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मोदी की तारीफ़ कर ट्रंप भारत को झटके क्यों देते हैं

वरिष्ठ बिज़नेस पत्रकार शिशिर सिन्हा कहते हैं, ''भारत और अमरीका के बीच जो व्यापार हो रहा है उसका बेहद छोटा हिस्सा जीएसपी से आता है. इससे बहुत ज़्यादा असर तो नहीं पड़ेगा लेकिन छोटा हिस्सा भी दिक्क़तें खड़ी कर सकता है क्योंकि पिछली तिमाही को देखें तो भारत की अर्थव्यवस्था संकट में है. हमारे व्यापार दर में कमी आई है.''

By कीर्ति दुबे
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ट्रंप-मोदी
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शुक्रवार को अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने भारत को विशेष व्यापार पार्टनर की श्रेणी से हटाने की घोषणा की है. भारत दशकों से अमरीका की इस कारोबार श्रेणी में था. पाँच जून से ये फ़ैसला प्रभावी होगा.

अमरीका का कहना है कि भारत ने उसको आश्वस्त नहीं किया कि वह अपना बाज़ार अमरीका के लिए न्यायसंगत और उचित रूप से खोलेगा.

इसे जीएसपी यानी जर्नलाइज़्ड सिस्टम प्रिफ़रेंसेज़ कहते हैं. इसके तहत अमरीका ने भारत को साल 2018 में छह बिलियन डॉलर कीमत के सामन पर आयात शुल्क की छूट दी.

लेकिन इस साल मार्च महीने की शुरुआत में ही राष्ट्रपति ट्रंप ने अमरीकी कांग्रेस और भारत को सूचित कर दिया था कि वो विशेष कारोबारी दर्जा छीनने जा रहे हैं.

भारत हालिया दिनों में अपने हर कूटनीति को व्यापार से जोड़ रहा है. माना जा रहा है कि भारत पर दवाब बनाने के लिए ये क़दम अमरीका की ओर से उठाया गया है.

मोदी-ट्रंप
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इस फ़ैसले के व्यापारिक मायने क्या हैं?

वरिष्ठ बिज़नेस पत्रकार शिशिर सिन्हा कहते हैं, ''भारत और अमरीका के बीच जो व्यापार हो रहा है उसका बेहद छोटा हिस्सा जीएसपी से आता है. इससे बहुत ज़्यादा असर तो नहीं पड़ेगा लेकिन छोटा हिस्सा भी दिक्क़तें खड़ी कर सकता है क्योंकि पिछली तिमाही को देखें तो भारत की अर्थव्यवस्था संकट में है. हमारे व्यापार दर में कमी आई है.''

भारत इस नुक़सान की भारपाई के लिए कोई नया बाज़ार तलाशेगा उसे समझेगा, विकासित करेगा इस प्रक्रिया में काफ़ी लंबा वक़्त लग जाएगा. भारत इस वक़्त ऐसी स्थिति में है कि किसी भी तरह की व्यापार में कमी हमें बड़ा नुक़सान दे सकती है.''

चौथी तिमाही की बात करें तो ये वृद्धि दर 20 तिमाहियों में सबसे निचले स्तर पर है. सालाना विकास दर की बात करें तो ये पाँच सालों के सबसे निचले स्तर पर है. हम 6% से नीचे आ चुके हैं. विकास दर में चीन से पीछे जा चुके हैं.

शिशिर कहते हैं, ''हमें विदेशी व्यापर को सिर्फ़ इस तरीक़े ये नहीं देखना है कि इससे हमें डॉलर में कमाई कितनी होगी बल्कि ये भी देखना होगा कि इससे हमारी मैन्युफ़ैक्चरिंग सेक्टर पर क्या असर पड़ेगा और हमारे देश में रोज़गार पर क्या असर पड़ेगा.

ट्रंप-मोदी
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भारत लेदर, आर्टिफ़िशियल जूलरी, केमिकल, मेडिकल उपकरण और कृषि से जुड़े उत्पादों को अमेरिका में भेजता है. ये सभी क्षेत्र भारी मज़दूरों का क्षेत्र है, ऐसे में अगर इस इंडस्ट्री में आंच आती है तो इससे भारत में रोज़गार प्रभावित होगा.''

हाल के दिनों में अमेरिका ने भारतीय मुद्रा को करंसी वॉच से निकाल दिया है जो भारत के लिए अच्छी ख़बर है लेकिन विशेष व्यापार का दर्जा वापस लेना भारत के लिए नकरात्मक ख़बर है.

आख़िर अमरीका की रणनीति क्या है?

इस सवाल पर अमरीका के डेलावेयर विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर मुक्तदर ख़ान कहते हैं, ''50 अरब डॉलर का सामान अमरीका भारत से ख़रीदता है. भारत लगभग 30 से 35 अरब डॉलर का सामान ख़रीदता है. कई अन्य चीज़ों को मिलाकर दोनों देशों के बीच 142 अरब डॉलर का व्यापार है. इसमें ज़्यादा फ़ायदा भारत को मिलता है.''

