क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

मुसलमान क्यों नहीं बने थे अंबेडकर

धर्म परिवर्तन से पहले भीमराव अंबेडकर ने इस्लाम का गहरा अध्ययन किया और फिर इसे अपनाने से इंकार कर दिया था.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
भीमराव आंबेडकर
Getty Images
भीमराव आंबेडकर

डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि हिंदूओं को समझना चाहिए कि वे भारत के बीमार लोग हैं और ये भी कि उनकी बीमारी दूसरे भारतीयों के स्वास्थ्य और प्रसन्नता के लिए घातक है.

अंबेडकर जन्म से हिंदू थे पर मरना हिंदू के रूप में नहीं चाहते थे. उन्होंने धर्म परिवर्तन का फैसला किया. इसके लिए उन्होंने कई धर्मों को अपनाने पर विचार किया था. इस्लाम भी उनमें से एक था.

धर्म परिवर्तन से पहले उन्होंने इस्लाम के बारे में भी गहरा अध्ययन किया था. वो जातिवाद और दलितों की स्थिति के मामले में इस्लाम को हिंदू धर्म से बहुत अलग नहीं मानते थे.

इलाहाबाद के गोविंद बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर और आधुनिक इतिहास के जानकार बद्री नारायण के अनुसार भीमराव अंबेडकर इस्लाम धर्म की कई कुरीतियों के खिलाफ थे.

नज़रिया: आंबेडकर हिंदू राष्ट्र को भारी ख़तरा क्यों मानते थे?

भीमराव आंबेडकर
Getty Images
भीमराव आंबेडकर

वो मानते थे कि इस्लाम में भी हिंदू धर्म की तरह ऊंची जातियों का बोलाबाला है और यहां भी दलित हाशिये पर हैं.

बीबीसी से बात करते हुए ब्रदी नारायण ने बताया, "भीमराव अंबेडकर मानते थे कि दलितों की जो दशा है उसके लिए दास प्रथा काफी हद तक जिम्मेदार है. इस्लाम में दास प्रथा को खत्म करने के कोई खास प्रतिबद्धता नहीं दिखती है."

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शम्सुल इस्लाम भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं. वो बताते हैं, "अंबेडकर ने धर्म परिवर्तन के लिए इस्लाम पर भी विचार किया था, पर इसे अपनाया नहीं. क्योंकि वे मानते थे कि इसमें भी उतना ही जातिवाद है जितना हिंदू धर्म में."

वो बताते हैं कि अंबेडकर मानते थे कि मुसलमानों में भी जो हैसियत वाला वर्ग है वो हिंदू धर्म के ब्राह्मणों की तरह ही सोचता है.

आपने देखा आंबेडकर का जर्जर होता स्कूल?

भीमराव आंबेडकर
DEEKSHABHOOMI/BBC
भीमराव आंबेडकर

इस्लाम की राजनीति

अंबेडकर ने स्पष्ट रूप से कहा था कि देश का भाग्य तब बदलेगा जब हिंदू और इस्लाम धर्म के दलित ऊंची जाति की राजनीति से मुक्त हो पाएंगे.

शम्सुल इस्लाम बताते हैं, "अंबेडकर का कहना था कि इस्लाम धर्म के नाम पर जो राजनीति हो रही थी वो हिंदू धर्म के उच्च वर्गों की तरह की ही थी."

जैसे हिंदू धर्म में ब्राह्मणवादी राजनीति का बोलबाला था, वैसे ही इस्लाम की राजनीति भी ऊंची जातियों तक सीमित थी.

अंबेडकर इस्लाम में महिलाओं की स्थिति को लेकर चिंतित थे. वो बहु विवाह प्रथा के खिलाफ थे.

ब्रदी नारायण बताते हैं, "अंबेडकर बहु विवाह प्रथा को महिला मुद्दों के साथ जोड़कर देखते थे. वो मानते थे कि इससे स्त्रियों को कष्ट होता है. इस प्रथा में उनका शोषण और दमन होता है."

नज़रिया: ...तो इसलिए आरक्षण के हिमायती थे आंबेडकर

भीमराव आंबेडकर
BBC
भीमराव आंबेडकर

मनुस्मृति और इस्लाम

उन्होंने बताया कि अंबेडकर के इस्लाम न अपनाने के कई कारणों में ये भी एक कारण रहा था. वो दलितों के इस्लाम अपनाने के पक्ष में नहीं थे.

आजादी के बाद पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर दलितों का धर्म परिवर्तन हो रहा था. अंबेडकर उन्हें इस्लाम धर्म न अपनाने की सलाह दे रहे थे. वे मानते थे कि वहां भी उनको बराबरी का हक़ नहीं मिल पाएगा.

ब्रदी नारायण बताते हैं कि आंबेडकर को लगता था कि इस्लाम में कुरीतियों को दूर करने की आत्मशक्ति नहीं दिख रही थी और उसे दूर किए बिना समानता का भाव नहीं मिल पाता.

शम्सुल इस्लाम बताते हैं कि मुगल शासकों ने मनुस्मृति को पूरी तरह अपनाया था जबकि अंबेडकर मनुस्मृति के खिलाफ थे.

हिंदू भारत के बीमार लोग हैंः आंबेडकर

भीमराव आंबेडकर
Getty Images
भीमराव आंबेडकर

मुस्लिम और हिंदू की दोस्ती

जो भी मुस्लिम शासक भारत आए उन्होंने ब्रह्मणवादी राजनीति को अपनाया. मुगलकाल को भी देखें तो मुस्लिम शासकों ने हिंदू धर्म की ऊंची जातियों के साथ समझौता कर लिया था.

शम्सुल और ब्रदी नारायण, दोनों इतिहासकार यह मानते हैं कि आंबेडकर दलितों को समाज में समानता का अधिकार दिलाना चाहते थे, जो इस्लाम में संभव नहीं दिख रहा था.

यही कारण है कि उन्होंने कई धर्मों के अध्ययन के बाद बौद्ध धर्म को अपनाया था.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Why did not Muslims become Ambedkar
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X