हैदराबाद चुनाव में भाजपा क्यों अपना रही केजरीवाल मॉडल?
नई दिल्ली- भाजपा ने ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव को राष्ट्रीय चुनाव बना दिया है। पार्टी के कई राष्ट्रीय नेता हैदराबाद में कैंप कर रहे हैं। इस चुनाव में पार्टी जहां हर चुनाव की तरह राष्ट्रीय मुद्दे तो उठा ही रही है, उसने इसे जीतने के लिए अरविंद केजरीवाल का दिल्ली वाला चुनावी मॉडल भी अपना लिया है। एक अखबार ने तो यहां तक खबर छाप दी थी कि पार्टी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी यहां प्रचार करवाने की तैयारी कर रही है, हालांकि बाद में उसने उस खबर का खंडन करके माफी मांग ली। बीजेपी के चुनाव प्रचार की तैयारियों को देखकर हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवेसी ने उसे प्रधानमंत्री से प्रचार करने की चुनौती भी दे डाली है। आइए समझते हैं कि दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा एक स्थानीय चुनाव को इतना महत्त्व क्यों दे रही है, जिसे जीतने के लिए उसने वह सारे हथकंडे अपनाए हैं, जो दिल्ली में दो चुनावों से आम आदमी पार्टी का आजमाया हुआ एजेंडा रहा है।
राष्ट्रीय नेता कर रहे हैं लोकल चुनाव का प्रचार
भारतीय जनता पार्टी पहली बार अपने शीर्ष नेताओं से ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव जैसे स्थानीय निकाय के चुनाव में प्रचार करवा रही है और उनके रोड शो करवाने की जिम्मेदारी अभी-अभी बिहार का चुनाव जिताकर लौटे पार्टी महासचिव भूपेंद्र यादव को सौंपी गई है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, स्मृति ईरानी, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बिहार चुनाव के प्रभारी रहे देवेंद्र फडणवीस और फायर ब्रांड सांसद भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या वहां पहले से ही वहां चुनावी बिसात बिछा चुके हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह क्रमश: शुक्रवार, शनिवार और रविवार को रोड शो और चुनावी रैली करने आ रहे हैं।
तेलंगाना में उपचुनाव की जीत ने बढ़ाया हौसला
भारतीय जनता पार्टी हैदराबाद के लोकल चुनाव को इतना तबज्जो क्यों दे रही है? इस सवाल के बारे में पार्टी के एक विश्वस्त सूत्र ने वन इंडिया को बताया है कि, "पार्टी को हैदराबाद निगम में स्कोप दिख रहा है......बंगाल चुनाव के लिए भी माहौल बनाना है.....इससे कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ेगा। वह चुनाव मोड में बने रहेंगे। पार्टी हर चुनाव को महत्त्व देती है। ऊपर से विधानसभा उपचुनाव में जीत ने नेताओं का भी हौसला बढ़ाया है।" गौरतलब है कि हाल में बिहार विधानसभा चुनाव के साथ संपन्न हुए उपचुनाव में तेलंगाना की डुब्बक विधानसभा सीट पर पार्टी के उम्मीदवार ने तेलंगाना राष्ट्र समिति के प्रत्याशी को हराकर जीत हासिल की है। यही नहीं, जम्मू-कश्मीर के 20 जिलों में जो डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट काउंसिल का चुनाव हो रहा है, वहां के लिए भी पार्टी ने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन को भेजा हुआ है।
राष्ट्रीय राजनीति की नई दिशा तय होगी?
हैदराबाद ओवैसी का गढ़ भी रहा है। यहां योगी आदित्यनाथ या साध्वी निरंजन ज्योति जैसे नेताओं से प्रचार कराने का मकसद साफ है कि पार्टी इसे एआईएमआईएम और बीजेपी के बीच का चुनाव बनाना चाहती है। इसे बंगाल चुनाव के लिए भी रिहर्सल के तौर पर देखा जा सकता है। क्योंकि, योगी और ओवैसी में सियासी वार-पलटवार चलता ही रहा है। बिहार का सीमांचल इलाका भी इसकी गवाह बन चुका है। इसलिए बीजेपी हैदराबाद में रोहिंग्या मुसलमानों का भी मुद्दा उठा रही है तो उसपर पलटवार करने में ओवैसी भी पीछे नहीं हैं। एक जनसभा में ओवैसी ने तो सीधे गृहमंत्री शाह को चुनौती दी कि 'अगर यहां के इलेक्ट्रोल रोल में 30-40 हजार रोहिंग्या शामिल हो गए तो अमित शाह क्या कर रहे हैं? तेजस्वी सूर्या ओवैसी को जिन्ना बता चुके हैं, तो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय कुमार ताल ठोक कर कहते हैं कि सत्ता में आने पर पुराने हैदराबाद में घुसपैठियों पर सर्जिकल स्ट्राइक होगा।
भाजपा का 'केजरीवाल मॉडल'
भारतीय जनता पार्टी हैदराबाद चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे और राष्ट्रीय नेताओं का इस्तेमाल तो कर ही रही है, दिल्ली में केजरीवाल के वोट बटोरने वाली तरकीब भी झोंक चुकी है। पार्टी ने हैदरबाद शहर के लिए जो विजन डॉक्यूमेट जारी किया है, उसमें मुफ्त में दी जाने वाली सुविधाओं वाले वादों की भरमार है। पार्टी ने वादा किया है कि सत्ता में आने पर 100 यूनिट से कम मासिक बिजली खपत करने वाले परिवारों को मुफ्त बिजली दी जाएगी। पीने के पानी की मुफ्त सप्लाई का वादा किया गया है। सिटी बस और मेट्रो में महिलाओं की यात्रा फ्री होगी। बिहार की तरह पार्टी ने कोरोना का मुफ्त वैक्सीन लगाने का भी वादा किया है। गरीब परिवारों के बच्चों को मुफ्त में टैब देने का भी भरोसा दिलाया है।
1 दिसंबर को डाले जाएंगे वोट
ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के 150 वार्ड के लिए 1 दिसंबर को वोट डाले जाने हैं। इसलिए प्रचार के आखिरी दिन 29 नवंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का सिकंदराबाद इलाके में रोड शो का कार्यक्रम रखा गया है। इस चुनाव के लिए 10 हजार पोलिंग सेंटर बनाए जाएंगे और चुनाव के नतीजे 4 दिसंबर को घोषित होंगे। आखिरी निकाय चुनाव में वहां तेलंगाना की सत्ताधारी टीआरएस को जीत मिली थी। वह 99 सीटें जीती थी। जबकि, ओवैसी की पार्टी 44 सीटें लेकर दूसरे स्थान पर रही थी। बीजेपी को सिर्फ 4, कांग्रेस को 2 और टीडीपी को 1 वार्ड में जीत मिली थी।