व्हाट्सऐप पेमेंट आने से पेटीएम परेशान क्यों?
व्हाट्सऐप अगले महीने भारत में अपना पेमेंट फीचर लॉन्च कर रहा है. वह पहले से ही एक लाख ग्राहकों के साथ इसके बीटा वर्जन को आजमा रहा है। एक बार रिलीज होने पर इसके 20 करोड़ यूजर्स अपने व्हाट्सऐप अकाउंट से पैसे भेज और प्राप्त कर पाएंगे. लेकिन, ऑनलाइन पेमेंट की दुनिया के एक बड़े खिलाड़ी पेटीएम के लिए ख़तरे की घंटी बज गई है और उसने पहले से ही इसके लिए जंग शुरू कर दी है.
अब व्हाट्सऐप पर आप सिर्फ़ मैसेज और कॉल ही नहीं, बल्कि पैसों का लेन-देन भी कर पाएंगे. व्हाट्सऐप अगले महीने भारत में अपना पेमेंट फीचर लॉन्च कर रहा है. वह पहले से ही एक लाख ग्राहकों के साथ इसके बीटा वर्जन को आजमा रहा है.
एक बार रिलीज होने पर इसके 20 करोड़ यूजर्स अपने व्हाट्सऐप अकाउंट से पैसे भेज और प्राप्त कर पाएंगे.
लेकिन, ऑनलाइन पेमेंट की दुनिया के एक बड़े खिलाड़ी पेटीएम के लिए ख़तरे की घंटी बज गई है और उसने पहले से ही इसके लिए जंग शुरू कर दी है.
आपका व्हाट्सऐप जल्दी बदलने वाला है
व्हाट्सएप का रंग बदलने के झांसे में आए तो....
पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा ने पहले दावा किया था कि व्हाट्सएप एक महत्वपूर्ण पेमेंट नियम को तोड़ रहा है जिससे अब सरकार ने इनकार कर दिया है.
फ्री बेसिक्स
अब पेटीएम व्हाट्सऐप की मूल कंपनी फ़ेसबुक पर 'फ्री बेसिक्स' को दोहराने का आरोपा लगा रहा है. दो साल पहले फेसबुक ने अपने 'फ्री बेसिक्स' प्लेटफॉर्म के लिए कुछ इंटरनेट सेवाएं रखने का एक इकोसिस्टम बनाने कोशिश की थी. लेकिन, इस आइडिया का बड़े स्तर पर विरोध होने पर इसे छोड़ दिया गया.
पेटीएम के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट दीपक एबॉट ने बीबीसी से बातचीत में दावा किया कि फ़ेसबुक के स्वामित्व वाला व्हाट्सऐप एक ऐसा ही मोबाइल पेमेंट इकोसिस्टम बनाने की कोशिश कर रहा है.
उन्होंने कहा, ''फ़ेसबुक बाजार पर हावी होने की कोशिश करता है और अतीत में उन्होंने देखा है कि ये बाज़ार निर्माण का सही तरीका है. उन्होंने ये मानसिकता बना ली है कि अगर वो यूजर्स को अपने सिस्टम में बांधने में सक्षम होते हैं तो यह अच्छा यूजर अनुभव देता है. फ्रीबेसिक्स भी इसी तरह था.''
''हमें लगता है कि वास्तव में यह यूजर को पूरा अनुभव लेने से रोकता है. पेटीएम में यह विकल्प है कि आप किसी को भी पैसे भेज सकते हैं चाहे उसके पास पीटीएम का ऐप हो या नहीं. हम उसे नहीं रोकेंगे.''
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पेटीएम के लिए ख़तरा क्यों?
पेटीएम ने साल 2010 में भारतीय बाज़ार में प्रवेश किया था और नोटबंदी के दौरान इसके यूजर्स की संख्या बहुत तेज़ी से बढ़ गई थी. इसने 30 करोड़ यूजर्स के साथ घरेलू खिलाड़ियों जैसे मोबीक्विक, फ्रीचार्ज और फोनएप को पीछे छोड़ दिया था.
चीनी और जापानी निवेशकों के सहयोग से पेटीएम ने अपना मार्केट बजट ऊंचा रखा है और अपने कारोबारी नेटवर्क का तेजी से विस्तार किया है.
पेटीएम ने बैंकिंग सेवा भी शुरू की है और आगे चलकर इंश्योरेस में भी हाथ आजमा सकता है.
लेकिन, अब खेल के नियम बदलने वाले हैं.
