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राहुल को कुर्सी सौंपने की इतनी हड़बड़ी क्यों?

ऐसी क्या जल्दबाज़ी है कि गुजरात चुनाव तक का इंतज़ार नहीं किया गया? एक विश्लेषण.

By BBC News हिन्दी
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राहुल गांधी
CHANDAN KHANNA/AFP/Getty Images
राहुल गांधी

राहुल गांधी जल्दी ही कांग्रेस के अध्यक्ष बन सकते हैं. हालांकि अभी पार्टी के अध्यक्ष पद पर चुनाव बाक़ी है लेकिन माना जा रहा है कि राहुल के नाम पर मुहर लगना तय है.

कांग्रेस पर हमेशा नेहरू-गांधी परिवार का वर्चस्व रहा है इसलिए इस ख़बर से किसी को हैरानी नहीं हो रही लेकिन ऐन गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी को कुर्सी सौंपनी की इतनी हड़बड़ी क्यों दिखाई जा रही है, ये सवाल सबके मन में उठ रहा है.

बीबीसी के संवाददाता वात्सल्य राय ने इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह से बातचीत की और उनसे पूछा कि आख़िर कांग्रेस में चल क्या रहा है. पढ़िए, उनका आकलन, उन्हीं के शब्दों में -

क्या बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव ज्यादा लोकतांत्रिक होता है?

राहुल गांधी
Kevin Frayer/Getty Images
राहुल गांधी

सिर्फ़ बीजेपी राहुल को नेता मान रही है

''देखिए, डीफ़ैक्टो तो राहुल गांधी थे ही, आज से नहीं, मनमोहन सिंह के समय से रहे हैं.

अब विधिवत हो जाने से यह होगा कि थोड़ा फ़र्क आएगा, क्योंकि सोनिया जी के वफ़ादार दूसरे लोग रहे हैं. जब भी नई पीढ़ी आती है तो अपने हिसाब से सलाहकार चुनती है, तो वो बदलाव आएगा.

लेकिन कांग्रेस में आज भी ऐसी स्थिति में है कि राहुल गांधी के अलावा कोई विकल्प भी नहीं था.

कांग्रेस में हमेशा से ये रहा है कि अगर गांधी परिवार से कोई है तो ठीक है, वह मान्य है, वरना हर कोई सोचता है कि मैं क्यों नहीं?

ईमानदारी से देखें तो राहुल गांधी को अभी भी नेता सिर्फ़ बीजेपी ही मान रही है. वरना और किसी ने तो अब तक कहा नहीं कि 2019 के लिए राहुल गांधी हमारे नेता होंगे, न मुलायम सिंह ने, न मायावती ने और न लालू ने.

राहुल को कमान देने के बाद क्या करेंगी सोनिया?

कांग्रेस के झंडे
MONEY SHARMA/AFP/Getty Images
कांग्रेस के झंडे

इतनी जल्दी क्या थी?

मुक्तिबोध की एक लाइन है - सारी गड़बड़ियां इसलिए होती हैं कि ग़लत समय पर झगड़ा करते हैं और ग़लत समय पर झुक जाते हैं.

मुझे कांग्रेस की टाइमिंग समझ नहीं आती, जब गुजरात चुनाव सर पर हैं तो इतनी जल्दी क्यों थी? इसके नतीजे आ लेने देते.

अगर आप जीतते तो श्रेय लेते. नहीं हो पाता तो कहते कि हम एक नई रणनीति के साथ आएंगे.

राहुल ने सारी ताक़त गुजरात में झोंक रखी है. ऐन ऐसे मौक़े पर जब गुजरात में वोट पड़ने जा रहे हैं और तब ऐसा क्या हो रहा है कि यह फ़ैसला लिया जा रहा है, ये मेरी समझ से परे है.

हालांकि कांग्रेस किसे अध्यक्ष बनाती है, किसे नहीं, ये कांग्रेस का अंदरूनी मामला है. इस पर बीजेपी को कुछ नहीं कहना चाहिए.

'वरुण गांधी हिंदू हैं तो राहुल क्यों नहीं?'

राहुल गांधी
MONEY SHARMA/AFP/Getty Images
राहुल गांधी

बीजेपी को सिर्फ़ कांग्रेस से ख़तरा

बीजेपी को यह समझने की ज़रूरत है कि हिंदुस्तान में अगर कोई विपक्ष चल सकता है तो सिर्फ़ कांग्रेस की छतरी के नीचे ही चल सकता है.

कभी भी देख लीजिए, नरसिम्हा राव से लेकर मनमोहन सिंह तक, कभी भी पूर्ण बहुमत वाली सरकार तो थी नहीं. लंगड़ी सरकार थी लेकिन फिर भी कांग्रेस की छतरी के नीचे चलती रही.

क्षेत्रीय पार्टी की छतरी के नीचे बनने वाली सरकार कभी पांच साल पूरे नहीं करती.

इसलिए बीजेपी को डर क्षेत्रीय पार्टी से नहीं है. लेकिन अगर 2004 की तरह कांग्रेस आ गई तो फिर समझिए वो लंबा दौर खेल लेगी.

गुजरात में कांग्रेस पर दांव लगाने को कोई तैयार नहीं

राहुल गांधी
PRAKASH SINGH/AFP/Getty Images
राहुल गांधी

बहुत कमज़ोर हाल में है कांग्रेस

बीजेपी की रणनीति है कि कांग्रेस पर हमला करना जारी रखो और कांग्रेस को इतना कमज़ोर करो कि कांग्रेस इस लायक न रहे कि अपनी छतरी के नीचे बाक़ी पार्टियों को गोलबंद कर सके.

और आज कांग्रेस की क़मोबेश वही स्थिति हो भी गई है. पश्चिम बंगाल, बिहार से लेकर यहां तक, कहीं भी कांग्रेस इस स्थिति में नहीं है कि कह सके कि आप हमारे साथ आ जाइए. तमाम राज्यों में वो तीसरे या चौथे नंबर की पार्टी है.

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English summary
Why hurry to hand over the chair to Rahul
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