Video: तेल के बढ़ते दाम पर किया सवाल, तो बीजेपी के लोगों ने ऐसे की बदसलूकी
नई दिल्ली। देश में लगातार पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों से लोग परेशान हो रहे हैं। आम लोग अब खुलेआम सवाल उठाने लगे हैं कि सरकार दामों को लेकर क्या कर रही है? कब उसे राहत मिलेगी। एक ऐसा ही मामला चेन्नई में सामने आया जब मीडिया से बात करते हुए एक बुजुर्ग ऑटो चालक ने तमिलनाडु की बीजेपी प्रमुख तमिलिसाई सुंदरराजन से बढ़ती ईंधन की कीमतों के बारे में पूछ लिया। लेकिन उस बुजुर्ग ऑटो चालक को वहां खड़े बीजेपी के कार्यकर्ता ने वहां से खदेड़ दिया। स्थानीय चैनलों पर प्रसारित और अब वायरल हो रहे इस वीडियो में साफ दिख रहा है कि खाकी वर्दी में एक बुजुर्ग ऑटो ड्राइवर तमिलनाडु की बीजेपी प्रमुख तमिलिसाई सुंदरराजन के पीछे खड़ा है। जब सुंदरराजन पत्रकारों से बात करना शुरु करती हैं तो ऑटो चालक उनसे पूछता है, "एक मिनट अम्मा, केंद्र ईंधन की कीमत में वृद्धि कर रहा है"। बस इतना भर पूछने के बाद वहां खड़ा बीजेपी का कार्यकर्ता उसे कोहनी से पीछे धकेलता है और फिर उसे वहां से पीछे की ओर खदेड़ दिया जाता है।
मुसकुरा रही हैं सुंदरराजन
वीडियो में दिख रहा है कि तमिलिसाई सुंदरराजन आगे देखते हुए इस तरह मुसकुरा रही हैं कि जैसे वो इस सबसे अनजान है जबकि ये ठीक उनके पीछे हो रहा है। ये वही तमिलिसाई सुंदरराजन हैं जिन्होंने पिछले दिनों बीजेपी सरकार के खिलाफ नारे लगाने पर एक छात्रा को गिरफ्तार करवा दिया था।
अब
नहीं
पूरी
होती
जरूरतें
कथिर
नाम
के
इस
ऑटो
ड्राइवर
ने
बाद
में
मीडिया
को
बताया
कि
मैंने
केवल
इतना
बताना
चाह
रहा
था
कि
कैसे
ऑटो
ड्राइवर
कैसे
प्रभावित
हो
रहे
हैं
लेकिन
उन्होंने
इसे
गलत
तरीके
से
लिया।
हमें
अपने
खाने
और
दूसरी
जरूरतों
को
पूरा
करने
के
लिए
हर
रोज
कम
से
कम
पांच
सौ
रुपये
की
जरूरत
रहती
है
लेकिन
पेट्रोल
की
कीमतें
बढ़ने
के
चलते
ऑटो
का
किराए
देने
के
बाद
हमें
केवल
तीन
सौ
पचास
रुपये
मिलते
हैं।
गिफ्ट
में
मिला
पेट्रोल
चेन्नई
में
सोमवार
को
पेट्रोल
की
कीमत
85
रुपये
40
पैसे
प्रति
लीटर
रही
और
कथिर
जैसे
कई
लोगों
को
अब
ये
बोझ
उठाना
मुश्किल
हो
रहा
है।
कुड्डालोर
जिले
में
जहां
कीमत
87
के
पार
है
वहां
शादी
में
दो
अलग-अलग
जोड़ों
को
लोगों
ने
पेट्रोल
के
डिब्बे
उपहार
में
दिए।
तेल
की
बढ़ती
कीमतों
को
लेकर
केंद्र
की
बीजेपी
सरकार
लगातार
विपक्ष
के
निशाने
पर
भी
है
लेकिन
वो
इसे
लेकर
फिलहाल
कुछ
करने
के
मूड
में
नहीं
दिख
रही
है।
सरकार
अंतरराष्ट्रीय
कारणों
का
हवाला
देकर
और
आंकडेबाजी
के
जरिए
अपना
पल्ला
झाड़ने
में
लगी
है।
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