चुनाव में उतरा कोई और नेता गडकरी जैसा दम क्यों नहीं दिखाता?
नई दिल्ली- बीजेपी को पक्का यकीन है कि अपने काम के दम पर मोदी सरकार दोबारा सत्ता में आएगी। लेकिन, पार्टी में सिर्फ एक ही ऐसा नेता है, जो आगे आकर यह कहने की हिम्मत दिखा रहा है कि अगर उनकी सरकार ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है, तो लोग दूसरी पार्टियों को मौका दे सकते हैं। ये नाम कोई और नहीं, मोदी सरकार में विकास का चेहरा बनकर उभरे नितिन गडकरी का है। नरेंद्र मोदी ने उन्हें सड़क यातायात एवं हाइवे (road transport & highways), जहाजरानी एवं जल संसाधन (shipping & water resources), नदी विकास एवं गंगा रेजुवेनशन (river development & Ganga rejuvenation) जैसे भारी-भरकम मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी है और सभी मंत्रालयों में उनके काम को चौतरफा सराहना मिलती रही है। अपनी सरकार में हुए काम की बदौलत ही गडकरी पार्टी के लिए कम से 300 सीटें जीतने का भरोसा जताते हैं। उनको लगता है कि विकास, बजट और आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण ये तीन ऐसे मुद्दे हैं, जिसके आधार पर पॉजिटिव वोटिंग होनी तय है। आइए पहले गडकरी के कार्यों का एक विश्लेषण करते हैं और यह समझने की कोशिश करते हैं कि उनके जैसा आत्मविश्वास दिखाने का साहस किसी भी पार्टी के दूसरे नेताओं में क्यों नहीं है?
अपने क्षेत्र के विकास में योगदान
हर शनिवार और रविवार अपने चुनाव क्षेत्र नागपुर में बिताने वाले नितिन गडकरी अगर पिछली बार के 3 लाख की तुलना में इसबार 5 लाख वोटों से जीतने का दावा करते हैं, तो उसके पीछे वहां हुए विकास को माना जा सकता है। नागपुर में हाल में शुरू हुए मेट्रो का काम हो, सीमेंट से बनी सड़कें हों, या दूसरी विकास परियोजनाएं सबके लिए लोग एकमात्र गडकरी को ही धन्यवाद देते हैं। पिछले 5 वर्षों में नागपुर को स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित करने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, रेन वॉटर हार्वेंस्टिंग, पब्लिक गार्डन, खेल के मैदान, पार्किंग सुविधाओं का विस्तार, सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स और अत्याधुनिक ट्रैफिक सिंग्नलिंग सिस्टम जैसी सुविधाएं के विकास के जो भी दावे किए जाते हैं, उसके लिए गडकरी की तारीफ जरूर होती है। माना जाता है कि गडकरी के प्रभाव से ही नागपुर जिले में पतंजलि हर्बल, एचसीएल (HCL) जैसी कई बड़ी कंपनियां खुली हैं, जहां लगभग 20,000 युवाओं को सीधे या परोक्ष रोजगार मिलने की बात कही जा रही है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने (NLU) ने यहां काम करना भी शुरू कर दिया है। पुणे की प्रतिष्ठित सिंबायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी खोलने के लिए भी जमीन आवंटित की जा चुकी है। जानकारी के मुताबिक गडकरी के प्रयासों से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों के लिए मंजूर 10,000 आवासों में से 3,000 घरों के निर्माण हो चुके हैं। इसके अलावा 1,000 बेड वाले एम्स (AIIMS) की भी मंजूरी मिल चुकी है।
