इमरान ख़ान की सरकार कश्मीर पर क्या इतना बड़ा यू-टर्न लेने जा रही है?
पाकिस्तान ने पहली बार राष्ट्रीय सुरक्षा नीति बनाई है और इसे इमरान ख़ान शुक्रवार को जारी करने वाले हैं. इस नई नीति में भारत को लेकर जो बात कही गई है, उससे पाकिस्तान के रणनीतिकार हैरान हैं.
पाकिस्तान ने पहली बार राष्ट्रीय सुरक्षा नीति तैयार की है. ऐसी ख़बरें हैं कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान शुक्रवार को इसे जारी कर सकते हैं. पाकिस्तान की इस राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में भारत से शांति की बात ज़ोर देकर कही गई है. पाकिस्तानी मीडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़ पाकिस्तान ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में आर्थिक सुरक्षा को सबसे ज़्यादा अहमियत दी है. पाकिस्तान के अहम अंग्रेज़ी अख़बार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने 2022 से 2026 तक की अवधि के लिए पॉलिसी डॉक्युमेंट तैयार किया है. एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, इस डॉक्युमेंट में कश्मीर के बिना फ़ाइनल समाधान, भारत से द्विपक्षीय व्यापार और निवेश बढ़ाने की बात कही गई है. पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, इस डॉक्युमेंट की कुछ चीज़ें ही बाहर आई हैं जबकि मुख्य दस्तावेज़ को सार्वजनिक नहीं किया गया है.
एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, पत्रकारों से सरकार के एक अधिकारी ने पॉलिसी डॉक्युमेंट के बारे में कहा कि यह 100 पन्नों का है. उस अधिकारी ने कहा, ''हम अगले 100 सालों तक भारत से दुश्मनी नहीं चाहते हैं. नई नीति में भारत के साथ शांति की बात कही गई है. भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार शुरू करने की वकालत की गई है.''
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भारत और पाकिस्तान के बीच पाँच अगस्त, 2019 से रिश्ते पटरी से उतर गए थे. इसी दिन भारत की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया था. इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारत से राजनयिक रिश्ते कम कर लिए थे और द्विपक्षीय व्यापार को निलंबित कर दिया था. पिछले साल फ़रवरी में दोनों देशों ने नियंत्रण रेखा यानी एलओसी पर युद्धविराम की घोषणा की थी. इसके बाद से उम्मीद जगी थी कि दोनों देश रिश्तों में आए तनाव को ख़त्म करने को लेकर इच्छुक हैं. एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने लिखा है, ''नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में पाकिस्तान जियो-स्ट्रैटिजिक से जियो-इकनॉमिक्स की ओर शिफ़्ट होता दिख रहा है. एक अधिकारी ने बताया कि आर्थिक सुरक्षा पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा के केंद्र में होगी. इसके अलावा पाकिस्तान की विदेश नीति में भी पड़ोसी देश से आर्थिक संबंध और शांति को बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया है. लेकिन जियो-इकनॉमिक्स पर फोकस होने का मतलब ये नहीं है कि जियो-स्ट्रैटिजिक और जियो-पॉलिटिकल हितों की उपेक्षा कर दी जाएगी. भारत के साथ कश्मीर का मुद्दा पाकिस्तान की राष्ट्रीय नीति का अहम मुद्दा है.''
एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने लिखा है, ''पाकिस्तान सरकार के अधिकारी ने स्पष्ट करते हुए बताया, इसका मतलब यह नहीं है कि नई दिल्ली में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार से दोस्ती बढ़ानी है. इस पॉलिसी डॉक्युमेंट में बाहरी और भीतरी दोनों सुरक्षा की बात की गई है.''