''अमरीका का व्यापार घाटा 20 अरब डॉलर का है और अमरीकी राष्ट्रपति मानते हैं कि व्यापार में घाटा अर्थव्यवस्था और देश की कमज़ोरी है. अमरीका ने भारत को विशेष कारोबार का दर्जा दिया था उसके आधार पर भारत 54-55 अरब डॉलर का सामान तो बिना किसी टैक्स के अमरीका में भेजता है, लेकिन भारत अमरीकी सामनों पर 150 फ़ीसदी टैक्स लगाता है. ट्रंप कहते हैं कि अमरीका की पुरानी सरकारों ने ऐसी एकतरफ़ा फ़ायदे की नीति क्यों अपनाई. ज़ाहिर है अमरीका ने भारत को विशेष व्यापार का दर्जा तो दिया है लेकिन भारत ने अमरीका को ये दर्जा नहीं दिया.''

ट्रंप-मोदी
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ट्रंप का फ़ोकस सुरक्षा से ज़्यादा ट्रेड पर है ऐसे में वो व्यापार को लेकर कोई समझौता स्वीकार नहीं करे रहे हैं. चीन, मेक्सिको और यूरोपीय देश के साथ भी ट्रंप व्यापार को लेकर वही सहूलियतें चाहते हैं जो अमरीका इन देशों को दे रहा है.

मुक्तदर ख़ान कहते हैं, ''अमरीका के पिछले राष्ट्रपतियों को देखें तो ट्रंप के अप्रोच में अंतर नज़र आता है. पुराने राष्ट्रपति बहुपक्षीय दृष्टिकोण रखते थे. पिछले 20-25 सालों में विकासशील देशों को वैश्वीकरण के काफ़ी फ़ायदा पहुंचा है और अमरीका इस वैश्वीकरण का बड़ा पक्षघर रहा है. लेकिन ट्रंप का मानना है कि इस वैश्वीकरण से अन्य देशों को ही फ़ायदा पहुंचा है ना कि अमरीका को.''

क्यों कारोबार को लेकर अक्रामक हैं ट्रंप

हाल के दिनों में अमरीका ने मेक्सिको पर पाँच फ़ीसदी टैरिफ़ लगाने का ऐलान किया है और ये हर महीने पाँच फ़ीसदी की दर से बढ़ेगा.

चीन के साथ अमरीका का व्यापार युद्ध जारी है. ईरान पर भी अमरीका ने प्रतिबंध लगाए हैं. क्या ट्रंप प्रशासन हर विवाद का हल ट्रेड के ज़रिए निकालेगा?

इस सवाल के जवाब में वो कहते हैं, ''हां, ट्रंप सरकार ने हाल ही में प्रवासियों के मुद्दे को लेकर मेक्सिकों पर टैरिफ़ लगाया. मेक्सिको प्रवासियों को ना रोकने और ना ही शरण देने को तैयार था. अब वहां के राष्ट्रपति कह रहे हैं कि वो प्रवासियों को रोकने के लिए कड़े क़दम उठा सकते हैं. ऐसे में ट्रंप सरकार को लगता है कि सैन्य दख़ल की धमकी देने से बेहतर है ट्रेड टैरिफ़ बढ़ा देना. ये असरदार है. जो देश अमरीका से व्यापार में फ़ायदा उठाते रहे हैं उनके लिए ये बड़ा झटका है.''

''अमरीकी अर्थव्यस्था पिछले दो साल में मज़बूत हुई है. बेरोज़गारी ऐतिहासिक रिकार्ड में निचले स्तर पर है. शेयर बाज़ार में उछाल है. ट्रंप की अप्रूव रेटिंग भी 48 फ़ीसदी हो गई है. ऐसे में ट्रंप अपने फ़ैसले वापस लेंगे इसके आसार बेहद कम जान पड़ते हैं.''

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भारत अगर अमरीका के इस क़दम पर जवाबी कार्रवाई करता है तो दोनों देशों के लिए संकट की स्थिति पैदा होगी. भारत में बीपीओ सेक्टर में ज़्यादातर क्लाइंट अमरीकी ही हैं. ऐसे में विप्रो, इन्फ़ोसिस और टीसीएस जैसी कंपनियों को इससे बड़ा नुक़सान होगा. लेकिन अमरीका के लिए फिलीपींस जैसे देश भारत की जगह भर सकते हैं.

मुक्तदर ख़ान मानते हैं कि भारत परमाणु के क्षेत्र में पाकिस्तान के मसले पर अमरीका का साथ चाहता है ऐसे में वो अपने रिश्तों को बेहतर ही रखना चाहेगा.

वर्तमान समय में भारत और अमरीका के बीच रिश्ते उतने बेहतर नहीं है जितने ओबामा सरकार के सालों को दौरान हुआ करते थे. ये ठीक वैसा ही है जैसे ट्रंप किम जोंग उन की तारीफ़ करते हैं लेकिन दोनों देशों के बीच मसले सुलझने का नाम नहीं ले रहे हैं.

भारत की मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में गुडगवर्नेंस जैसे कथन सही साबित नहीं हो सके तो वहां अब भारत में भी आंतरिक मुद्दों और हिंदुत्व को तरजीह दे रहे हैं.

BBC Hindi
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English summary
Why does Trump give shock to India by praising Modi?
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