पेटीएम पर चीनी कंपनी का नियंत्रण और बढ़ा
फ़ेसबुक इंक के व्हाट्सऐप के पास दो बड़ी ताकतें हैं. इसके पास फंड की कमी नहीं है और इसके चैट ऐप के पास पहले से ही 23 करोड़ यूजर्स हैं. इसके बीटा वर्जन की जांच दिखाती है कि यूजर्स के लिए इसका इस्तेमाल और आसान होने वाला है.
व्हाट्सऐप को अपने ग्राहकों को पहले से ही बने सिस्टम में पेमेंट की सुविधा देने से फ़ायदा हो सकता है.
मोबाइल पेमेंट प्लेटफॉर्म फ्रीरिचार्ज के संस्थापक कुनाल शाह ने ट्वीट किया, ''जिन कंपनियों को व्हॉट्सऐप पेमेंट से ख़तरा है वो इसे राष्ट्रद्रोही करार देने और उसे गिराने की कोशिश करने वाली हैं क्योंकि अपनी खूबियों के बूते व्हॉट्सएप के प्रभाव से जीतना मुश्किल है. यही रणनीति पतंजलि के मामले में काम आई थी और यह पेमेंट कंपनियों के लिए भी काम कर सकती है.''
पेटीएम को डरना चाहिए?
चीन के बाज़ार में जो हुआ उसे देखें तो हां, पेटीएम के लिए परेशान होने की बात है.
चीन की एक बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा ने साल 2009 में अपनी मोबाइल पेमेंट सेवा एलीपे शुरू की थी. इसने जल्दी ही 80 प्रतिशत बाज़ार पर कब्जा कर लिया. लेकिन तभी एक गेमिंग कंपनी टेंसेंट को अपने चैटिंग एप से मोबाइल पेमेंट को जोड़ने में फायदा नजर आया. इसलिए कंपनी ने साल 2013 में पेमेंट सर्विस 'टेनपे' को वीचैट से जोड़ दिया और इसे 'वीचैट पे' का नाम दिया. जब अलीबाबा के संस्थापक जैक मा ने इसे एलीपे पर 'पर्ल हार्बर अटैक' कहा था.
एक रिसर्च फर्म के विश्लेषण के मुताबिक साल 2017 में एलीपे का मार्केट शेयर 54 फ़ीसदी तक गिर गया था और वीचैट दूसरे नंबर पर आ गया था.
दिलचस्प है कि चीन के एलीबाबा ने पेटीएम में भी निवेश किया है.
व्हाट्सऐप पेमेंट में क्या मिलेगा?
सबसे पहला, आपको अपने वॉलेट में पैसे रखने की ज़रूरत नहीं है. आगे चलकर यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस या यूपीआई के तौर पर इस्तेमाल होने वाले व्हाट्सऐप बीटा वर्जन के मुताबिक भेजने वाले के बैंक खाते से पैसे सीधा प्राप्त करने वाले के बैंक खाते में जाएंगे.
दूसरा, यूजर्स को अपना बैंक खाता सीधे ऐप से जोड़ना होगा. लेकिन बीटा वर्जन में यह देखने को मिलता है कि व्हॉट्सएप पेमेंट की सुविधा सिर्फ़ उन्हीं यूजर्स को मिल पाएगी जो व्हाट्सएप इस्तेमाल करते हैं.
यानी आप केवल उसी व्यक्ति को पैसे भेज पाएंगे जो आपकी कॉन्टैक्ट लिस्ट में होगा और जो खुद व्हाट्सएप यूजर होगा.
वहीं, व्हाट्सएप पेमेंट के लिए मूवी, ट्रैवल, खाने-पीने और अन्य सेवाओं को शामिल करना एक बड़ी चुनौती होगा.
फ़ेसबुक इंक ने अभी इस पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन पेटीएम का कहना है कि वो इसके लिए तैयार है.
दीपक एबॉट कहते हैं, ''हम व्हाट्सऐप को एक और प्रतियोगी के तौर पर मान लेंगे. गूगल आया और उसने बाजार बढ़ा दिया. अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है. 90 फीसदी यूजर्स ऐसे हैं जो यूपीआई से नहीं जुड़े हैं. मुझे विश्वास है कि व्हाट्सऐप के लॉन्च होने के बाद वो बाजार पर कब्जा करने के बारे में सोच रहे होंगे. हम भी इसमें प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. यह एक बड़ा बाजार है और अगर आपके पास अच्छा प्रोडक्ट है तो आप बड़े खिलाड़ी बन सकते हैं. हम यहां दो-तीन बड़े खिलाड़ी होने से खुश होंगे.''
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