ऑस्ट्रेलिया से लौटते समय आराम करने के लिए मध्य प्रदेश के ग्वालियर में उतरे हैं फ्रेंच फाइटर जेट राफेल
ग्वालियर। देश में जारी विवाद के बीच ही रविवार को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में फ्रेंच फाइटर जेट राफेल ने लैंडिंग की है। तीन राफेल फाइटर जेट्स का ग्वालियर में लैंड करना हैरानी वाली बात इसलिए है क्योंकि इस समय देश में फ्रांस के साथ हुई 36 राफेल की डील पर घमासान मचा हुआ है। सूत्रों की ओर से जो जानकारी दी गई है उसके मुताबिक रविवार की सुबह जेट्स ने लैंडिंग की है। लेकिन वहीं उन सभी आशंकाओं को खारिज कर दिया गया है कि इन राफेल जेट्स पर इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के पायलट्स को ट्रेनिंग दी जाएगी। भारत और फ्रांस के बीच साल 2016 में 36 राफेल के लिए डील फाइनल हो सकी थी। इस डील के बाद भारत को साल 2019 में राफेल की पहली खेप मिलनी है। सूत्रों की ओर से वन इंडिया को दी गई जानकारी के मुताबिक ये जेट्स ऑस्ट्रेलिया से लौट रहे थे जहां पर ये एक्सरसाइज का हिस्सा थे।
मिराज 2000 का बेस है ग्वालियर
जिन राफेल जेट्स ने ग्वालियर में लैंडिंग की है वे तीन जेट्स ऑस्ट्रेलिया में खत्म हुई एक्सरसाइज पिच ब्लैक से वापस लौट रहे थे। यह एक्सरसाइज 27 जुलाई से 17 अगस्त तक ऑस्ट्रेलिया में आयोजित हुई थी। इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) ने पहली बार इस एक्सरसाइज में हिस्सा लिया था। इस एक्सरसाइज में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, नीदरलैंड्स, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, थाईलैंड, मलेशिया और अमेरिका की सेनाओं ने हिस्सा लिया था। ग्वालियर, फाइटर जेट मिराज 2000 का बेस है और मिराज भी डसॉल्ट एविएशन की ओर से निर्मित है। राफेल भी इसी कंपनी का उत्पाद है। ये जेट मंगलवार तक ग्वालियर में ही रुकेंग और फिर फ्रांस के लिए रवाना हों जाएंगे।
36 राफेल की डील
भारत-फ्रांस के बीच 36 राफेल विमानों के लिए 58,000 करोड़ की डील हुई है। डील के मुताबिक फ्रांस भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमान और दूसरे हथियार देगा। साल 2016 में फ्रांस के रक्षा मंत्री भारत आए थे और उस समय दोनों देशों के बीच डील फाइनल हुई थी। इस डील के मुताबिक, 18 महीने के बाद भारत को पहला विमान मिलेगा। तीन साल बाद 2019 में विमान भारत को मिलने शुरू होंगे और सभी 36 विमान साढ़े पांच साल में भारत पहुंच जाएंगे। डील के मुताबिक, 18 महीने के बाद भारत को पहला विमान मिलेगा। तीन साल बाद 2019 में विमान भारत को मिलने शुरू होंगे और सभी 36 विमान साढ़े पांच साल में भारत पहुंच जाएंगे।
दो बार आ चुका है भारत
राफेल लड़ाकू विमानों को फ्रांस की डसाल्ट एविएशन कंपनी बनाती है। डील के मुताबिक रफाल के साथ फ्रांस भारत को हवा से मार करने वाली मिसाइलें और दूसरे हथियार भी देगा।राफेल की खासियत ये है कि ये 3800 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है। राफेल से भारत पड़ोसी देशों के कई अड्डों के निशाना बना सकता है। फ्रांस का यह जेट दो बार भारत आ चुका है। साल 2015 में राफेल को पहली बार बेंगलुरु में हुए एरो-इंडिया शो में देखा गया। इसके बाद फिर साल 2017 में हुए एरो-इंडिया शो में यह जेट नजर आया था। साल 2017 में रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी ने इस जेट में उड़ान भी भरी थी।