इंद्र भाई को साफ़िया ने क्यों कहा 'असली हीरो'
कोरोना वायरस जब दुनिया में हाहाकार मचा रहा है, ऐसे दौर में पढ़िए एक कहानी जो आशा की किरण जगाती है.
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) के एक कांस्टेबल की तारीफ़ हर तरफ़ हो रही है.
इस जवान ने अपनी जान की परवाह किये बिना एक मासूम बच्ची को दूध पहुंचाया जो कि उसे पिछले दो दिन से नही मिल पाया था.
घटना 31 मई की है जब आरपीएफ के कांस्टेबल इंद्र यादव स्टेशन पर ड्यूटी कर रहे थे. उस वक्त बेलगांव (कर्नाटक) से गोरखपुर के लिये एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन जा रही थी और भोपाल से गुज़र रही थी.
इसी ट्रेन में 23 साल की महिला साफ़िया हाशमी अपनी 4 माह की बच्ची के साथ सफर कर रही थीं.
साफ़िया ने इंद्र यादव को देख कर उनसे मदद मांगी कि उनकी बच्ची को दूध नही मिल पा रहा है जिसकी वजह से वो लगातार रो रही है. उन्हें पिछले स्टेशनों पर भी दूध नही मिल पाया है.
उसके बाद इंद्र यादव ने फौरन ट्रेन से उतरकर स्टेशन के बाहर दौड़ लगा दी ताकि वो बच्ची के लिये दूध ला सकें. उन्होंने एक दुकान से दूध का पैकेट लिया और स्टेशन पर आए.
उसी वक़्त ट्रेन ने चलना शुरु कर दिया. इंद्र यादव ने जैसे ही देखा तो उन्होंने फौरन साफ़िया के कोच की तरफ दौड़ लगा दी और आख़िरकार पहुंचकर महिला को दूध का पैकेट दिया.
मां ने अदा किया शुक्रिया
इस घटना का बाद साफ़िया की मां ने इंद्र यादव का शुक्रिया अदा किया.
साफ़िया हाशमी ने गोरखपुर पहुंचकर पुलिस के इस जांबाज सिपाही के लिये एक वीडियो संदेश भेजा जिसमें उन्होंने बच्ची के लिये की गई मदद के लिये धन्यवाद दिया.
साफ़िया ने वीडियो संदेश में बताया, "जैसे-जैसे ट्रेन की रफ्तार बढ़ रही थी, वैसे-वैसे मेरी उम्मीदें भी कम होती जा रही थी. उसी वक़्त किसी ने दौड़ते हुए खिड़की में से दूध अंदर पहुंचाया. इंद्र भाई जैसे ही लोग हमारे असली हीरो हैं."
वायरल हुआ वीडियो
यह घटना रेलवे स्टेशन के सीसीटीवी में कैद हो गई. इस का वीडियो ख़ूब वायरल हो रहा है और लोग इंद्र यादव के इस कारनामे की तारीफ़ कर रहे है.
वहीं रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी ट्विटर पर उनकी तारीफ़ की है उन्हें नकद पुरस्कार देने की भी बात कही है.
पीयूष गोयल ने ट्वीट करके कहा - रेलवे परिवार की सराहनीय पहल. आरपीएफ कांस्टेबल इंद्र यादव ने ड्यूटी के दौरान सराहनीय फर्ज़ निभाया जब उन्होंने चार महीने की बच्ची को दूध देने के लिए चलती ट्रेन के पीछे दौड़ लगाई. मुझे गर्व है. मैं इंद्र सिंह को नकद पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा करता हूं."
साफिया हाशमी ने बताया, "वो बेलगांव में लॉकडाउन में फंस गई थी. उन्हें श्रमिक ट्रेन से वापस गोरखपुर जाने का मौका मिला. लेकिन रास्ते में बच्ची के लिये दूध नही था. लेकिन भोपाल स्टेशन पर मैंने इंद्र यादव से मदद मांगी और बताया कि बच्ची भूखी है."
उन्होंने आगे बताया, "उसके बाद वो फौरन बाहर गये और मुझे वही रहने के लिये कहा."
अपनी रोती बच्ची को साफ़िया बिस्किट को पानी में घोल घोल कर पिला रही थी लेकिन उसके बावजूद बच्ची का पेट नही भर रहा था लेकिन इंद्र यादव उनके लिये मसीहा बन कर आए.
वहीं इंद्र यादव ने बताया, "'ट्रेन में इस महिला ने अपनी परेशानी बतायी कि उन्हें दूध नही मिला है और बिस्किट, पानी बच्चे को दे रही हूं. तो मैंने उन्हें वही बैठने के लिये कहा. इस बातचीत में ही लगभग 5 मिनट निकल गये."
उन्होंने आगे बताया, "मैं तेज़ी से बाहर गया और दुकान से दूध लेकर आया. ट्रेन चल चुकी थी इसलिये मैंने दौड़ लगा दी और प्लेटफार्म ख़त्म होने से पहले ही बोगी में महिला को दूध पहुंचवा दिया."
इंद्र का कहना है कि उन्होंने वही किया जो एक जवान का फर्ज़ होता है.