क्रिकेट के विज्ञापन में क्यों दिखे गांधी और मदर टेरेसा
दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट बोर्ड का ये विज्ञापन भारतीय विज्ञापनों से अलग है, कैसे?
नए साल में विराट कोहली के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट टीम दक्षिण अफ्रीकी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. सिरीज़ का पहला टेस्ट 5 जनवरी से केपटाउन में शुरू हो रहा है.
क्रिकेट के मैदान में होने वाले इसे महामुक़ाबले को टीवी प्रसारक भी भुनाने की तैयारी कर रहे हैं, ऐसे में पिछले दिनों से सोनी-टेन चैनल पर एक विज्ञापन चल रह ाहै जिसकी टैग लाइन है 'हिसाब 25 साल का'.
हालांकि इस विज्ञापन को अब आलोचना झेलनी पड़ रही है, क्योंकि दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट बोर्ड एक ऐसा विज्ञापन लेकर आया है जो दोनों देशों के इतिहास और इनके बीच रही दोस्ती की बात कर रहा है और कह रहा है 'दक्षिण अफ्रीका धन्यवाद कहता है'
कैसे अलग हैं दोनों विज्ञापन.
टेन स्पोर्ट्स के विज्ञापन की शुरूआत में एक टूटा हुआ टीवी औऱ अख़बार दिखता है जिसमें भारत की हार की ख़बर छपी है. भारत की हार की तुलना उस विज्ञापन में एक व्यक्ति की कटी हुई मूंछों से की गई है. सचिन तेंदुलकर के पवेलियन लौटते हुए फुटेज को भगवान का अपमान बताया गया है, और अपमान का बदला लेने की बात कही गई है.
ज्य़ादातर डार्क फुटेज, तेज़ म्यूज़िक और भारी आवाज़ का इस्तेमाल कर ये कोशिशि की गई है कि इस टूर्नामेंट को एक जंग की तरह प्रस्तुत किया जाए. लेकिन दक्षिण अफ्रीकी बोर्ड का विज्ञापन इसके बिल्कुल विपरीत है.
विज्ञापन की शुरूआत गांधी और मदर टेरेसा के पुराने वीडियो से होती है. इसके साथ ही दक्षिण अफ्रीका के आंदोलनों की झलक भी इस विज्ञापन में देखने को मिलती है. विज्ञापन दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेट में वापस लौटने और भारत के योगदान की बात करता भी नज़र आता है.
विज्ञापन में एक शख़्स एक बैनर लिए दिख रहा है जिसपर लिखा है - 'दक्षिण अफ्रीका धन्यवाद कहता है'
विज्ञापन के अंत में कहा गया है - भारत और दक्षिण अफ्रीका ने अहिंसा के माध्यम से आज़ादी का इतिहास साथ में जिया है, इसलिए इस टेस्ट सिरीज़ को फ्रीडम सिरिज़ के नाम से जाना जाएगा.
लोगों का कैसा है रिस्पॉन्स
दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट बोर्ड के यू ट्यूब चैलन पर कई लोगों ने इस विज्ञापन की तुलना सोनी टेन के विज्ञापन से करते हुए उनकी आलोचना की है.
नवाज़ शरीफ नाम के एक शख़्स ने लिखा है - इस विज्ञापन की तुलना आप सोनी औऱ स्टार के विज्ञापन से कीजिए. शरीफ़ के कमेंट के जवाब में मनोज कुमार ने मज़ाक उड़ाते हुए लिखा - हां वो मौका मौका.
एक और यू ट्यूब यूज़र अमन ढिल्लन ने लिखा - क्रिकेट एक जंग नहीं है, विज्ञापनों के लिए हमें ऐसे औऱ थीम चाहिए न कि गुस्से और बदला लेने वाले विज्ञापन.
विज्ञापन पर कमेंट करते हुए श्याम द्विवेदी ने लिखा - क्या शानदार विज्ञापन है, भारतीय चैनलों के विज्ञापन से कहीं बेहतर. इससे जवाब में शुभम यादव ने मज़ाक बनाते हुए लिखा है - भारतीय विज्ञापन अभी भी बदला ही ले रहे हैं.
हालांकि सोनी टेन के विज्ञापन की भी लोग उसके यू ट्यूब पेज पर भी इसे तारीफ़ कर रहे हैं.
साल 2015. भारत और पाकिस्तान के बीच एक और वर्ल्ड कप मुक़ाबला होने वाला था. ये छठा मौका था जब दोनों पड़ोसी देश एक वर्ल्ड कप मुक़ाबले में आमने सामने आने वाले थे. दोनों ही तरफ़ के क्रिकेट प्रेमियों का रोमांच चरम सीमा पर था.
अभी तक दोनों ही देश के क्रिकेट प्रेमी 'जीतेगा भई जीतेगा...' जैसे नारों से ही काम चला रहे थे. लेकिन मुक़ाबले से कुछ दिन पहले स्टार स्पोर्ट्स एक विज्ञापन लेकर आया जिसने क्रिकेट प्रेमियों को नया स्लोगन दिया 'मौका मौका'.
मौका मौका का पहला विज्ञापन हल्के फ़ुल्के अंदाज़ में पाकिस्तान की वर्ल्ड कप में लगातार हार पर तंज कसता दिख रहा था. ये विज्ञापन इतना प्रचलित हुआ कि दूसरे देशों के साथ मैचों से पहले भी इसका इस्तेमाल किया जाने लगा.
शुरूआत में सिर्फ क्रिकेट से जुड़ी बात करने वाले ये विज्ञापन धीरे धीरे देश के सम्मान और अपमान की बातें करने लगे. साल 2017 में चैंपियंस ट्रॉफी के ठीक पहले आए 'मौका मौका' विज्ञापनों में तो कश्मीर और सर्जिकल स्ट्राइक तक का ज़िक्र हुआ.
उसी विज्ञापन में भारत की जर्सी पहने हुए एक शख़्स पाकिस्तान की जर्सी वाले शख़्स से कहता है - क्रिकेट ही एक ऐसी जगह है जहां तुम्हें हराने पर सबूत नहीं देना पड़ता.