Balakot Air Strike: जानें इसके लिए लड़ाकू विमान मिराज 2000 को ही क्यों चुना गया था?
बेंगलुरु। बालाकोट में एयरस्ट्राइक की तारीख आज भी सबके जेहन में ताजा हैं। पुलवामा हमले में शहीद हुए 40 जवानों का भारत ने पाकिस्तान से बदला लेते हुए पीओके में घुसकर हमला किया था। वो तारीख 26 फरवरी 2019 थी, उस समय घड़ी में सुबह के 3.30... बज रहे थे। गर्जना के साथ भारतीय लड़ाकू विमानों ने पीओके में घुसकर तबाही मचा दी थी। ठीक एक साल पहले जब लड़ाकू विमान बालाकोट में घुसकर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को नष्ट कर रहे थे तब हम भारतीय घरों में चैन की नींद सो रहे थे।
सुबह आंख खुली टीवी चैनलों पर न्यूज थी कि भारतीय लड़ाकू विमान मिराज 2000 के एक समूह ने एलओसी पार कर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी कैंप को तबाह कर दिया है। आतंकी कैंप पर 1000 किलो के बम गिराये गये थे। पाकिस्तान के बालकोट की पहाड़ियों पर भारतीय सेना ने 350 से ज्यादा आतंकवादियों को हवाई हमले में मार गिराया था। इस अभियान में 12 मिराज विमानों ने अहम भूमिका निभायी थी। भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देने की खबर सुनकर हर भारतीय गदगद हो गया था। आइए जानते हैं बालाकोट स्ट्राइक के हीरो लड़ाकू विमान मिराज 2000 को ही भारतीय वायुसेना ने क्यों चुना था?
मिराज-2000 विमानों की ये हैं खासियत
बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर हमले के लिए वायुसेना द्वारा मिराज-2000 विमानों का चयन करना भारतीय वायुसेना की सोची समझी रणनीति थी। भारतीय वायुसेना की रीढ़ समझे जाने वाले मिराज-2000 लड़ाकू विमान डीप पेनिट्रेशन स्ट्राइक करने की क्षमता रखते हैं। मतलब ये है कि ये लड़ाकू विमान दुश्मन की सीमा में अंदर तक घुसकर हमला करने में सक्षम हैं। भारतीय वायुसेना के 12 मिराज-2000 विमानों के समूह ने जैश के कैंप पर 1000 किलो ग्राम के कई बम गिराए थे।
1480 किमी दूर तक बमबारी कर सकता है
मिराज एक फ्रेंच बहुउपयोगी फोर्थ जेनरेशन का सिंगल इंजन लड़ाकू विमान है। मिराज के सिंगल-सीट संस्करण में भी दो है। यह विमान एक घंटे में 2495 किलोमीटर की दूरी तय करने में सक्षम है। मिराज 2000 में घातक हथियारों को ले जाने के लिए नौ हार्ड पॉइंट दिए गए हैं। जिसमें पांच प्लेन के नीचे और दो दोनों तरफ के पंखों पर दिया गया है। वी फायरिंग करने वाली 30 मिलीमीटर की बंदूकें लगी होती हैं। इसकी रेंज 1480 किमी है यानी एक बार में 1480 किमी दूर तक दुश्मन के ठिकानों पर बमबारी कर सकता है। डसॉल्ट मिराज 2000 हवा से सतह पर मिसाइल और हथियार से हमला करने के साथ-साथ लेजर गाइडेड बम (LGB) दागने में भी सक्षम है।
बिना दुश्मन की रडार में आए लक्ष्य को कर सकता है ध्वस्त
दुनिया के सबसे अच्छे लड़ाकू विमानों की लिस्ट में ‘मिराज-2000'दसवें नंबर पर है। इसकी पहली उड़ान 10 मार्च 1978 को हुई थी। मिराज 2000 लड़ाकू विमान किसी भी देश में भीतर तक जाकर बिना दुश्मन की रडार के पकड़ में आए अपने लक्ष्य को ध्वस्त कर सकता है।
कई मिसाइलों को दाग सकता है मिराज 2000
भारतीय सेना के पास मौजूद मिराज-2000 विमान एक सीट वाला फाइटर जेट है। हवा से हवा में मार करने वाले हथियारों में MICA मल्टीगेट एयर-टू-एयर इंटरसेप्ट और कॉम्बैट मिसाइलें शामिल हैं। यह कई प्रकार के हथियार ले जाने में सक्षम है।
मिराज 2000 को ऑपरेट करने वाला भारत पहला देश है
29 जून 1985 को नंबर 7 स्क्वाड्रन के पहले सात विमानों की डिलीवरी के साथ भारतीय वायु सेना इस प्रकार का पहला विदेशी सेना बनी जिसके पास मिराज 2000 विमान थे। शुरूआत में इस विमान में स्नेक्मा एम 53-5 इंजन थे जिसे बाद में एम 53 पी-2 इंजन से बदल दिया गया। मिराज 2000 में परिवर्तित होने वाला दूसरा स्क्वाड्रन नंबर 1 स्क्वाड्रन था। जिसे द टाइगर्स के नाम से जाना जाता है। इसे 1986 में औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया।
भारतीय वायु सेना के पास हैं 51‘मिराज
भारतीय वायु सेना के पास 51‘मिराज-2000'हैं। बालाकोट एयर स्ट्राइक में एयरफोर्स ने 12 विमानों का इस्तेमाल किया था। भारतीय वायुसेना द्वारा संचालित लगभग 51 मिराज 2000 विमानों के एक बेड़े को उन्नत करने के लिए फ्रांस से 1.9 बिलियन डालर का समझौता किया गया है। जिसके तहत कुछ विमानों का अपग्रेडेशन हो गया। अपग्रेडशन के बाद ये विमान पहले से ज्यादा ताकतवर हो गए हैं।
करगिल युद्ध के दौरान मिराज-2000 ने अहम भूमिका निभाई थी
1999 में करगिल युद्ध के दौरान मिराज-2000 ने अहम भूमिका निभाई थी और दुश्मन को नेस्तनाबूद कर दिया था. करगिल की लड़ाई में मिराज ने दुश्मन के ठिकानों पर लेजर गाइडेड बम दागे थे, जिससे अहम बंकरों को ध्वस्त कर दिया गया था. यह लड़ाकू विमान फ्रांसिसी एयरफोर्स के साथ भारतीय वायुसेना, युनाइटेड अरब अमीरात एयरफोर्स और चीनी रिपब्लिक वायुसेना के बेड़े में भी शामिल है।
इन देशों की सेना में भी तैनात है मिराज 2000
मिराज-2000 विमान फ्रांस की कंपनी डसाल्ट एविएशन द्वारा बनाया गया है। यह वही कंपनी है जिसने राफेल लड़ाकू विमान को बनाया है। मिराज-2000 चौथी पीढ़ी का मल्टीरोल, सिंगल इंजन लड़ाकू विमान है। इसकी पहली उड़ान साल 1970 में आयोजित की गई थी। यह फाइटर प्लेन अभी लगभग नौ देशो में अपनी सेवाएं दे रहा है। साल 2009 तक लगभग 600 से अधिक मिराज-2000 दुनिया भर में सेवारत हैं।
सिर्फ 90 सेकेंड्स में IAF ने पूरा किया था Balakot मिशन, 25 फरवरी को हथियार से लैस किए गए थे मिराज