बुक्कनपुर गांव में रह रहे सिख समुदाय के लोगों ने सीएए को देश की आंतरिक सुरक्षा के हित में बताते हुए इसका समर्थन किया है। उनका कहना है कि कांग्रेस समुदाय विशेष के लोगों को गुमराह करके इसका विरोध करा रही है, क्योंकि विरोधी सीएए का नहीं बल्कि देश का विरोध कर रहे हैं। अभी राजधानी दिल्ली में हुए प्रदर्शनों के बीच राजघाट पर पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने सीएए के समर्थन में प्रदर्शन किया, जिसमें हिन्दू और बाकी समुदाय से आए लोगों ने हिन्दू शरणार्थी अधिकार मंच की तरफ से प्रदर्शन किया।
सीएए के समर्थन राजघाट में प्रदर्शन में पहुंचे 800 सिख शरणार्थी
सीएए के पक्ष में राजघाट में प्रदर्शन में पहुंचे करीब 700 से 800 पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए शरणार्थी सिखों ने हाथों में तिरंगा लिए मोदी सरकार के समर्थन में मार्च किया। इस धरने में ज्यादातर सिख शरणार्थी पाकिस्तान के सिंध प्रांत के हिन्दू थे। इस प्रदर्शन में अफगानिस्तान से पलायन कर आए सिख समुदाय के शरणार्थी उत्तरी दिल्ली के मजनू का टीला, आदर्श नगर और रोहिणी इलाके में रहने वाले हैं। वहीं, अफगानिस्तान से आए सिख दक्षिणी दिल्ली और पश्चिमी दिल्ली से आए थे। समर्थन में आए इन लोगों का कहना था कि ये लोग पाकिस्तान के सिंध प्रांत में प्रताड़ना की वजह से यहां पहुंचे हैं। इन्होंने मजबूर होकर अपने घर को छोड़ना पड़ा था।
'भारत जाओ या इस्लाम कबूल करो' धमकी के बाद भारत आए शरणार्थी
राजधानी दिल्ली में कई वर्षों से एक शरणार्थी का जीवन जी रहे प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सीएए से उनको भारत की नागरिकता मिलेगी। उन्होंने बताया कि वो तब भागकर हिंदुस्तान आए थे, जब उन्हें भारत जाओ या इस्लाम कबूल करो की धमकी दी जाने लगी। मालूम हो, वर्ष 1989 में बड़ी संख्या में हिंदू और सिखों ने अफगानिस्तान से भारत में पलायन किया था। ये सिख भारत के कई हिस्सों में खासकर दिल्ली और पंजाब में आ बसे हैं। इस कानून को लेकर हो रहे विरोध पर उन्होंने कहा कि आज जो कानून है वो हमें नागरिकता देता है किसी की नागरिकता छीनता नहीं है तो फिर इसका विरोध क्यों हो रहा है।
राष्ट्रीय सिख संगत ने सीएए विरोध को बताया नाजायज
गुरू ग्रंथ साहिब के संदेशों की प्रचारक और सामाजिक व सांस्कृतिक संस्था राष्ट्रीय सिख संगत ने शिरोमणि अकाली दल के सीएए विरोध को नाजायज बताते हुए कहा कि सीएए केवल उन अल्पसंख्यकों के लिए है, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश में धार्मिक प्रताड़ना के शिकार हैं। संस्था के महासचिव कुलमीत सिंह सोढ़ी ने एक बयान जारी कर कहा कि उक्त तीनों देशों में हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी समुदाय के लोगों को धार्मिक भेदभाव के आधार पर प्रताड़ित किया जा रहा है, लेकिन इन देशों में मुसलमान किसी भी तरह से प्रताड़ित नहीं है। ऐसे में केवल प्रताड़ित लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए सीएए बनाया गया है।
सिख समुदाय से सीएए के समर्थन में आगे आने की अपील
बकौल कुलमीत सिंह सोढ़ी, सीएए के कारण भारतीय मुसलमानों अथवा किसी अन्य समुदाय को कोई नुकसान नहीं होने वाला है। ऐसे कानून का विरोध किसी भी तरह उचित नहीं हैं। उन्होंने समस्त सिख समुदाय से सीएए के समर्थन में आगे आने की अपील करते हुए कहा कि शिअद समेत अन्य राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए वो लोग सियासी फायदे के लिए लोगों को धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश कर रहे हैं। मालूम हो, कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई पंजाब सरकार ने सीएए के खिलाफ पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव पास किया है।
पीवी नरसिम्हाराव ने पहली बार शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी
पड़ोसी मुल्क से धार्मिक तौर पर प्रताड़ित होकर आए शरणार्थियों को नागरिकता देने का काम सरकार ने पहली बार नहीं किया है। पीवी नरसिम्हाराव के नेतृत्व वाली केंद्र की सरकार के समय में भी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी गई है, लेकिन आजादी के 73 वर्ष बाद नागरिकता कानून 1955 में संशोधन करके मोदी सरकार ने धार्मिक प्रताड़ना के शिकार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसियों को भारत की नागरिकता देने का रास्ता निकाला है, लेकिन कांग्रेस समेत अन्य दल राजनीतिक स्वार्थ और मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते सीएए के विरोध में खड़ी हैं।