क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

डीके शिवकुमार की गिरफ़्तारी क्यों एक अहम राजनीतिक घटना है

मंगलवार देर शाम प्रवर्तन निदेशालय ने कर्नाटक में कांग्रेस के अहम नेता डीके शिवकुमार को गिरफ़्तार किया. उन्होंने ये बात तब कही जब ईडी के अधिकारी गिरफ़्तारी के बाद रूटीन चेकअप के लिए उन्हें नई दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जा रहे थे.

कर्नाटक में जब कांग्रे की सरकार थी और उसके बाद जब कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार बनी तो डीके शिवकुमार कैबिनेट में थे.

By इमरान कुरैशी
Google Oneindia News
TWITTER

"मैं बीजेपी को बधाई देता हूं. बीजेपी जीत गई. मैं उन सभी को ऑल द बेस्ट कहता हूं. बिल्कुल, यह राजनीति से प्रेरित है. मैं कोई कायर नहीं हूं. मैं इन सबका सामना करूंगा."

मंगलवार देर शाम प्रवर्तन निदेशालय ने कर्नाटक में कांग्रेस के अहम नेता डीके शिवकुमार को गिरफ़्तार किया. उन्होंने ये बात तब कही जब ईडी के अधिकारी गिरफ़्तारी के बाद रूटीन चेकअप के लिए उन्हें नई दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जा रहे थे.

कर्नाटक में जब कांग्रे की सरकार थी और उसके बाद जब कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार बनी तो डीके शिवकुमार कैबिनेट में थे.

सीधी टक्कर

डीके शिवकुमार के राजनीतिक करियर में गुजरात की एक राज्यसभा सीट के लिए हुआ चुनाव बेहद अहम है.

मुक़ाबला था बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल के बीच.

इस दौरान गुजरात के कांग्रेस विधायकों को बेंगलुरु के एक रिज़ॉर्ट में रखा गया था और इसमें अहम भूमिका डीके शिवकुमार की थी.

इसके बाद ही उनके ख़िलाफ़ आयकर विभाग के छापे पड़े और अब उनकी इस गिरफ़्तारी को उन्हीं छापों की परिणति माना जा रहा है.

TWITTER

प्रवर्तन निदेशालय डीके शिवकुमार से बीते चार दिनों से दिल्ली में पूछताछ कर रहा था. डीके शिवकुमार के वकील ने इसे 'बदले की भावना' से प्ररित बताया है.

राजनीतिक तौर पर, बीजेपी इसे भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई बताती है लेकिन कर्नाटक की भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बयान ने चौंका दिया है.

अपने एक बयान में येदियुरप्पा ने कहा है कि वो प्रतिशोध से प्रेरित राजनीति पर यक़ीन नहीं करते हैं. उन्होंने यह उम्मीद भी जताई है कि शिवकुमार इस क़ानूनी लड़ाई को अच्छी तरह लड़ेंगे. अपने बयान में येदियुरप्पा ने कहा कि शिवकुमार की जीत पर उन्हें खुशी होगी.

ऐसी स्थिति में कांग्रेस की ओर से किस तरह के बयान आएंगे, अंदाज़ा लगाया जा सकता है.

कांग्रेस के नेता एक के बाद एक इसे केंद्र की ध्यान भटकाने की योजना बता रहे हैं. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि लचर अर्थव्यवस्था के मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए सत्तारूढ़ बीजेपी ऐसा कर रही है.

वहीं कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी का कहना है कि बीजेपी ने आपातकाल की घोषणा तो नहीं की लेकिन जो कुछ वो कर रही है वो आपातकाल से कम भी नहीं.

TWITTER

शिवकुमार के मामले में क्या हैं कानूनी स्थिति

शिवकुमार के वकील श्याम सुंदर ने बीबीसी हिंदी से बातचीत में आरोप लगाया कि प्रवर्तन निदेशालय का यह क़दम 'पूरी तरह प्रतिशोध' है.

उन्होंने कहा, "प्रवर्तन निदेशालय ने आयकर विभाग की शिकायत के आधार पर केस रजिस्टर किया है. आयकर विभाग ने कार्रवाई शुरू की थी लेकिन कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी."

यह मामला 8.33 करोड़ रुपये का है. यह रकम आयकर विभाग के अधिकारियों को कथित तौर पर दिल्ली के उस अपार्टमेंट से मिली थी जहां शिवकुमार रुके हुए थे. हालांकि शिवकुमार का कहना है कि उनका इन पैसों से कोई लेना-देना नहीं है.

शिवकुमार के वक़ील श्याम सुंदर कहते हैं कि अदालत के आदेश के साथ ही इस मामले को निराधार कर दिया गया था. उन्होंने कहा, "आयकर विभाग ने प्रवर्तन निदेशालय से शिकायत की कि इस अवैध रकम की जांच प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत की जानी चाहिए और यह पीएमएलए के तहत अपराध नहीं है."

