नेपाली जिनपिंग को लेकर क्यों कह रहे हैं मोदी से सीखो
23 साल बाद किसी चीनी राष्ट्रपति नेपाल दौरा होने वाला था और नेपाल इसकी तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ा चाहता था. शी जिनपिंग 12 अक्टूबर की शाम काठमांडू पहुंचे. सड़के पहले से ही साफ़ करवा दी गई थीं. शी जिनपिंग की बड़ी-बड़ी तस्वीरें सड़क के किनारे टंगी थीं. चीनी राष्ट्रध्वज भी काठमांडू की सड़कों पर लहरा रहे थे. कुछ इस तरह की तैयारी राष्ट्रपति जिनपिंग के खाने के लिए की गई थी.
23 साल बाद किसी चीनी राष्ट्रपति नेपाल दौरा होने वाला था और नेपाल इसकी तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ा चाहता था. शी जिनपिंग 12 अक्टूबर की शाम काठमांडू पहुंचे. सड़के पहले से ही साफ़ करवा दी गई थीं. शी जिनपिंग की बड़ी-बड़ी तस्वीरें सड़क के किनारे टंगी थीं. चीनी राष्ट्रध्वज भी काठमांडू की सड़कों पर लहरा रहे थे.
कुछ इस तरह की तैयारी राष्ट्रपति जिनपिंग के खाने के लिए की गई थी. काठमांडू पोस्ट के अनुसार राष्ट्रपति जिनपिंग को नॉर्व की सामन मछली, डिसों मस्टर्ड की चटनी, मैसकार्पोन चीज़, कैंटोनीज नूडल्स के साथ कई तरह तरह के व्यंजन परोसे गए. राष्ट्रपति जिनपिंग को ये व्यंजन शनिवार को डिनर में परोसे गए थे.
राष्ट्रपति जिनपिंग को दिया गया स्टेट डिनर नेपालियों को पसंद नहीं आया और लोगों ने सोशल मीडिया पर ग़ुस्से का इज़हार किया. इनका कहना है कि ज़्यादातर देश अपने देश खान-पान परोसते हैं और इस पर गर्व करते हैं. लेकिन नेपाल ने विदेशी व्यंजन परोसा.
राष्ट्रपति जिनपिंग के लिए स्टेट डिनर की व्यवस्था क्राउन प्लाज़ा में थी. चीनी राष्ट्रपति के लिए यहीं रुकने की व्यवस्था की गई थी. नेपालियों ने नेपाली भोजन नहीं परोसने को लेकर ट्विटर पर सरकार के प्रति ग़ुस्सा जताया है. @alienepalien नाम के ट्विटर अकाउंट से लिखा है, ''राष्ट्रपति जिनपिंग के लिए मेन्यु बिल्कुल बेकार था. कम से कम एक नेपाली फूड तो होना चाहिए था. डिनर में कम से कम एक नेपाली मिठाई ही शामिल कर देते.''
Cantonese Pan Fried Noodles with Lu Han Chi can make or break the visit. Whose idea was it to push Chinese food on to the menu? @hello_sarkar please see what the GOI did. They stuck with an all Indian, mostly Malabar, menu. Good luck all the same, and Bon Appetit!
— Ashok Pokharel (@BigBlackYak) 12 October 2019
कई लोगों ने भारत में शी जिनपिंग के दौरे का हवाला दिया है और कहा है कि पीएम मोदी ने शी जिनपिंग को स्थानीय भोजन कराया था. अशोक पोखारील ने लिखा है, ''राष्ट्रपति जिनपिंग को चाइनीज़ फूड देने का आइडिया किसका था? हेलो सरकार प्लीज देखिए भारत सरकार ने क्या किया है. भारत में चीनी राष्ट्रपति के लिए पूरा मेन्यू भारतीय था.''
राष्ट्रपति शी जिनपिंग 11 अक्टूबर को भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु के महाबलीपुरम पहुंचे थे. शी जिनपिंग के मेन्यू में सारे डिश दक्षिण भारतीय थे. शायद ही कोई विदेशी डिश था. नेपाल में इस बात का उल्लेख प्रमुखता से किया जा रहा है.
The menu for President Xi !#XiJinpingNepalVisit #statebanquet pic.twitter.com/7OCbwYDLEl
— SUDHEER SHARMA (@sudheerktm) 12 October 2019
नेपाल के पत्रकार सुधीर शर्मा ने शी जिनपिंग के लिए तैयार किए गए मेन्यू को ट्वीट किया है. इसकी प्रतिक्रिया में अंकित कोईराला ने कहा है, ''जोराइलो बासमती यास मार्सी को भात भी इसमें जोड़ा जा सकता था.'' @saud2ep नाम के ट्विटर हैंडल से लिखा गया है, ''हम अपने फूड को प्रमोट क्यों नहीं कर सकते?''
कस्तो टाउको पुच्छर नमिल्ने मेनु... typical Nepali restauants style. Wouldn't it be better if they just served Nepalese cuisine.
— sud2ep ☢️💀 (@sud2ep) 12 October 2019
विदेशी दौरों में राष्ट्र प्रमुखों के लिए डिनर या लंच को सामान्य भोजन के तौर पर नहीं देखा जाता है बल्कि इसे भी राजयनिक रणनीति के तौर देखा जाता है. हर देश अपने फूड के ज़रिए राष्ट्रीय गर्व का प्रदर्शन करते हैं. काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार 2016 में भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी नेपाल के दौरे पर आए थे तब भी उनके डिनर के मेन्यू में कोई नेपाली फूड नहीं था.