क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

मुसलमानों के लिए क्यों ख़ास है जुमे की नमाज़

हरियाणा के गुड़गांव में बीते कुछ दिनों से खुलेआम नमाज़ पढ़ने को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है.

इसकी शुरुआत कुछ सप्ताह पहले शुक्रवार के दिन सार्वजनिक जगह पर जुमे की नमाज़ से शुरू हुई थी.

एक हिंदूवादी संगठन 'हिंदू संघर्ष समिति' ने खुले में नमाज़ पढ़ रहे लोगों को वहां से हटा दिया था.

इसके बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News

हरियाणा के गुड़गांव में बीते कुछ दिनों से खुलेआम नमाज़ पढ़ने को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है.

इसकी शुरुआत कुछ सप्ताह पहले शुक्रवार के दिन सार्वजनिक जगह पर जुमे की नमाज़ से शुरू हुई थी.

एक हिंदूवादी संगठन 'हिंदू संघर्ष समिति' ने खुले में नमाज़ पढ़ रहे लोगों को वहां से हटा दिया था.

इसके बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सार्वजनिक जगहों पर नमाज़ पढ़ने को लेकर प्रतिक्रिया दी है.

उन्होंने कहा है कि नमाज़ केवल मस्जिदों और ईदगाहों में ही पढ़ी जानी चाहिए. मुख्यमंत्री के इस बयान का 'हिंदू संघर्ष समिति' ने स्वागत किया है.

यह संगठन खुले में नमाज़ पढ़ने पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहा है और इसने हाल में इसको लेकर प्रदर्शन भी किया है.



नमाज़
Getty Images
नमाज़

इस्लाम और नमाज़

मुसलमान होने की बुनियाद ही ये है कि कोई शख़्स अल्लाह को मानता हो और नमाज़ पढ़ता हो.

इस्लाम में पांचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना ज़रूरी ही ज़रूरी है और इसको बिलकुल भी छोड़ा नहीं जा सकता है.

सफ़र में भी एक मुसलमान को नमाज़ पढ़ना ज़रूरी होता है लेकिन इस दौरान नमाज़ पढ़ने की प्रक्रिया छोटी कर दी जाती है.

मसलन की सामान्य तौर पर नमाज़ पढ़ने के लिए जितना समय लगता है, सफ़र में वह आधा हो जाता है.

नमाज़ पढ़ने के लिए किसी शख़्स का पाक (शरीर से लेकर कपड़े तक पर गंदगी न हो) होना ज़रूरी है. साथ ही जिस जगह पर वह नमाज़ पढ़े वो भी पाक हो.

नमाज़
Getty Images
नमाज़

क्या हर जगह पढ़ी जा सकती है नमाज़?

एक मुसलमान कहीं भी नमाज़ पढ़ सकता है. बस उसकी शर्त है कि वो जगह पाक-साफ़ हो. क्या ऐसी जगह है जहां इस्लाम नमाज़ पढ़ने के लिए रोकता है?

इस सवाल पर इस्लाम के विद्वान मौलान अब्दुल हमीद नौमानी कहते हैं, "शरीयत (इस्लामी क़ानून) के हिसाब से पूरी ज़मीन पाक है और कोई शख़्स कहीं भी नमाज़ पढ़ सकता है."

वह आगे कहते हैं, "अगर कोई ज़मीन छीनी हुई है और अवैध रूप से कब्ज़ा की हुई है तो उस पर नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकती है लेकिन कोई सरकारी ज़मीन है और उस पर किसी का कब्ज़ा नहीं है तो वहां नमाज़ हो सकती है. उस ज़मीन का साफ़ होना ज़रूरी है."

क्या इस्लाम किसी दूसरे इंसान की ज़मीन पर उसकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ नमाज़ पढ़ने की अनुमति देता है?

इस सवाल पर नौमानी कहते हैं कि अगर ज़मीन के मालिक ने मना कर दिया तो शरीयत के अनुसार उस जगह पर नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकती है.

सरकारी ज़मीन पर क्या नमाज़ पढ़ी जा सकती है?

इस पर वह आगे कहते हैं कि सरकारी जगह या पहले से किसी जगह पर नमाज़ पढ़ी जा रही है तो वहां नमाज़ हो सकती है.

नमाज़
Getty Images
नमाज़

जुमा क्यों है अलग?

इस्लाम में दिन में पांच वक़्त की नमाज़ पढ़ना ज़रूरी है. इनको पांच वक़्तों में बांटा जाता है.

सुबह की नमाज़ को फ़जर, दोपहर की नमाज़ को ज़ोहर, शाम से पहले असर, शाम के वक़्त को मग़रिब और आधी रात से पहले पढ़ी जाने वाली नमाज़ को इशा की नमाज़ कहा जाता है.

मगर इन पांचों नमाज़ों में शुक्रवार के दिन तब्दीली होती है. इस्लाम में शुक्रवार (जुमे) के दिन की ख़ासी अहमियत है.

इस दिन को एक-दूसरे के साथ जुड़ने का दिन बताया गया है ताकि लोग एकता दिखा सकें.

इस वजह से शुक्रवार के दिन दोपहर की नमाज़ के वक़्त ज़ोहर की नमाज़ की जगह जुमे की नमाज़ होती है.

जुमे की नमाज़ अगर कोई नहीं पढ़ पाता है तो उसे ज़ोहर की नमाज़ पढ़ना चाहिए. जुमे की नमाज़ की शर्त यह भी होती है कि ये एकसाथ मिल-जुलकर पढ़ी जाती है.

इसे अकेले नहीं पढ़ा जा सकता है. इस नमाज़ के दौरान ख़ुतबा (धार्मिक उपदेश) होता है.

नमाज़
Getty Images
नमाज़

अगर कोई शख़्स जुमा न पढ़ पाए तो?

इस सवाल पर नौमानी कहते हैं कि कोई जुमे की नमाज़ नहीं पढ़ पाता है तो उसको ज़ोहर की नमाज़ पढ़ना ज़रूरी है क्योंकि इस्लाम में नमाज़ छोड़ी नहीं जा सकती है.

जुमे के दिन लगने वाली भीड़ की वजह क्या है?

इस पर वह कहते हैं कि जुमे के दिन की अहमियत काफ़ी होती है, इस वजह से लोग नमाज़ पढ़ने आते हैं और भीड़ मस्जिद से बढ़कर सड़क तक आ जाती है और यह थोड़े समय के लिए ही होता है.

सरकार के मना करने पर शरीयत नमाज़ को लेकर क्या कहती है?

नौमानी कहते हैं कि कोई बादशाह पूरी जनता का बादशाह होता है इसलिए उस पर यह फ़र्ज़ है कि वह उनको धार्मिक जगह मुहैया कराए और सबके साथ बराबर सुलूक करे.

अगर कोई जायज़ वजह हो तो उसके लिए भी शरीयत में उपाय है लेकिन गुरुग्राम जैसे जगहों पर नमाज़ पढ़ने से रोकना मामला राजनीति से प्रेरित है.

वह कहते हैं कि अगर कोई क़ानून व्यवस्था का मसला हो तो नमाज़ को खुले में पढ़ने से रोका जा सकता है, अगर ऐसा नहीं है तो इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती है.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Why is it special for Muslims to pray Zuma
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X