हाइवे निर्माण में योगदान
आज की तारीख में नितिन गडकरी को जिस कार्य के लिए सबसे ज्यादा तारीफ होती है, वह है देश में नेशनल हाइवे (NH)का निर्माण। ताजा आंकड़ों के मुताबिक आज देश में प्रतिदिन करीब 30 किलोमीटर नेशनल हाइवे का निर्माण हो रहा है और 2018-19 में देश में कुल 10,800 किलोमीटर का रिकॉर्ड नेशनल हाइवे निर्माण दर्ज किया गया है। अगर मोदी सरकार में सड़क निर्माण की इस गति की तुलना मनमोहन सरकार से करें, तो उसका सबसे अच्छा परफॉर्मेंस साल 2012-13 में रहा था, जब 16 किलोमीटर प्रतिदिन की रफ्तार से 5,732 किलोमीटर हाइवे बने थे। जबकि, उसके अगले साल ही यह आंकड़ा घटकर 4,260 किलोमीटर रह गया था। जहां तक मोदी सरकार की बात है तो 2014-15 में 4,410 किमी, 2015-16 में 6,061 किमी, 2016-17 में 8,231 किमी, 2017-18 में 9,828 किमी और 2018-19 में यह 10,800 किलोमीटर सालाना निर्माण के स्तर को छू चुका है। इसके अलावा कई महत्वाकांक्षी परियोजनाएं भी हैं, जिसे गडकरी ही आगे बढ़ा रहे हैं, वे हैं- भारतमाला, सेतु भारतम और चारधाम महामार्ग परियोजनाएं।
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नदी विकास, जलमार्ग और गंगा सफाई में योगदान
जब कोई गडकरी से निर्मल और अविरल गंगा को लेकर सरकार के दावों पर तंज कसता है, तो एक छोटे से जवाब से सामने वाले को निरुत्तर कर देते हैं। वे कहते हैं कि अगर उनकी सरकार ने जलमार्ग का ड्रेसिंग नहीं किया होता, तो क्या प्रियंका गांधी वाड्रा प्रयागराज से वाराणसी तक की बोट यात्रा कर पातीं। वे गंगा सफाई पर भी ऐसा ही तर्क देते हैं कि अगर गंगाजल शुद्ध नहीं हुआ होता, तो क्या वो उसका जल पी पातीं। गौरतलब है कि बोट यात्रा के दौरान हाल ही में कांग्रेस महासचिव ने गंगाजल से आचमन भी किया था। हालांकि गडकरी मानते हैं कि निर्मल और अविरल गंगा का अभी तक सिर्फ 30% ही काम हो पाया और वो अपने सामर्थ्य के दम पर 2020 तक 100% यानी उसके सारे 285 प्रोजेट पर काम पूरा करके निर्मल और अविरल गंगा बनाने का भी दावा कर रहे हैं। गंगा के अलावा यमुना की सफाई के लिए भी गडकरी का मंत्रालय जुटा हुआ, जिसमें 4,500 करोड़ रुपये के 13 प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो चुके हैं। आज अगर आजादी के बाद पहली बार गंगा के जरिए हल्दिया से प्रयागराज तक जलमार्ग शुरू हो पाया है, तो उसमें मोदी सरकार के मंत्री गडकरी का योगदान सबसे अव्वल है। इस मार्ग पर 2,000 टन के जहाजों का भी आवागमन संभव है। पिछले साल इसी से जुड़ एक मल्टी मॉडल टर्मिनल की शुरुआत भी वाराणसी में हो चुकी है। अभी सरकार देश में कुल 111 जलमार्गों के विकास पर काम कर रही है।
अगर गडकरी को लगता है कि मोदी सरकार विकास के लिए किए अपने योगदान के दम पर जनता से वोट मांग कर दोबारा फिर जीत सकती है, तो उसमें उनका 5 वर्ष का मेहनत शामिल है। आज की तारीख में गडकरी के काम पर कोई विपक्षी नेता भी उंगली नहीं उठाता। यही वजह है कि जो सिर्फ काम के नाम पर वोट मांगने का जो हौसला गडकरी दिखा रहे हैं, वैसा शायद कोई भी नहीं कर सकता।
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