श्याम कुमार कहते हैं कि अभी तक ईडी ने उन आरोपों के बारे में भी कोई बयान जारी नहीं किया है जिनके आधार पर शिवकुमार को गिरफ्तार किया गया.

तो, क्या शिवकुमार को इसलिए गिरफ़्तार किया गया कि बीते चार दिनों की पूछताछ के दौरान उन्होंने ईडी के अधिकारियों को ठीक जवाब नहीं दिये और सहयोग नहीं किया.

श्याम सुंदर इससे साफ़ इनक़ार करते हैं.

"बिल्कुल भी नहीं. संविधान का अनुच्छेद 20(3) शांत रहने का अधिकार देता है. कोई भी किसी को जवाब देने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है. कोई ये कैसे कह सकता है कि वह वो जवाब नहीं दे रहे हैं जो उन्हें चाहिए."

TWITTER

राजनीतिक प्रभाव

कन्नड़ टेलीविज़न के दर्शकों ने उस दिन एक ऐसे शख़्स को आंसुओं में डूबा देखा जिसने अपने विरोधियों से ना जाने कितनी लड़ाइयां लड़ीं हैं. सोमवार को गणेश चतुर्थी थी और शिवकुमार अपने पिता की 'समाधि' पर जाना चहते थे.

प्रवर्तन निदेशालय से इसके लिए अनुमति मांगी लेकिन ईडी ने मना कर दिया. जिसके बाद टीवी पर सैकड़ों लोगों ने इस शख़्स को आंसुओं को रोकने की कोशिश करते देखा.

वोक्कालिंगा समुदाय के लोग (ख़ासतौर पर बेंगलुरु के आसपास) गणेश चतुर्थी की परंपराओं से बहुत गहराई से जुड़े हुए हैं.

नाम न छापने की शर्त पर शिवकुमार के एक सहयोगी कहते हैं "यह कोई राजनीतिक नाटक नहीं था. यह बहुत ही स्पष्ट है. हम वोक्कालिंगा समुदाय के लोग इस पूजा से बहुत गहराई से जुड़े हुए हैं. जिस तरह से उनके साथ बर्ताव किया गया, उसका इस क्षेत्र में समुदाय पर प्रभाव पड़ना तय है."

ये बात इसलिए भी अहम है क्योंकि जब शिवकुमार ईडी के अधिकारियों के साथ थे तो कांग्रेस की केंद्रीय समिति की ओर से प्रदेश कांग्रेस नेताओं से शिवकुमार के पक्ष में बयान जारी करने को कहा गया.

राज्य के नेताओं की देर से आई प्रतिक्रिया का एक बड़ा कारण शिवकुमार की बढ़ती ताकत भी है. वो दिल्ली में मौजूद बड़े कांग्रेस नेताओं के साथ सीधे संपर्क में हैं.

नाम न बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा, "उनका दिल्ली में अच्छा संपर्क है. जिसे लेकर राज्य के कई नेता उतने सहज नहीं हैं. हम जानते हैं कि ये छापे इसलिए भी पड़े क्योंकि पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ उनके संबंध हैं."

राजनीतिक टिप्पणीकार और जैन विश्वविद्यालय के प्रो-वाइस चांसलर प्रोफेसर संदीप शास्त्री ने बीबीसी हिन्दी को बताया, "यह बीजेपी की चतुर रणनीति है कि वो ये सब कुछ भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ कर रही है. पी चिदंबरम और शिवकुमार का मामला भी उसी के तहत देखा जा रहा है. जब चिदंबरम गिरफ़्तार हुए थे, उस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पेरिस में थे जहां उन्होंने कहा कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए दृढ़ संकल्प है."

प्रोफ़ेसर शास्त्री कहते हैं "भाजपा यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि विपक्ष के लोगों के खिलाफ मामलों को उसके तार्किक अंजाम तक ले जाया जा रहा है. लेकिन, वहीं भाजपा से जुड़े रेड्डी बंधुओं या मुकुल रॉय जैसे लोगों के ख़िलाफ़ इसी तरह के मामलों में कुछ भी नहीं किया जा रहा है. यह दोहरा मापदंड नज़र आता है. साथ ही यह भी स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार से लड़ने के प्रयासों को दिखाकर जनता की सहानुभूति तो मिलेगी ही."

बीती रात बेंगलुरु-मैसूर हाईवे पर शिवकुमार के समर्थकों ने प्रदर्शन किए जिसकी वजह से यातायात पर भी असर पड़ा.

लोगों ने शिवकुमार के समर्थन में मार्च निकाला. इसके अलावा बेंगलुरु के ग्रामीण इलाकों में लोगों ने सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया. बुधवार को भी बहुत से इलाक़ों में बंद का भी आह्वान किया गया है.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Why DK Shivakumar's arrest is an important political event
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X