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दुनिया न्यूज़ के अनुसार, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इस पॉलिसी डॉक्युमेंट के 50 पन्ने शुक्रवार को सार्वजनिक कर सकते हैं. पॉलिसी डॉक्युमेंट के इस हिस्से को गोपनीयता से अलग बताया जा रहा है. इस नीति की सरकार समीक्षा भी कर सकती है. इस महीने की शुरुआत में ही पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ़ ने कहा था कि आर्थिक सुरक्षा देश की राष्ट्रीय सुरक्षा में सबसे अहम होनी चाहिए. मोईद ने कहा था कि इस पॉलिसी डॉक्युमेंट को दिसंबर 2021 में फेडरल कैबिनेट से मंज़ूरी मिल गई थी. पाकिस्तान के जाने-माने लेखक ज़ाहिद हुसैन ने 12 जनवरी को डॉन में पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर एक लेख लिखा था.
ज़ाहिद हुसैन ने लिखा है, ''यह बहुत ही सकारात्मक प्रगति है कि सिविल और सैन्य नेतृत्व देश की सुरक्षा को फिर से पारिभाषित करने के लिए सहमत है. लेकिन इस मामले में राष्ट्रीय स्तर पर आम सहमति बनाने की ज़रूरत है. इस पर केवल संसद की मंज़ूरी से काम नहीं चलेगा बल्कि पूरे डॉक्युमेंट पर सार्वजनिक रूप से बहस होनी चाहिए. यह किसी सरकार की नीति से ज़्यादा मुल्क की नीति है. एक कमज़ोर अर्थव्यवस्था विदेशी मदद पर निर्भर रहती है और इससे देश की संप्रभुता सुरक्षित नहीं रह सकती.''
ज़ाहिद हुसैन ने लिखा है, ''हम परमाणु शक्ति संपन्न और इस इलाक़े में एक सैन्य ताक़त होने का दावा कर सकते हैं लेकिन आर्थिक और राजनीतिक मोर्चे पर अस्थिरता हमें असुरक्षित ही रखेगी.'' पाकिस्तान नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में भारत के साथ संबंध ठीक करने वाली बात का विरोध भी हो रहा है. भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने बुधवार को ट्वीट कर कहा है, ''कश्मीर में जारी बर्बरता के बावजूद पाकिस्तान ने नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में भारत से वार्ता और व्यापार बहाल करने की बात कही गई है. इसे लेकर मैं इतना ही कह सकता हूँ कि यह एक बड़ी ग़लती होगी.''
इससे पहले अब्दुल बासित ने यूट्यूब पर एक वीडियो पोस्ट किया था और इसमें उन्होंने पाकिस्तान की नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर ही बात की थी. अब्दुल बासित ने कहा कि विपक्ष सरकार की इस नीति को मानने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि इसे लेकर उनसे बात नहीं की है. अब्दुल बासित ने कहा, ''दुनिया में ऐसी कौन सी नीति है, जिसे लागू करने के तरीक़ों के बारे में सरकार को पता नहीं है. फ़वाद चौधरी ने टीवी डिबेट में यही कहा कि अभी लागू करने के बारे में पता नहीं है. हम सब कुछ बना लेते हैं लेकिन लागू करने के बारे में कुछ पता नहीं होता है.''
https://twitter.com/Zhchaudhri/status/1481259609377878016
पाकिस्तान की नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में भारत के साथ शांति और व्यापारिक संबंध को अहमियत देने की बात पर पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के पूर्व प्रवक्ता और अब ऑस्ट्रेलिया में पाकिस्तान के उचायुक्त ज़ाहिद हफ़ीज़ चौधरी ने ट्वीट कर कहा है, ''पाकिस्तान की विदेश नीति में सभी पड़ोसी देशों से शांति की चाहत पाकिस्तान की लंबे समय से रही है. हालाँकि, दक्षिण एशिया में स्थायी शांति लंबे समय से चले आ रहे विवादों के समाधान पर निर्भर करती है.''
https://twitter.com/WorldPTV/status/1481508511913811975
पाकिस्तान के रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल इकरामुल्लाह भट्टी ने पीटीवी से कहा है, ''यह बहुत ही व्यापक दस्तावेज़ है और यह मुद्दों को समाधान देने वाला है. नीतिगत स्तर पर बड़े और क्रांतिकारी बदलाव आने जा रहा है.''
कॉपी-रजनीश कुमार
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