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इलेक्शन कैंपेन में अपने विरोधी कन्हैया का नाम क्यों नहीं लेते गिरिराज?

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नई दिल्ली- बिहार में इस बार के चुनाव में बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र का नाम सुर्खियों में है। देशभर की नजरें यहां जारी चुनावी गतिविधियों पर टिकी हैं। इसका कारण ये है कि यहां जेएनयू कांड से चर्चित हुए जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह एक-दूसरे के मुकाबले चुनाव मैदान में डटे हुए हैं। इस चुनाव को आरजेडी के मजबूत उम्मीदवार तनवीर हसन भी पूरी तरह से त्रिकोणीय बना चुके हैं। लेकिन, दिलचस्प पात ये है कि बीजेपी उम्मीदवार गिरिराज सिंह ने सीपीआई उम्मीदवार कन्हैया कुमार का नाम अपने भाषणों में एक बार भी नहीं लिया है।

अमित शाह ने भी नहीं लिया नाम

अमित शाह ने भी नहीं लिया नाम

हर चुनावी सभा में गिरिराज सिंह कन्हैया कुमार को 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' का सदस्य बताकर निशाना बनाते हैं। गौरतलब है कि दिल्ली के जेएनयू कैंपस में फरवरी, 2016 में देश विरोधी नारेबाजी हुई थी, जिस मामले में तत्कालीन जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष कन्हैया कुमार भी आरोपी हैं। इसलिए गिरिराज सिंह 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' का तंज कसकर कन्हैया कुमार पर बिना नाम लिए हमला कर रहे हैं। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने भी बुधवार को एक रैली में कन्हैया का नाम लेने से परहेज किया और उनके लिए 'नमूना' और 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' के सदस्य का इस्तमाल किया। इसके जवाब में कन्हैया कुमार ने कहा कि यह बेगूसराय की जनता का अपमान है।

क्यों नहीं लिया जा रहा नाम?

क्यों नहीं लिया जा रहा नाम?

एनडीटीवी के मुताबिक चुनाव अभियान के दौरान गिरिराज सिंह, कन्हैया कुमार का नाम जुबान पर एक बार भी इसीलिए नहीं ला रहे हैं, क्योंकि उन्हें नेतृत्व से ऐसा ही आदेश मिला हुआ है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि काफी सोच-विचार के बाद पार्टी ने तय किया है कि, "चाहे कन्हैया कुमार की ओर से कितना भी उकसाने की कोशिश हो" कैंपेन को व्यक्तित्व की जंग के निचले स्तर तक नहीं ले जाना है। बिहार में एनडीए को मैनेज करने वाले कुछ नेताओं ने भी इस बात की पुष्टि की है कि पीएम मोदी ने राज्य के पार्टी नेताओं को आगाह किया है कि गिरिराज सिंह कन्हैया का नाम न लें। एनडीटीवी के सूत्रों के मुताबिक कई नेता जानते हैं कि अगर व्यक्तित्व की लड़ाई होगी, तो बेगूसराय में जन्मे कन्हैया कुमार को हराना मुश्किल होगा।

गिरिराज बनाम गिरिराज!

गिरिराज बनाम गिरिराज!

गिरिराज सिंह का दावा है कि बेगूसराय में उनका मुकाबला खुद उन्हीं से है। वे कहते हैं, "बेगूसराय में गिरिराज सिंह के साथ गिरिराज सिंह लड़ रहा है।" गिरिराज सिंह के आलोचक उन्हें 'पाकिस्तान चले जाओ' वाले बयान को लेकर ताना मारते हैं। उनपर यह भी आरोप लगाया जाता है कि वह अपने विरोधियों को 'गद्दार' कहते हैं। 2014 में गिरिराज सिंह बिहार की नवादा सीट से जीते थे, जो तालमेल के तहत इस दफे रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी के खाते में चली गई है। इसलिए, इस बार भाजपा ने गिरिराज को बेगूसराय का टिकट दिया है, जहां से चुनाव लड़ने में वे शुरू में काफी आनाकानी कर रहे थे। लेकिन, जब पार्टी अध्यक्ष ने उन्हें शांत होकर चुनाव लड़ने का संकेत दिया, तब से वे बेगूसराय में डेरा जमाकर अपनी चुनावी मुहिम चला रहे हैं। बेगूसराय में चौथे चरण यानी 29 अप्रैल को चुनाव होना है।

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English summary
Why Giriraj Singh Won't Take His Rival Kanhaiya Kumar's Name
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