तस्लीमा नसरीन का अमेरिका जाना भारत के लिए 'लज्जा'जनक
दिल्ली(विवेक शुक्ला) तस्लीमा नसरीन भारत में इस्लामिक कट्टरपंथियों की धमकियों से डर के कारण अमेरिका चली गईं। अब सवाल उठता है कि देश बांग्लादेशी लेखिका को सुरक्षा देने में क्यों फेल हुआ।
क्या हम अपने देश में कट्टरपंथियों से सताई हुई महिला लेखिका को सुरक्षा देन में सक्षम नहीं है। ये सवाल अपने आप में अहम है। उनका भारत छोड़कर जाना इस बात का साफ संकेत है कि हम लज्जा की लेखिका को सुरक्षा नहीं पाए।
भटकती रहेंगी
अब बड़ा सवाल ये है कि आखिर वह कब तक एक देश से दूसरे देश तक भटकती रहेंगी। क्यों आज ये मजबूत लेखिका तथाकथित चरमपंथियों का सामना करने से डगमगा रही हैं। हालांकि एक राय ये भी है कि अपने लेखन से सभी को जबाव देने वाली लेखिका को अपने साहस का परिचय देना चाहिए, एक लेखिका इतनी कमजोर नहीं हो सकती।
मौत का खतरा
स्वीडन की नागरिक होने के बावजूद तस्लीमा धमकियों का डर दिखा कर क्या जताना चाहती हैं, क्या ये एक अकेली हैं जिनपर मौत का खतरा मंडरा रहा है। भारत में कई सालों से निर्वासित जीवन गुजार रही तस्लीमा नसरीन को भारत अपने मुल्क की तरह से ही लगता था। ये बात एक बार उन्होंने इस लेखक से राजधानी के इडिया इंटरनेशनल सेंटर में कही थी। उन्होंने भारत की नागरिकता की भी इच्छा जताई थी।
वीजा मिलता रहा
पर भारत सरकार उन्हें नागरिकता तो नहीं दे पाई पर उन्हें यहां पर रहने के लिए लगातार वीजा देती रही। केन्द्र में एनडीए सरकार के आने के बाद वह केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मिली भी थी। तब उन्हें राजनाथ सिंह ने भरोसा दिया था कि उन्हें भारत में कोई दिक्कत नहीं होगी। इसके बावजूद तस्लीमा का भारत छोड़कर अमेरिका जाने का फैसला कई सवाल खड़े करता है। बहरहाल, ये दुखद है कि उन्हें भारत छोड़ना पड़ा।